शौचालय निर्माण राशि नहीं मिलने पर लोगों का अनोखा विरोध, लोटा ले पहुंचे प्रखंड, बोले- यहीं करेंगे शौच

मुजफ्फरपुर के औराई प्रखंड में लोगों ने कमीशनखोरी का विरोध अनोखे अंदाज में किया। यहां जन संघर्ष मोर्चा नामक संगठन के बैनर तले बड़ी संख्या में ग्रामीण सुबह-सुबह ब्लॉक ऑफिस पहुंच गए और बीडीओ के दफ्तर के बाहर बैठ गए। 

Asianet News Hindi | Published : Jan 16, 2020 6:54 AM IST

मुजफ्फरपुर। स्वच्छता अभियान के तहत सरकार हर घर में शौचालय बनवा रही है। इसके लिए बिहार में प्रति शौचालय लाभुक को 12 हजार रुपए का अनुदान सरकार की ओर से दिया जा रहा है। लेकिन इस अनुदान पर कई जगह से कमीशन मांगने की शिकायत सामने आई है। जिसका लोगों ने विरोध भी किया है। लेकिन मुजफ्फरपुर के औराई प्रखंड में लोगों ने कमीशनखोरी का विरोध अनोखे अंदाज में किया। यहां जन संघर्ष मोर्चा नामक संगठन के बैनर तले बड़ी संख्या में ग्रामीण सुबह-सुबह ब्लॉक ऑफिस पहुंच गए और बीडीओ के दफ्तर के बाहर बैठ गए। लोगों ने कहा कि यदि मामले  में कार्रवाई नहीं हुई तो प्रखंड परिसर में ही शौच कर उसे गंदा कर देंगे।

लोगों ने 24 जनवरी तक की दी समय सीमा
विरोध कर रहे लोगों ने कहा कि कई लोगों को शौचालय निर्माण के दो साल से अधिक समय बीत जाने के बाद भी प्रोत्साहन राशि नहीं मिला। उन्होंने बताया कि प्रोत्साहन राशि के लिए दो हजार रुपए कमीशन मांगा  जा रहा है। जिसका विरोध करने पर राशि लटका दिया गया। जनसंघर्ष मोर्चा के बैनर तले लोगों ने प्रखंड के अधिकारियों को 24 जनवरी तक का समय दिया। लोगों ने कहा कि यदि 24 जनवरी तक प्रोत्साहन राशि का भुगतान नहीं होता है तो ब्लॉक परिसर में ही शौच कर उसे गंदा कर देंगे। लोटा लेकर विरोध करने पहुंचे लोगों में पुरुषों के साथ-साथ महिलाएं भी थी। उन्होंने भी यही मांग रखी। 

कर्ज लेकर बनवाया शौचालय, अब भर रहे ब्याज
विरोध कर रहे लोगों ने बताया कि हम लोगों ने कर्ज लेकर शौचालय का निर्माण कराया। तब कहा गया था कि शौचालय निर्माण की प्रोत्साहन राशि जल्द ही खाते में दे दी जाएगी। सभी लोगों ने अपना-अपना बैंक खाता संख्या भी दिया था। लेकिन लंबा समय बीत जाने के भी हमलोगों को प्रोत्साहन राशि नहीं मिला। लोगों ने कहा कि जिन लाभुकों ने दो हजार रुपए बतौर कमीशन दी, उनका पैसा आ गया। ऐसे में विरोध कर रहे लोगों का कहना है कि जब सरकार हमें शौचालय बनाने के लिए 12 हजार दे रही है तो हम बिचौलियों को क्यों दो हजार दें। 
 

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