ये है बिहार: हॉस्पिटल ने कहा- 50 हजार लाओ फिर ले जाना बेटे का शव, मां-बाप ने भीख मांगकर जुटाए पैसे

सदर अस्पताल के सिविल सर्जन डॉ. एस.के चौधरी का कहना है कि उन्हें इसकी कोई भी जानकारी नहीं थी। मीडिया के जरिए जब बात उन तक पहुंची तो एक बार वे भी चौंक गए। यह मानवता को शर्मसार करने वाला मामला है। इसके दोषी को किसी भी कीमत पर छोड़ा नहीं जाएगा।

समस्तीपुर : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) के बहार वाले बिहार (Bihar) से एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है। यहां के समस्तीपुर (Samastipur) के सदर अस्पताल में वो शर्मनाक हरकत हुई है, जिसने पूरे सिस्टम पर ही सवाल खड़े कर दिए हैं। दरअसल, अस्पताल में पोस्टमॉर्टम के बाद कर्मचारी ने बेटे का शव देने से इनकार कर दिया। जब बुजुर्ग मां-बाप ने लाख मिन्नतें की तो उसने कहा- 50 हजार रुपए लेकर आओ फिर शव मिलेगा। बेबस मां-बाप के पास इतने पैसे नहीं। पैसे का इंतजाम भी नहीं हो पा रहा था तो मां-बाप भीख मांगकर पैसे जुटाने लगे ताकि बेटे का अंतिम संस्कार किया जा सके।

25 मई को लापता हो गया था बेटा
दरअसल ताजपुर थाना के आहार गांव का रहने वाला 25 साल का संजीव ठाकुर 25 मई को लापता हो गया था। पिता महेश ठाकुर ने बेटे की काफी तलाश की लेकिन वह नहीं मिला। फिर सात जून को उनके पास खबर आई कि मुसरीघरारी थाना क्षेत्र में एक अज्ञात युवक का शव मिला है। माता-पिता वहां पहुंचे तो उन्हें थाने से जानकारी मिली कि शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है। मां-बाप भागकर सद अस्पताल पहुंचे।

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शव दिखाने में आनाकानी, मांगे 50 हजार
मां-बाप मोस्टमार्टम कर्मचारी से शव दिखाने को कहने लगे लेकिन वह इसमें आनाकानी कर रहा था। काफी मिन्नतों के बाद आखिरकार वह मान गया और शव दिखाया तो मां-बाप ने पहचान लिया कि यह उनका बेटा ही है। इसके बाद उन्होंने बेटे का शव मांगा तो कर्मचारी ने इससे इनकार कर दिया और कहा कि 50 हजार रुपए दो फिर शव दे दूंगा। अगर पैसे नहीं मिले तो शव भी नहीं दूंगा।

बेबस मां-बाप भीख मांगने लगे
बेटे के शव के लिए इतनी बड़ी रकम मां-बाप के पास नहीं था। उन्होंने पैसों के इंतजाम की सोची लेकिन कहीं से कुछ नहीं हो पाया। थक हारकर उन्होंने भीख मांगने का फैसला किया। परिवार की आर्थिक स्थिति  इतनी खराब है कि उनके पास बेटे के शव के अंतिम संस्कार के भी पैसे नहीं। दोनों बुजुर्ग घर-घर जाकर बेटे के शव के लिए पैसे मांगने लगे। इसी दौरान किसी ने उनका वीडियो बना लिया और सोशल मीडिया पर डाल दिया। जैसे ही यह बात अस्पताल प्रबंधन तक पहुंची। तो शव झटपट पुलिस को सौंप दिया गया।

अंतिम संस्कार हुआ
इसके बाद पुलिस ने परिजन को बुलाया और उन्हें शव सौंप दिया। फिर बुजुर्ग ने बेटे का अंतिम संस्कार किया। इधर, अस्पताल के सिविल सर्जन डॉ. एस.के चौधरी का कहना है कि उन्हें इसकी कोई भी जानकारी नहीं थी। मीडिया के जरिए जब बात उन तक पहुंची तो एक बार वे भी चौंक गए। यह मानवता को शर्मसार करने वाला मामला है। इसके दोषी को किसी भी कीमत पर छोड़ा नहीं जाएगा। 

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