दलाई लामा की बोधगया यात्रा कई मामलों को लेकर काफी अहम मानी जा रही है। तिब्बती राइट्स कलेक्टिव के मुताबिक ये यात्रा पूरी दुनिया को इस तरह देखना चाहिए कि तिब्बत के मुद्दे को भुलाया न जा सके।
बोधगया(Bihar). दलाई लामा की बोधगया यात्रा कई मामलों को लेकर काफी अहम मानी जा रही है। तिब्बती राइट्स कलेक्टिव के मुताबिक ये यात्रा पूरी दुनिया को इस तरह देखना चाहिए कि तिब्बत के मुद्दे को भुलाया न जा सके। तिब्बती राइट्स कलेक्टिव के मुताबिक दलाई लामा की इस यात्रा में दुनिया भर के विभिन्न देशों से आए 8000 से अधिक श्रद्धालुओं ने धर्मोपदेश के लिए पंजीकरण करवाया है। इसमें सबसे ज्यादा श्रीलंका, थाईलैंड, और म्यामांर के श्रद्धालु शामिल थे। तिब्बती राइट्स कलेक्टिव के मुताबिक इतनी अधिक संख्या में विदेशी श्रद्धालुओं की भागीदारी ये बात दर्शाती है कि बौद्ध धर्म के अनुयायियों और पूरी दुनिया के बीच दलाई लामा और बौद्ध दर्शन के प्रभाव कितना अधिक है।
तिब्बती राइट्स कलेक्टिव ने बताया कि तिब्बत और भारतीय प्राचीन ज्ञान के लिए दलाई लामा केंद्र का निर्माण "उन भारतीय परंपराओं पर ध्यान केंद्रित करेगा, जिन्होंने 7वीं शताब्दी में तिब्बत में जड़ें जमाईं और बाद में दलाई लामाओं द्वारा अभ्यास और प्रचारित किया गया। इसको लेकर जो भूमिका वर्तमान में दलाई लामा ने भारतीय ज्ञान के संरक्षण में निभाई है वह मजबूत भारत-तिब्बत संबंधों" को प्रदर्शित करती है।
चीन तिब्बत के प्राकृतिक संसाधनों को कर रहा नष्ट
दलाई लामा की बोधगया यात्रा ऐसे समय में हो रही है जब चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) दलाई लामा के पुनर्जन्म की मान्यता में हस्तक्षेप करने की कोशिश कर रही है। तिब्बती बच्चों को औपनिवेशिक शैली के बोर्डिंग स्कूलों में भेज रही है। यही नहीं तिब्बती स्कूलों और मठों को बंद किया जा रहा है। तिब्बती राइट्स कलेक्टिव रिपोर्ट के अनुसार, चीन तिब्बत के प्राकृतिक संसाधनों का दोहन कर रहा है इससे वहां जलवायु परिवर्तन का खतरा मंडरा रहा है। यही नहीं संयुक्त राष्ट्र संघ भी सीसीपी द्वारा किए जा रहे अनैतिक कार्यों के लिए उसे जवाबदेह ठहराने में असमर्थ रहा है।
बोधिचित्त का अभ्यास बुद्ध की सभी शिक्षाओं का सार- दलाई लामा
तिब्बती राइट्स कलेक्टिव की रिपोर्ट के अनुसार, बोधगया में कालचक्र प्रवचन स्थल दलाई लामा ने कहा कि बोधिचित्त का अभ्यास बुद्ध की सभी शिक्षाओं का सार है। दलाई लामा ने COVID-19 के प्रसार को रोकने के लिए मणि और तारा मंत्रों का पाठ करके दूसरा शिक्षण शुरू किया। प्रोजेक्ट 'फ्लेम ऑफ होप' के प्रतिनिधियों ने दलाई लामा को एक लालटेन भेंट की, जिसकी लौ हिरोशिमा में शांति की लौ से जलाया गया। दलाई लामा को "एक पृथ्वी - एक प्रार्थना - एक लौ" के नारे के साथ प्रस्तुत परियोजना "बच्चों के दिलों में शांति की आशा की चिंगारी जलाकर" दुनिया को बदलने की इच्छा रखती है।