
पटना। एक अप्रैल 2016 को बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शराबबंदी कानून लागू किया था। कई कड़े कानून बना कर इसे पूरे राज्य में सख्ती से लागू करने की बात की गई थी। लेकिन चार साल बाद आज की स्थिति यह है कि अब भी चोरी-छिपे बिहार में शराब मिल रहा है। जब इस कानून को लाया गया था तब सभी दल एकसाथ थे। लेकिन अब बदली हुई परिस्थिति में मुख्य विपक्षी पार्टी राजद ने शराबबंदी पर जनमत संग्रह कराने की बात कही है। राजद विधायक भाई वीरेंद्र का कहना है कि हम ढकोसले के साथ नहीं है। इसलिए जब हमारी सरकार बनेगी तब हम शराबबंदी पर जनमत संग्रह करवाएंगे और उसके बाद जो भी राय बनेगी उसके अनुसार फैसला लिया जाएगा।
हम ने राजद नेता के निर्णय का किया समर्थन
भाई वीरेंद्र ने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि बिहार में अवैध रूप से शराब की बिक्री हो रही है। जिसकी वजह से राजस्व का नुकसान हो रहा है। उन्होंने साफ कहा कि बिहार में शराबबंदी तो है ही नहीं। लेकिन सरकार की ओर से राजस्व की हानि के लिए सारा काम किया गया है। शराब का पैसा सरकार से जुड़े अधिकारियों और नेताओं के खाते में जा रहा है। उन्होंने आगे कहा कि जब शराबबंदी लागू हुई थी तब हम भी इसके साथ थे, लेकिन हम ढकोसले के साथ नहीं है। राजद विधायक भाई वीरेंद्र की बात का हिन्दुस्तान अवाम मोर्चा ने भी समर्थन किया है। हम का कहना है कि शराबबंदी के फैसले की समीक्षा जरूर होनी चाहिए।
वो सपना देखना चाहते हैं तो देखते रहेंः मंत्री
हालांकि जदयू ने राजद नेता की बात को सपना करार देते हुए तंज कसा है। जदयू नेता सह नीतीश सरकार के मंत्री श्याम रजक ने कहा कि जितने साल वे (राजद) सत्ता में रहे उतने साल तक समाज में फैली कटुता, लोगों का शोषण और दोहन करवाने के सवाल पर भी जनमत संग्रह होना चाहिए। श्याम रजक ने आगे कहा कि नीतीश कुमार के सीने पर 12 करोड़ लोगों का ठप्पा पड़ गया है। वो सपना देखना चाहें तो देखते रहें। बताते चले कि शराबबंदी के कारण बिहार को प्रत्येक वर्ष करीब 4000 करोड़ रुपए के राजस्व का नुकसान हो रहा है।
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