सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की बिहार में चुनाव रोकने की याचिका, AAP समेत ये दल भी दंगल में कूदने को तैयार!

अभी तक चुनाव की तारीखें सामने नहीं आई हैं, मगर चुनाव आयोग ने साफ कर दिया है कि चुनाव तय समय पर ही होंगे। दूसरे राज्यों में सक्रिय कई राष्ट्रीय और क्षेत्रीय दल भी बिहार के दंगल में हाथ आजमाने को बेताब हो रहे हैं। 

पटना/नई दिल्ली। भारत में बिहार ऐसा पहला राज्य बनने को तैयार है जहां कोरोना महामारी के बीच विधानसभा के चुनाव कराए जाने हैं। इस साल नवंबर के अंत तक विधानसभा का मौजूदा कार्यकाल समाप्त हो जाएगा। उससे पहले नई विधानसभा का गठन जरूरी है। अभी तक चुनाव की तारीखें सामने नहीं आई हैं, मगर चुनाव आयोग ने साफ कर दिया है कि चुनाव तय समय पर ही होंगे। दूसरे राज्यों में सक्रिय कई राष्ट्रीय और क्षेत्रीय दल भी बिहार के दंगल में हाथ आजमाने को बेताब हो रहे हैं। 

विपक्षी दलों ने महामारी और बाढ़ग्रस्त बिहार में चुनाव कराए जाने को लेकर आयोग के सामने आपत्ति जाहिर की थी। मुख्य विपक्षी दल आरजेडी समेत तमाम दलों ने आयोग को सलाह दी कि महामारी की वजह से चुनाव टाल दिए जाए। इस बीच सुप्रीम कोर्ट में भी एक याचिका लगाकर चुनाव रोकने की मांग हुई थी मगर "प्रीमैच्योर" बताते हुए कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया।   

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सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर क्या कहा? 
अविनाश ठाकुर नाम के व्यक्ति ने अपनी याचिका में कहा था कि सुप्रीम कोर्ट मामले में दखल दे और चुनाव आयोग को बिहार में चुनाव पर रोक लगाने के लिए कहे। मगर याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अभी चुनाव आयोग ने कोई अधिसूचना जारी नहीं की है। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट हस्तक्षेप नहीं कर सकता। कोर्ट ने चुनाव टालने के लिए कोरोना को वैध वजह भी नहीं माना। और यह भी कहा कि कोर्ट कैसे चुनाव आयुक्त को यह बता सकता है कि उन्हें क्या करना चाहिए और क्या नहीं। 

 

केजरीवाल की पार्टी ने लगाए, पोस्टर चर्चा 
बिहार की राजनीति में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी के भी कूदने की चर्चा शुरू हो गई है। पटना के कुछ इलाकों में आप का पोस्टर दिखा है जिसमें नीतीश सरकार के कामकाज की तुलना "कुशासन" से की गई है। पोस्टर में सत्तापक्ष के अलावा विपक्ष पर भी राजनीतिक आरोप लगाए गए हैं। पोस्टर के बाद यह सामने आया है कि आम आदमी पार्टी बिहार की सभी 243 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारकर राज्य में उपस्थिती दर्ज कराएगी। 

2015 में आप ने बिहार में चुनाव नहीं लड़ा था। केजरीवाल ने जेडीयू और आरजेडी के महागठबंधन को सपोर्ट किया था। केजरीवाल ने महागठबंधन नेताओं के साथ एक मंच भी साझा किया था जिसकी बाद में काफी आलोचना हुई थी। वैसे बिहार में इस बार मुख्य रूप से मुक़ाबला सत्ता में काबिज एनडीए (जेडीयू, बीजेपी, एलजेपी, हम भी शामिल होगी) और महागठबंधन के बीच होने की संभावना है। महागठबंधन का नेतृत्व आरजेडी कर रहा है जिसमें कांग्रेस, आरएलएसपी, वीआईपी और सीपीआई (एमएल) जैसी पार्टियों के शामिल होने की संभावना है। पप्पू यादव अपनी जन अधिकार पार्टी और राज्य के दूसरे दलों को मिलाकर तीसरा मोर्चा बनाने की कोशिश में हैं। आप की तरह दूसरे राज्यों में सक्रिय दल भी चुनाव लड़ने की इच्छा रखते हैं। 

 

बड़े दलों का हेल बिगाड़ेंगे ये छोटे खिलाड़ी 
बिहार चुनाव में आप के अलावा असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम, बसपा, एनसीपी भी चुनाव मैदान में होगी। एनसीपी 2015 से पहले तक महागठबंधन का हिस्सा थी। समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव ने अभी चुनाव को लेकर अपनी योजनाओं का खुलासा नहीं किया है। लेकिन चुनाव में उनकी भूमिका निश्चित मानी जा रही है। पिछले दिनों तेजप्रताप सैफई जाकर अखिलेश से मिले भी थे। मुलाक़ात की डिटेल तो सामने नहीं आई लेकिन कहीं न कहीं ये चुनाव से ही जुड़ा बताया जा रहा है। हो सकता है कि अखिलेश महागठबंधन का सपोर्ट करें। 

बिहार में भीम आर्मी की होगी राजनीतिक एंट्री 
भीम आर्मी चीफ चन्द्रशेखर ने भी राज्य की सभी 243 सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है। मायावती ने विशेष ऐलान तो नहीं किया है लेकिन बसपा का चुनाव लड़ना तय माना जा रहा है। ममता बनर्जी की टीएमसी की भी भूमिका रहेगी। हो सकता है कि ममता महागठबंधन को सपोर्ट करें। तीसरे दलों की बहुत बड़ी भूमिका तो नहीं होगी, लेकिन ये बिल्कुल साफ है कि बिहार विधानसभा चुनाव में उनकी मौजूदगी असर डालेगी। तीसरे दल भले ही निर्णायक भूमिका न निभा पाए मगर कुछ जगहों पर बड़े दलों की हार-जीत का कारण बन सकते हैं। अब चुनाव की घोषणा के बाद ये साफ हो पाएगा कि ये दल एनडीए या महागठबंधन में से किसको नुकसान पहुंचाते हैं। या फिर खुद की बड़ी भूमिका बना पाते हैं। 

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