एक तबलची सिंगिंग की दुनिया में कैसे तहलका मचा गया...म्यूजिक में कैसे आ गए Bappi Lahiri , जानिए

डिस्को किंग कहे जाने वाले बप्पी दा का निधन हो गया है.  बॉलीवुड को 70 के दशक में डिस्को और रॉक म्यूजिक से रूबरू करवाया, आइए जानते हैं एक तबलची सिंगिंग की दुनिया में कैसे तहलका मचा गया
 

नई दिल्ली :  बॉलीवुड को 70 के दशक में डिस्को और रॉक म्यूजिक से रूबरू करवाने वाले संगीतकार बप्पी लाहिड़ी (Bappi Lahari) का निधन हो गया है। वे 69 साल के थे। उन्होंने मुंबई के एक अस्पताल में अंतिम सांस ली। बप्पी लहिरी पिछले काफी समय से बीमार चल रहे थे और उनका इलाज क्रिटी केयर अस्पताल में चल रहा था.आज हम आपको बताने जा रहे बप्पी दा से जुड़े हुए अनसुने किस्से, जिसे जानकर आप हैरान हो जाएंगे. जैसे कि बप्पी दा  म्यूजिक की दुनिया में किस तरह से आ गए और उन्होंने किस तरह से दुनियाभर को अपनी सिंगिंग का दिवाना बनाया. 

मैं तबलची था
लगभग 17 साल पहले एक इंटरव्यू में बप्पी लहरी ने बताया था कि वह तबलची थे, यानी बचपन से तबला बजाना पसंद करते थे. बप्पी लहरी ने कहा था कि उन्होंने जो गाने बनाए वह 25 साल के बाद भी लोगों के बीच लोकप्रिय हैं. बप्पी लहरी ने अमिताभ बच्चन और अभिषेक बच्चन के लिए भी गाने गाए और कंपोज किए. इस पर उन्होंने कहा कि उनका सौभाग्य है उन्होंने दो पीढ़ियों के लिए संगीत की दुनिया में काम किया. अमिताभ की नमक हलाल और शराबी जैसी फिल्मों में काम किया. 

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गीतकार इंदीवर के गाने थे बहुत पसंद 
एक सवाल पर बप्पी लहरी ने कहा था गीतकार इंदीवर के गाने उन्हें बहुत पसंद रहे हैं. उनके गानों में मुंबई की हकीकत दिखती है बप्पी दा ने बताया था कि संगीत की परंपरा शुरू से ही उनके घर में रही है. मेरा पिता और माता दोनों ही बड़े गायक थे, जिसकी वजह से मेरा बचपन से संगीत से लगाव रहा, हमने घर पर ही संगीत सीखा, मेरा बचपन से ही तबला बजता था. इंदीवर के गीत का जिक्र कर बप्पी दा ने बताया था कि 'आना जाना लगा रहेगा, सुख जाएगा, दुख आएगा...' उन्हें बहुत पसंद है.

पंडित शांता प्रसाद जी ने तबला बजना सीखाया
बप्पी लहरी के पिताजी ने लता मंगेशकर के गाने में संगीत दिया, जबकि बंगाली फिल्म इंडस्ट्री में उनकी मां पहली म्यूजिक डायरेक्टर थीं.  बप्पी लहरी ने इस इंटरव्यू में बताया था कि बनारस घराने के पंडित शांता प्रसाद जी से उन्होंने तबला बजाना सीखा और वह 3 साल की उम्र से शास्त्रीय तबला बजाया करते थे.

बचपन से ही था मुंबई से खास लगाव
बप्पी लहरी ने यह भी बताया कि उन्होंने 11 साल की उम्र से ही म्यूजिक कंपोज करना शुरू कर दिया था. इसके साथ ही हमने पियानो बजाना शुरू किया, मेरा सपना था कि मुंबई में जाकर कुछ करूं. मुंबई से खास लगाव को लेकर बप्पी लहरी ने कहा था कि विनोद खन्ना के ऊपर फिल्माया गया बंबई से आया मेरा दोस्त गाना उनके इसी लगाव का नतीजा है. उन्होंने कहा कि 'बंबई से आया मेरा दोस्त' गाना 1976 में गाया था, इसके बाद हमने 2005 में 'लाख-लाख आकर इस शहर में बस जाते हैं' गाना गाया. 

आज के गाने 20-20 मैच की तरह 
 70-80 के दशक और आज के संगीत में बदलाव के बारे में लहरी ने कहा था कि मेरा संगीत सदाबहार है, आज भी  मेरे पुराने गाने डिस्को में बजते रहते हैं. मैंने पहले साल पहले जो गाने गाए वो आज भी बज रहे, लेकिन आज के संगीत में थोड़ी सी कमी है, आज कल के गाने 20-20 मैच की तरह है, पहले के गाने अमर थे  वो टेस्ट मैच की तरह थे. आज के गाने शो बन गए हैं, पहले के गाने लोग सुनते थे, लेकिन आज के गाने लोग देखते हैं.

गानों के प्रोमोशन की जरूरत नहीं पड़ती
बप्पी लहरी ने बताया था कि 20-25 साल पहले बनाए गए नमक हलाल या डिस्को डांसर तोहफा या हिम्मतवाला फिल्मों  के गाने आज भी जब स्टेज पर गाये जाते हैं तो इनकी लिरिक्स सदाबहार है, इस कारण दशकों पुराने गाने आज भी लोकप्रिय हैं. बप्पी दा ने कहा था कि आज के गानों को प्रोमोशन की जरूरत पड़ती है, बिना टीवी पर दिखाए गाने लोकप्रिय नहीं होते, फिर भी 3-4 महीनों के बाद गानों की पॉपुलैरिटी कम हो जाती है. खुशमिजाज तबीयत और जिंदादिली की मिसाल बप्पी लहरी इस इंटरव्यू में जमकर ठहाके लगाते भी दिखे थे. अभिनेत्री बिपाशा बसु से जुड़े एक सवाल पर बप्पी दा ने बताया था कि वो (बिपाशा) चाहें तो उनके सारे सोने के गहने दे दूंगा. बता दें कि बिपाशा ने मजाकिया अंदाज में कहा था कि वे बप्पी लहरी के सोने के गहने चुराने के लिए चोर बनने तक को तैयार हैं.
 

संगीत जगत को एक के बाद एक बड़े झटके
बता दें कि इस महीने संगीत जगत को एक के बाद एक बड़े झटके लगे हैं। बप्पी लहिरी से पहले स्वर कोकिला लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar) का 6 फरवरी को मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया था। वहीं, मंगलवार को बंगाली सिंगर संध्या  मुखर्जी का दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया।

बप्पी लाहिड़ी ने 70 के दशक में फिल्म इंडस्ट्री में कदम रखा और 80 के दशक में वे छाए रहे। हर फिल्म में गाने के लिए वे निर्माताओं की पहली पसंद रहे। उन्हें  पहचान साल 1975 में आई फिल्म 'ज़ख्मी' से मिली। बप्पी दा के गाए गीत 'बंबई से आया मेरा दोस्त, आई एम ए डिस्को डांसर, जूबी-जूबी, याद आ रहा है तेरा प्यार, यार बिना चैन कहां रे, तम्मा तम्मा लोगे, आज भी लोगों की जुबां पर चढ़े रहते हैं।

यह भी पढ़ें- मशहूर सिंगर Bappi Lahiri का निधन, 69 की उम्र में मुंबई के अस्पताल में ली अंतिम सांस

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