आंध्र प्रदेश की ये महिला बिहार में है सीनियर आईएएस, 8 साल से ऐसे करती हैं छठ की पूजा

आईएएस डॉ. एन विजया लक्ष्मी कहती हैं कि ऐसा लगता है कि देखकर कोई नहीं कह सकता कि वे बिहार की मूल निवासी नहीं है। इस काम में उन्हें पूरा सहयोग उनके पति और सीनियर आइएएस अधिकारी डॉ एस सिद्धार्थ करते हैं, जो कि खुद तमिलनाड़ूं मूल के हैं। यह आइएएस दंपती लंबे समय से बिहार में हैं और बिहार की संस्कृति को पूरी तरह अपना चुके हैं।

Asianet News Hindi | Published : Nov 19, 2020 9:09 AM IST

पटना (Bihar) । बिहार में इस समय महापर्व छठ की धूम है। नहाय-खाय के साथ चार दिन तक चलने वाले इस पर्व की महिमा ही कुछ ऐसी है। जी हां छठी मइया की महिमा को जिसने भी जाना वो प्रभावित होकर मां की आराधना में लग जाता है। ऐसा करने वालों में वरिष्ठ आईएएस डॉ एन विजयालक्ष्मी भी हैं, जो आंध्र प्रदेश की रहने वाली हैं और पिछले आठ वर्ष से लगातार छठ पूजा कर रही हैं। वे छठ व्रत के दौरान ऑफिस से जुड़े काम भी पूरी जिम्मेदारी के साथ ही करती रहती हैं। सुबह समय से ऑफिस चली जाती हैं और वहां के काम निपटा कर फिर घर लौटती हैं तो छठ से जुड़े काम में फिर लग जाती हैं।

आईएएस पति करते हैं मदद
आईएएस डॉ. एन विजया लक्ष्मी कहती हैं कि ऐसा लगता है कि देखकर कोई नहीं कह सकता कि वे बिहार की मूल निवासी नहीं है। इस काम में उन्हें पूरा सहयोग उनके पति और सीनियर आइएएस अधिकारी डॉ एस सिद्धार्थ करते हैं, जो कि खुद तमिलनाड़ूं मूल के हैं। यह आइएएस दंपती लंबे समय से बिहार में हैं और बिहार की संस्कृति को पूरी तरह अपना चुके हैं।

पर्व को लेकर कही ये बातें
आईएएस डॉ. एन विजया लक्ष्मी बताती हैं कि मेरा मानना है कि छठ हमें जीवन में अनुशासन सिखाता है। छठ के चार दिनों में चारों ओर पॉजिटिव ऊर्जा महसूस होती है। प्रकृति के प्रति लगाव का एहसास होता है। इन दिनों व्रती अध्यात्मिकता के ज्यादा करीब हो जाते हैं। हर ओर स्वच्छता, पवित्रता और परस्पर सहयोग की भावना होती है। पूरा बिहार चार दिनों तक एकत्र होकर सूर्य की उपासना करता है। यह पर्व हमें जीवन में संयम और प्रकृति का सम्मान करना सिखाता है। मुझे लगता है कि छठ के दिनों में जो माहौल रहता है, वैसा वर्ष भर रहना चाहिए।

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