राजनीतिक रणनीतिकार से राजनेता बने प्रशांत किशोर की महात्मा गांधी की जयंती के अवसर पर रविवार से शुरू की गई पदयात्रा का दूसरा दिन है। पीके ने अपने जन स्वराज अभियान के तहत बिहार के पश्चिम चंपारण जिले के भितिहारवा प्रखंड स्थित गांधी आश्रम से पदयात्रा शुरू की। पहले दिन की पदयात्रा में प्रशांत किशोर ने 10 किमी की पैदल दूरी तय की।
पश्चिम चंपारण (Bihar). राजनीतिक रणनीतिकार से राजनेता बने प्रशांत किशोर की महात्मा गांधी की जयंती के अवसर पर रविवार से शुरू की गई पदयात्रा का दूसरा दिन है। पीके ने अपने जन स्वराज अभियान के तहत बिहार के पश्चिम चंपारण जिले के भितिहारवा प्रखंड स्थित गांधी आश्रम से पदयात्रा शुरू की। पहले दिन की पदयात्रा में प्रशांत किशोर ने 10 किमी की पैदल दूरी तय की। पीके ने जहां से इस यात्रा की शुरुआत की है इसी जगह से राष्ट्रपिता ने 1917 में अपना पहला सत्याग्रह आंदोलन शुरू किया था। महात्मा गांधी की 153वीं जयंती के अवसर पर शरू की गई इस पदयात्रा के महत्वपूर्ण राजनीतिक मायने बताये जा रहे हैं।
प्रशांत किशोर ने रविवार दोपहर करीब 1.45 बजे अपने समर्थकों के साथ सड़कों पर मार्च निकाला जहां रास्ते में लोगों ने उनका स्वागत किया। पीके की राजनीतिक पारी की शरुआत में इस यात्रा को काफी अहम बताया जा रहा है। खुद प्रशांत किशोर भी ये बात स्वीकार चुके हैं कि इस यात्रा के कई मकसद हैं, इसमें से एक ये भी है कि यात्रा के दौरान जमीनी स्तर पर पूरे सूबे से अच्छे,ईमानदार व मेहनती लोगों का चयन करना भी आसान होगा। वह और उनके समर्थक यात्रा के दौरान बिहार की हर पंचायत और ब्लॉक तक पहुंचने का प्रयास करेंगे। किशोर की यह यात्रा 15 से18 महीनों तक चलने की संभावना है।
32 सालों में बिहार में कुछ नहीं बदला
बिहार की सत्ता में रह चुके सभी राजनीतिक दलों पर हमला करते हुए प्रशांत किशोर ने कहा कि 1990 के बाद से राज्य की स्थिति नहीं बदली है, "हम 30-40 वर्षों से सुनते आ रहे हैं कि शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार होगा लेकिन कुछ भी नहीं बदला है। 1990 में बिहार सबसे गरीब और सबसे पिछड़ा था और 2022 में यह अभी भी वही है। यहां के लोग दूसरे राज्यों में पलायन करने के लिए बाध्य हैं।"
ट्वीट में कहा- पिछड़े राज्य की व्यवस्था बदलने के लिए दृढ संकल्प हूं
यात्रा से पहले, प्रशांत किशोर ने हिंदी में ट्वीट किया कि वह बिहार के सबसे गरीब और सबसे पिछड़े राज्य में व्यवस्था को बदलने के लिए दृढ़ संकल्प हैं, यह भी कहा कि समाज में एक बेहतर व्यवस्था प्राप्त करने के लिए पहला कदम "गांवों में पदयात्रा" है। पीके ने एक दूसरे ट्वीट में कहा, "देश के सबसे गरीब और पिछड़े राज्य में व्यवस्था बदलने का संकल्प। पहला महत्वपूर्ण कदम - बिहार के शहरों, गांवों और कस्बों में 3500 किलोमीटर की पदयात्रा, अगले 12-15 महीनों में बनाने के लिए समाज के सहयोग से एक नई और बेहतर राजनीतिक व्यवस्था। बेहतर और विकसित बिहार के लिए।"
जमीनी स्तर पर सही लोगों का चयन कर उन्हें लोकतांत्रिक मंच पर लाना है लक्ष्य
प्रशांत किशोर और उनके समर्थकों ने पदयात्रा शुरू की तो सड़क पर लोगों ने उनका स्वागत किया। उनके द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है कि यात्रा का लक्ष्य जमीनी स्तर पर सही लोगों की पहचान करना और उन्हें एक लोकतांत्रिक मंच पर लाना है।