सिर्फ 12 मिनट के अंदर 6 धमाके हो गए। चारों तरफ अफरातफरी का माहौल था। 6 लोगों की मौत हो गई थी और कई लोग गंभीर रूप से घायल हो गए थे। हालात ये थे कि अफरातफरी के बीच धमाकों की आवाज दब गई थी।
पटना : 27 अक्टूबर, 2013 का वह दिन आज भी बिहार (bihar) के लोगों के जेहन में सिरहन पैदा कर देता है। पटना (patna) के गांधी मैदान में हुए एक के बाद एक सीरियल धमाकों ने राजधानी को ही नहीं बल्कि पूरे बिहार को हिलाकर रख दिया था। ये धमाके उस समय हुए जब गांधी मैदान में बीजेपी (BJP) की हुंकार रैली थी, जिसमें शामिल होने के लिए बीजेपी के तत्कालीन प्रधानमंत्री उम्मीदवार नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) पटना आने वाले थे। हालांकि, नरेंद्र मोदी के पटना पहुंचने के पहले ही आतंकियों ने खचाखच भरे गांधी मैदान में सीरियल ब्लास्ट किए। सिर्फ 12 मिनट के अंदर 6 धमाके हो गए। चारों तरफ अफरातफरी का माहौल था। 6 लोगों की मौत हो गई थी और कई लोग गंभीर रूप से घायल हो गए थे। हालात ये थे कि अफरातफरी के बीच धमाकों की आवाज दब गई थी। दिखाई दे रहा था तो बस धुएं का गुबार। इन धमाकों में जिन परिवारों ने अपनों को खोया उन्हें सोमवार को उस वक्त न्याय मिला जब इसके दोषियों को सजा सुनाई गई।
8 साल बाद सजा
8 साल पहले हुए इस सीरियल बम ब्लास्ट मामले में NIA कोर्ट ने 9 आतंकियों को सजा सुनाई। विशेष NIA कोर्ट के जज गुरविंदर सिंह मल्होत्रा ने 4 आतंकियों को फांसी की सुनाई है, जबकि 2 को उम्रकैद की सजा दी गई है। वहीं दो दोषियों को 10 साल और एक को 7 साल की सजा सुनाई गई है। जेल में कैद 10 में से 9 आतंकियों को 27 अक्टूबर को दोषी करार दिया गया था।
इन खूंखार आतंकियों को सजा
NIA कोर्ट ने नोमान अंसारी, हैदर अली उर्फ अब्दुल्लाह उर्फ ब्लैक ब्यूटी, मो. मोजिबुल्लाह अंसारी और इम्तियाज अंसारी उर्फ आलम को फांसी की सजा दी है। जबकि उमर सिद्दीकी और अजहरुद्दीन को उम्रकैद की सजा सुनाई है। यह सभी 6 आतंकी IPC के सेक्शन 302, 120B और UAPA एक्ट जैसे गंभीर धाराओं में दोषी करार दिए गए थे। NIA के स्पेशल पब्लिक प्रॉसिक्यूटर ललित प्रसाद सिन्हा ने इन सभी के लिए फांसी की मांग की थी। इनके अलावा कोर्ट ने अहमद हुसैन और फिरोज आलम उर्फ पप्पू को 10 साल और इफ्तिखार आलम को 7 साल की सजा सुनाई है। खास बात ये है कि इफ्तिखार की सजा 7 साल पूरी हो गई है। कोर्ट ने कहा है कि अगर किसी आतंकी को इस फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील करनी है तो वो 30 दिनों के अंदर कर लें, वर्ना सजा पर अमल किया जाएगा।
27 अक्टूबर को दोषी करार
दोषियों में 5 आतंकी गया के महाबोधि मंदिर में हुए सीरियल बम ब्लास्ट के भी आरोपी हैं। ये इस मामले में की सजा भी काट रहे हैं। कोर्ट ने 27 अक्टूबर को इस मामले में 10 में से 9 आरोपियों को दोषी करार दिया था। दोषियों को पटना के बेऊर जेल में रखा गया है। जबकि, एक आरोपी फखरुद्दीन को कोर्ट ने सबूतों के अभाव में दिन बरी कर दिया था। वह उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर का रहने वाला था। सीरियल ब्लास्ट के मामले में NIA ने 11 आरोपियों को गिरफ्तार किया था। इसमें एक नाबालिग निकला है। उसका केस जुवेनाइल कोर्ट में ट्रांसफर कर दिया गया है।
उस दिन क्या हुआ था
ब्लास्ट के एक साल के बाद NIA ने 234 पन्नों की चार्जशीट में आतंकियों के दर्ज किए। जिसमें बताया गया है कि 26 अक्टूबर 2013 की शाम रांची (ranchi) के खादगढ़ा बस अड्डे से पटना ब्लास्ट का फाइनल प्रोग्राम बनाकर पांचों आतंकी आदित्य विजन बस सर्विस की बस पर चढ़े। इसमें से एक अलग सीट पर और रेस्ट दो-दो एक सीट पर बैठा। पूरी तरह प्लानिंग पर बातचीत करते हुए 27 अक्टूबर की सुबह मीठापुर बस स्टैंड से पहले ही एनएच स्थित पटना सेंट्रल स्कूल के पास सभी उतरे। इसके बाद ऑटो की मदद से पांचों आंतकी पटना जंक्शन स्थित जामा मस्जिद के पास पहुंचे और वहां से दो-दो के ग्रुप में बंट गया। पहला ग्रुप पटना जंक्शन के प्लेटफॉर्म नंबर 10 की ओर गया, दूसरे दोनों ग्रुप गांधी मैदान की ओर निकल गए। तय समय के मुताबिक आतंकी इम्तियाज और तारिक आजम को प्लेटफॉर्म नंबर 10 के शौचालय के पास बम प्लांट करना था। इसके बाद जक्कनपुर एरिया के घनी आबादी में लगाना था। वहीं रेस्ट दो ग्रुप अपनी रफ्तार से गांधी मैदान के चारों तरफ बम प्लांट करने में जुट गए, लेकिन इसी बीच पटना जंक्शन के प्लेटफार्म नंबर दस पर धमाका हुआ। पटना पुलिस की टीम इस धमाके को भांप ली कि यह नॉर्मल नहीं बल्कि आतंकी धमाका है। इस धमाके का असर गांधी मैदान में बम प्लांट कर रहे आतंकी पर भी हुआ और इन लोगों ने आनन-फानन में बम को प्लांट करना शुरू कर दिया।
..और उस आतंकी ने दम तोड़ दिया था
प्लेटफॉर्म नंबर 10 पर बम ब्लास्ट की खबरें चारों तरफ फैल चुकी थी, लेकिन पॉलीथिन में बम रखकर हैदर और तौफीक अंसारी गांधी मैदान के दक्षिण छोर से तो नुमान अंसारी और मुजिबुल्लाह उत्तरी छोड़ से लगातार बम प्लांट करने में जुटे रहे। जल्दी-जल्दी में इन लोगों ने कई बमों में टाइमिंग फिट नहीं कर पाए, इसलिए बड़ा धमाका होते-होते बच गया। आतंकी गांधी मैदान में बम प्लांट कर एक धमाका सुनने के बाद फौरन गांधी मैदान एरिया से अपने-अपने तय ठिकानों की तरफ निकल गए। हैदर अली, मुजिबुल्लाह और तौफिक अंसारी छत्तीसगढ़ निकल गए। नुमान अंसानी रांची की ट्रेन पकड़ लिया और तारिक अस्पताल में जिंदगी मौत से जूझ रहा था। पुलिस का एकमात्र भरोसा तारिक IGIMS में इलाज के दौरान ही दम तोड़ दिया।
12 दिन रायपुर में छिपे रहे आतंकी
इस ब्लास्ट की जांच NIA को सौंपी गई। जांच के दौरान NIA को नुमान अंसारी के बारे में पता चला। NIA ने अपनी चार्जशीट रिपोर्ट में बताया कि नुमान बम प्लांट करने के बाद रांची के हिंदी पीढ़ी स्थित अपनी बहन के घर पहुंच गया। जब बहन ने आने के बारे में पूछा तो उसने बताया कि कोलकाता से आया है। शक होने पर बहन पूछताछ शुरू कर दी। गुस्से में नुमान अपने साथ लाए बैग को बहन के घर छोड़कर वहां से निकल गया था। यह बैग NIA के हाथ लगा और उसने उसका फॉरेंसिक जांच करवाया। इससे पता चल गया कि नुमान उस आतंकी घटना में शामिल था। वहीं गांधी मैदान ब्लास्ट से जुड़े हैदर, मुजिबुल्लाह और तौफिक अंसारी छत्तीसगढ़ (chhattisgarh) में 28 अक्टूबर 2013 से 10 नवंबर 2013 तक रहा, इसके बाद रायपुर चला गया। रायपुर बस स्टैंड से ये आतंकी अंबिकापुर पहुंचे।
तो उस दिन न जाने क्या होता
आतंकियों ने जहां-जहां बम प्लांट किया था। वहां-वहां अगर पूरे के पूरे धमाके हो जाते तो मंच से कुछ दूरी पर स्थित मीडिया गैलरी में बैठे मीडियाकर्मी की जान भी चली जाती। यही नहीं, मंच से सटे लोगों की संख्या भी कम न थी। लेकिन ऐन वक्त पर बम काम नहीं किया और एक बड़ी घटना होते-होते बच गई। इसके बाद भी इस पूरे धमाके ने कई दिनों तक पटना और सहित पूरे इंडिया को हिला कर रख दिया। जानकारी हो कि सिमी के आतंकी ने ही बोध-गया ब्लास्ट को भी अंजाम दिया था।
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