164 विधायकों के समर्थन से नीतीश कुमार ने महागठबंधन की सरकार बनाई और बिहार में 8वीं बार सीएम पद की शपथ ली। नीतीश कुमार के बीजेपी से नाता तोड़ने के बाद राष्ट्रीय राजनीति में विपक्ष को नीतीश कुमार जैसा एक चेहरा मिलता दिख रहा है।
पटना। बिहार (Bihar) में नीतीश कुमार (Nitish Kumar) के महागठबंधन में आने के बाद देश की राजनीति में नया विमर्श शुरू हो चुका है। नीतीश कुमार को संयुक्त विपक्ष के नेता के तौर पर राष्ट्रीय राजनीति में एंट्री के प्रयास तेज हो गए हैं। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को 2024 के लिए पीएम पद के लिए बतौर विपक्षी चेहरा पेश करने के लिए लॉबिंग हो रही है। शुक्रवार को जनता दल यूनाइटेड ने नीतीश कुमार को राष्ट्रीय राजनीति में एंट्री करने के लिए शर्त रखी। जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने कहा कि अगर सभी दल एकजुट होकर यह संयुक्त चेहरे पर विचार करते हैं तो विकल्प पर विचार किया जा सकता है। हालांकि, उन्होंने यह दावा किया कि नीतीश कुमार, राष्ट्रीय स्तर पर सबको एकजुट करने के लिए अभियान शुरू करेंगे।
क्या कहा जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने?
जनता दल (यूनाइटेड) ने शुक्रवार को कहा कि अगर अन्य दल नीतीश कुमार को बतौर पीएम चेहरा पेश करना चाहते हैं तो यह एक विकल्प है और इस पर विचार किया जा सकता है। जद (यू) अध्यक्ष ललन सिंह ने कहा कि नीतीश कुमार का मुख्य ध्यान 2024 के लोकसभा चुनावों में विपक्षी दलों को एकजुट करने पर है। उन्होंने कहा कि वह अगले सप्ताह बिहार विधानसभा में विश्वास मत के बाद विभिन्न दलों के नेताओं से मिलने के लिए राष्ट्रीय राजधानी का दौरा करेंगे। हालांकि, ललन सिंह ने यह भी कहा कि बिहार के सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहे और जद (यू) के मुख्य चेहरे नीतीश कुमार विपक्ष के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के दावेदार नहीं हैं।
अन्य दल निर्णय लेते हैं तो विकल्प बन सकता
अन्य विपक्षी दलों द्वारा उन्हें सत्ता संभालने के लिए समर्थन देने के मामले में पार्टी के विचार के बारे में पूछे जाने पर, ललन सिंह ने कहा, "यदि अन्य दल निर्णय लेते हैं और ऐसा चाहते हैं, तो यह एक विकल्प है।" जद (यू) अध्यक्ष और लोकसभा सांसद ने कहा कि बिहार में नई सरकार बनाने के लिए भाजपा से नाता तोड़ लेने और अपने प्रतिद्वंद्वियों के साथ गठबंधन करने के बाद शरद पवार और अरविंद केजरीवाल सहित कई विपक्षी नेताओं ने कुमार को बधाई दी। उन्होंने कहा कि सभी विपक्षी दलों को अगले लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा से मुकाबला करने के लिए नेतृत्व पर फैसला करने के लिए एक साथ बैठना चाहिए। सभी दलों को भाजपा को हराने के लिए एकजुट होकर लड़ना चाहिए और बाद में फैसला करना चाहिए कि उनका नेता कौन होगा। दोनों विकल्प हैं।
उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार भाजपा से लड़ने वाले अन्य सभी दलों को एक मंच पर लाने के लिए काम करेंगे ताकि इसके शासन के लिए एकजुट चुनौती पेश की जा सके।
महागठबंधन ज्वाइन करने के बाद नीतीश को लेकर चर्चा
दरअसल, बीते 9 अगस्त को नीतीश कुमार ने बीजेपी के साथ अपना गठबंधन तोड़न के बाद मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। कुछ घंटों बाद नीतीश कुमार को राजद समेत सात विपक्षी दलों ने समर्थन देकर सरकार बनाने का दावा कर दिया। अगले दिन 164 विधायकों के समर्थन से नीतीश कुमार ने महागठबंधन की सरकार बनाई और बिहार में 8वीं बार सीएम पद की शपथ ली। नीतीश कुमार के बीजेपी से नाता तोड़ने के बाद राष्ट्रीय राजनीति में विपक्ष को नीतीश कुमार जैसा एक चेहरा मिलता दिख रहा है। दरअसल, नीतीश कुमार की छवि एक साफ-सुथरे नेता की है। न तो उन पर परिवारवाद का कोई आरोप लगा है न ही कोई बड़ा भ्रष्टाचार का ही आरोप लगा है। ऐसे में नीतीश कुमार में विपक्ष एक बेहतर विकल्प देख रहा है।
ललन सिंह ने दावा किया बीजेपी का होगा बुरा हाल
जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने बिहार में लोकसभा की 40 सीटों में 35 सीटों पर बीजेपी के लड़ने के दावे पर कहा कि बीजेपी इस बार यहां सभी सीटें हारेगी। वह बिहार ही नहीं झारखंड, पश्चिम बंगाल में भी अधिकतर सीटों पर हारेगी जिससे उसकी सीटें काफी कम हो जाएंगी। उन्होंने कहा कि 40 सीटें हारने से भाजपा की संख्या बहुमत के निशान से नीचे आ जाएगी, उन्होंने कहा कि सत्तारूढ़ दल को ऐसे परिदृश्य में देश भर में अपने भाग्य के बारे में चिंता करनी चाहिए। 2019 के चुनावों में भाजपा ने 543 सदस्यीय लोकसभा में 303 सीटें जीती थीं।
यह भी पढ़ें:
देश के पहले Nasal कोविड वैक्सीन के थर्ड फेज का ट्रॉयल सफल, जल्द मंजूरी के आसार