उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी RLSP जेडीयू में हुई विलय, CM नीतीश से 6 मुलाकात के बाद फाइनल हुई ये डील

उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि हमारे पास सामाजिक और राजनीतिक संघर्ष के लिए इसके अलावा और कोई विकल्प नहीं बचा था। वह नीतीश कुमार की राजनीति के मुरीद रहे हैं। भले ही वह साथ नहीं थे, लेकिन नीतीश की तारीफ करते रहे हैं।

पटना (Bihar) । राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (RLSP) का विलय जेडीयू में रविवार को हो गया। इसके जेडीयू कार्यालय में मिलन समारोह का आयोजन किया गया था। इसमें खुद सीएम नीतीश कुमार भी मौजूद रहें। हालांकि इसके पहले मीडिया से बातचीत करते हुए उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि हम लोगों ने फैसला लिया है कि राष्ट्रीय लोक समता पार्टी का काफिला अब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में काम करेगा। देश और राज्य की परिस्थिति को ध्यान में रखते हुए यह निर्णय लिया गया है। हम लोग JDU के साथ मिलकर काम करेंगे। बता दें कि कई सालों से उपेंद्र कुशवाहा लगातार नीतीश कुमार के खिलाफ राजनीति करते रहे हैं। खुले तौर पर उनका विरोध करते रहे हैं। पहली बार JDU से अलग होने के बाद उन्होंने सबसे पहले 'नव निर्माण मंच' बनाया था। इसके बाद वो शरद पवार की पार्टी NCP में चले गए थे। फिर 3 मार्च 2013 को राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के नाम से नई पार्टी बनाई।

कोई विकल्प नहीं बचा थाः उपेंद्र
उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि हमारे पास सामाजिक और राजनीतिक संघर्ष के लिए इसके अलावा और कोई विकल्प नहीं बचा था। वह नीतीश कुमार की राजनीति के मुरीद रहे हैं। भले ही वह साथ नहीं थे, लेकिन नीतीश की तारीफ करते रहे हैं।

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पुराने घर में ऐसे आए उपेंद्र
नीतीश कुमार और उपेंद्र कुशवाहा के बीच लगभग 6 बार बात हुई। इस दौरान ही रालोसपा के जेडीयू में विलय की कहानी लिखी गई। ये फैसला हो चुका था कि बहुत जल्द उपेंद्र कुशवाहा फिर से अपने पुराने घर यानी जेडीयू में आएंगे और बिहार में नीतीश कुमार के साथ मिलकर लव-कुश फैक्टर को मजबूत करेंगे।

...तो इस शर्त पर हुई है डील
बिहार चुनाव में जहां उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी को करारी हार का सामना करना पड़ा था, वहीं जेडीयू का भी प्रदर्शन काफी निराशाजनक था। वहीं, मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक विलय के बाद पूर्व केंद्रीय मंत्री व RLSP प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा की पत्नी स्नेह लता को विधान परिषद का सदस्य बनाकर बिहार की राजनीति में एक्टिव किया जाएगा। JDU उन्हें राज्यपाल कोटे से MLC बनाएगी। मंत्रिमंडल विस्तार कर नीतीश कुमार उन्हें अपनी सरकार में जगह देंगे। शिक्षा विभाग की जिम्मेदारी दी जा सकती है। जबकि उपेंद्र कुशवाहा को केंद्र की राजनीति के लिए राज्यसभा भेजा जाएगा। इन्हीं शर्तों पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से उपेंद्र कुशवाहा की डील हुई है।

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