बिहार में वज्रपात का कहर:घर से बाहर काम पर गए 7 लोगों की मौत, जाने-क्यों गिरती है बिजली,और इससे बचने के उपाए

बिहार के अलग अलग जिलों में बिजली गिरने की खबरें आई। जिसमें 7 लोगों की जान चली गई है। प्रदेश में हर साल वज्रपात से कई लोगों की जान जाती है। आपकों बताते है कि बिजली कहां गिरती है, और उससे कैसे बचा जा सकता है।

पटना (बिहार). बीते दिनों मौसम विभाग ने बिहार में यलो अलर्ट जारी किया था, इसके साथ ही लोगों को बारिश गिरने के दौरान घर से बाहर निकलने और जरूरी नियमों के पालन करने का निर्देश दिया था। इसके बावजूद बिहार के कैमूर और भोजपुर जिले में जरूरी काम से बाहर निकले सात लोगों की वज्रपात से मौत हो गई। बता दें कि कैमूर में बिजली गिरने से एक महिला समेत चार और भोजपुर के अलग-अलग थाना क्षेत्र में दो महिला समेत तीन की जान चली गई। कैमूर के रामगढ़ थाना क्षेत्र के सिसौडा गांव में ठनका गिरने से चंदन कुशवाहा (25), चैनपुर थाना के लालती देवी (42), भभुआ के मंटू पासवान (35) मौत हो गई। शामिल है। सभी बारिश के दौरान घर से बाहर थे और इसी दौरान हादसा हुआ। जिसके बाद भभुआ सदर अस्पताल ले जाया गया, जहां सभी का पोस्टमॉर्टम किया गया।

रोपनी के समय गई जान
भोजपुर जिले के अलग-अलग थाना क्षेत्र में आकाशीय बिजली गिरने से 3 लोगों की मौत हो गई। परिजनों ने बताया कि सभी महिलाएं गांव के खेत में रोपनी कर रही थी। उसी दौरान अचानक ठनका गिरा और इसमें शारदा देवी एवं भागमानो देवी की घटनास्थल पर ही मौत हो गई। शहर थाना क्षेत्र के ननौर और गांव में खेत में रुकने के दौरान ठनका गिरने से दो महिला की घटनास्थल पर ही मौत हो गई। जबकि दो महिला व किशोरी समेत तीन लोग बुरी तरह झुलस गए। मृतकों में 44 वर्षीया शारदा देवी एवं उसी गांव के निवासी 40 वर्षीया भागमानो देवी शामिल हैं। जबकि झुलसे लोगों में 33 वर्षीया अतिसुंदर देवी, 40 वर्षीया जमीला खातून एवं 15 वर्षीय पुत्री सहानी खातून शामिल है। 

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भैंस चराने के दौरान किसान ने गवाई जान 
ख्वासपुर ओपी अंतर्गत खवासपुर हरि के टोला गांव में बांद्रा में भैंस चराने के दौरान ठनका गिरने से किसान की मौत हो गई। मृतक ख्वासपुर ओपी अंतर्गत हरि के 16 गांव निवासी दीनानाथ यादव के 40 वर्षीय पुत्र कालू यादव है। बताया जा रहा है कि फागू अपनी भैंस को लेकर गांव के ही बधार में चराने गए थे, तभी अचानक तीव्र गर्जन के साथ वज्रपात होने लगा। जैसे ही छिपने की कोशिश की तभी ठनका गिरने से बुरी तरह से झुलस गए और उनके घटनास्थल पर ही मौत हो गई। 

हर साल जाती है कई लोगों की जान
वार्षिक वज्रपात रिपोर्ट 2021-22 के अनुसार बिहार बिजली गिरने के मामले में दसवें स्थान पर है। इस दौरान बिहार में वज्रपात की 2,59,266 घटनाएं दर्ज हुई जो की 2020-21 की तुलना में 23 फीसदी कम है। इससे पहले वर्ष 2018 में पूरे देश में वज्रपात से 3000 लोगों की मृत्यु हुई थी जिसमे से 302 लोग बिहार के थे। वहीं 2019 में वज्रपात से मरने वालों की संख्या 221 रही। 

क्यों गिरती है आकाशीय बिजली 
मॉनसून के मौसम में आंधी-बारिश और वज्रपात से कई लोग अपनी जान गवां बैठते हैं। इस कुदरती कहर से बिहार में हर वर्ष सैकड़ों लोगों की जान चली जाती है। इस वजह से मन में यह सवाल उठता है की आखिर वज्रपात क्यों होता है। आकाश में मौजूद बादलों के घर्षण से एक बिजली उत्पन्न होती है जिससे नेगटिव चार्ज उत्पन्न होता है। वहीं पृथ्वी में पहले से पॉजिटिव चार्ज मौजूद होता है। ऐसे में धरती और आकाश के दोनों नेगटिव एवं पॉजिटिव चार्ज एक दूसरे की तरफ आकर्षित होते हैं। जब इन दोनों चार्जों के बीच में कोई कंडक्टर आता है तो इलेक्ट्रिक डिस्चार्ज होता है। लेकिन आसमान में कोई कंडक्टर नहीं होता है तो यही इलेक्ट्रिक डिस्चार्ज ठनका के रूप में धरती पर गिरती है।
 
कहां होता है वज्रपात
आमतौर पर वज्रपात होने की सबसे अधिक संभावना ऊंचे इलाके जैसे पहाड़ या कोई ऊंचा पेड़ में होती है।  इसके साथ ही उन इलाकों में भी वज्रपात की संभावना होती है जहां पानी अधिकांश मात्रा में उपलब्ध हो। पानी बिजली के लिए एक कंडक्टर के रूप में काम करती है, इसलिए पानी के स्त्रोत के आस पास वज्रपात होने का खतरा अधिक होता है। 

वज्रपात से बचने के उपाय
वज्रपात से बचाव के लिए किसी ऊंचे क्षेत्र में न जाएं क्योंकि बिजली गिरने का सबसे अधिक खतरा वहीं होता है। अगर किसी खुले स्थान में हो तो वहां से किसी पक्के मकान में तुरंत चले जाएं और खिड़की एवं दरवाजों से दूर रहें। घर में पानी का नल, फ्रिज, टेलीफोन आदि बिजली के उपकरणों से दूर रहें और उन्हें बंद कर दें। बिजली के पोल और टेलिविज़न या मोबाईल टावर से दूर रहें। बिजली की चमक या बादलों के गरजने की आवाज सुनकर किसी पेड़ के नीचे नहीं जाएं। एक जगह पर समूह में खड़े न हों, कम से कम 15 फीट दूरी बनाए।

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