
पटना। बिहार में कोरोना के मरीजों की संख्या 1363 हो चुकी है। प्रवासी मजदूरों के साथ-साथ राज्य में कोरोना के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। इस बीच बिहार का सियासी पारा भी पूरे उफान पर है। लॉकडाउन के बीच जब से राजद नेता तेजस्वी यादव दिल्ली से बिहार लौटे हैं, लगातार सरकार की नाकामियों को उजागर करते हुए तंज कस रहे हैं। बीते रविवार को ट्वीट करते हुए तेजस्वी ने सरकार पर चुनावी प्रबंधन में जुटे होने का आरोप लगाया था। तेजस्वी ने क्वारेंटाइन सेंटर की अव्यवस्था, पैदल आ रहे श्रमिक, सड़क हादसों में मर रहे बिहारी मजदूर के साथ-साथ कोरोना के लगातार बढ़ रहे मामलों का ठीकरा सरकार के माथे पर फोड़ा था।
तेजस्वी पर आपदा के समय गंदी राजनीति का आरोप
तेजस्वी ने अपने आरोपों के साथ-साथ कुछ तथ्य भी ट्विटर पर शेयर किए। उन्होंने सरकार पर हर दूसरे दिन नियम बदलने का भी आरोप लगाया। तेजस्वी की ओर से हुए ताबड़तोड़ हमलों का जवाब जदयू नेताओं ने भी दिया। श्रम संसाधन मंत्री विजय सिन्हा ने तेजस्वी पर वैश्विक आपदा के समय गंदी राजनीति करने और समाज में नफरत फैलान का आरोप लगाया। इसके अलावा बिहार सरकार के मंत्री नीरज कुमार ने कहा कि तेजस्वी राजनीतिक आपदा के शिकार है। वे न तो नियम-कानून का ख्याल रखते हैं और ना हीं अपनी जिम्मेदारियों का ईमानदारी पूर्वक निर्वाहन करते हैं।
तेजस्वी ने जो किया वो सरकार में बैठे लोग नहीं किएः राजद
तेजस्वी पर हुए हमले को देख राजद के नेता भी अब इस सियासी संग्राम में उतर आए हैं। राजद प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि तेजस्वी ने जो किया वो सरकार में बैठे लोग नहीं कर सके। सरकार में बैठे लोग अपनी नाकामी छिपाने के लिए तेजस्वी यादव पर अनर्गल बयानबाजी कर रहे हैं। मृत्युंजय यादव ने JDU को झूठा दल अनलिमिटेड जबकि BJP को बड़का झूठा पार्टी बताया। उन्होंने केंद्र व राज्य सरकार पर कोरोना के महासंकट को ठीक ठग से हैंडल नहीं कर पाने का भी आरोप लगाया।
आपदा प्रबंधन विभाग के जरिए संपदा सृजन का आरोप
कोरोना और लॉकडाउन से उपजे विपरीत हालात में बिहार के करोड़ों लोग लगातार परेशान हैं। इस बीच राज्य में सियासी संग्राम छिड़ चुका है। बताते चले कि रविवार को तेजस्वी ने आपदा प्रबंधन विभाग पर राहत कम लानत ज्यादा देने का आरोप लगाया था। उन्होंने आपदा प्रबंधन विभाग के जरिए संपदा सृजन का भी आरोप लगाया था। बताते चले कि बिहार में इसी साल अक्टूबर-नवंबर में विधानसभा चुनाव होना है। यदि कोरोना संकट नहीं आया होता तो इस समय सभी दलें चुनावी अभियान में जुटी होती।
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