चारा घोटाला : डोरंडा कोषागार से फर्जी निकासी के मामले में राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव दोषी करार

950 करोड़ रुपए के चारा घोटाले के डोरंडा कोषागार गबन मामले में मंगलवार को फैसला आ गया। सीबीआई की विशेष अदालत ने RJD सुप्रीमो लालू यादव सहित 75 आरोपियों को दोषी करार दिया है। रांची में सीबीआई की विशेष अदालत ने 36 लोगों को 3-3 साल की जेल की सजा सुनाई है। लालू प्रसाद यादव को कितनी सजा सुनाई गई है, यह अभी नहीं बताया गया है। इस मामले में कुल 99 लोग आरोपी थे। लालू की सजा का ऐलान 21 फरवरी को होगा।

रांची। 950 RJD प्रमुख और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) को सीबीआई की विशेष आदालत ने डोरंडा कोषागार घोटाले में दोषी ठहराया है। सुबह साढ़े 10 बजे इस मामले में सुनवाई शुरू हुई। चारा घोटाले के सबसे बड़े मामले डोरंडा कोषागार से 139.35 करोड़ की अवैध निकासी मामले में लालू प्रसाद यादव आरोपी थे, जिन्हें आज कोर्ट ने दोषी माना है। इस मामले में लालू यादव समेत 99 आरोपी हैं। CBI के विशेष न्यायाधीश एसके शशि की अदालत में 29 जनवरी को इस मामले में बहस पूरी हो गई थी। 15 फरवरी को फैसले की तारीख तय की गई थी। मामले में चार राजनीतिज्ञ, दो वरिष्ठ अधिकारी, चार अधिकारी, लेखा कार्यालय के छह, 31 पशुपालन पदाधिकारी स्तर के और 53 आपूर्तिकर्ता आरोपी बनाए गए थे। डोरंडा कोषागार मामले में बचाव पक्ष के वकील संजय कुमार ने बताया कि रांची में सीबीआई की विशेष अदालत ने 36 लोगों को 3-3 साल की जेल की सजा सुनाई है। लालू प्रसाद यादव को दोषी करार दिया गया है। उन्हें कितनी सजा सुनाई है, यह बताया जाना बाकी है।  

जमानत पर बाहर थे लालू, हिरासत में लिए गए 
मंगलवार को कोर्ट में सुनवाई के दौरान जैसे ही लालू को दोषी करार देने की खबर आहर आई, उनके समर्थकों में मायूसी छा गई। यहां लालू के समर्थकों की भारी भीड़ देखते हुए सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त किए गए थे। इस मामले में 29 जनवरी को CBI के विशेष न्यायाधीश एसके शशि की अदालत में बहस पूरी हो गई थी। इसके बाद कोर्ट ने 15 फरवरी को फैसले की तारीख तय की थी। सुनवाई के चलते दो दिन पहले ही लालू रांची पहुंच गए थे। लालू फिलहाल चारा घोटाले के अन्य मामलों में जमानत पर बाहर थे, लेकिन इस फैसले की वजह से उन्हें फिर से जेल जाना होगा। फैसले के बाद उन्हें हिरासत में ले लिया गया।

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क्या है मामला 
1990 से 1992 के बीच डोरंडा ट्रेजरी से फर्जी निकासी का घोटाला हुआ। यह अपनी तरह का नायाब फर्जीवाड़ा था। इसमें अवैध तरीके से पैसे निकालने के लिए पशुओं को वाहनों में ढोने के बिल पास कराए गए। लेकिन जिन वाहनों के नंबर दिए गए थे, जांच में वे स्कूटर या दुपहिया वाहनों के निकले। मामले की सीबीआई जांच के दौरान पता चला कि नेताओं और अफसरों ने मिलकर 400 सांडों को हरियाणा और दिल्ली जैसे शहरों से रांची लाया गया। सरकारी दस्तावेजों में कहा गया कि गायों की बेहतर नस्ल के लिए इन्हें लाया गया है। लेकिन जिन वाहनों पर इन्हें लाना दर्शाया गया, उनके नंबर दोपहिया वाहनों के निकले। इन नंबरों की जांच के लिए देश के 150 परिवहन कार्यालयों से दस्तावेज जुटाए गए। 

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