जया बच्चन पर भड़कीं जया प्रदा, बोलीं- अमर सिंह के मामले में आखिर किसने किसकी थाली में छेद किया था

जया बच्चन (Jaya Bachchan) द्वारा संसद में दिए गए थाली में छेद वाले बयान को लेकर अब एक्ट्रेस जया प्रदा (Jaya Prada) भी भड़क गई हैं। इस मामले में जया प्रदा ने रवि किशन (Ravi Kishan) का बचाव करते हुए अपनी बात कही। इसके साथ ही उन्होंने जया बच्चन को अमर सिंह (Amar Singh) के अहसानों को याद दिलाते हुए उनसे पूछा है कि वहां पर किसने थाली में छेद किया था?

Asianet News Hindi | Published : Sep 18, 2020 9:17 AM IST

मुंबई। जया बच्चन (Jaya Bachchan) द्वारा संसद में दिए गए थाली में छेद वाले बयान को लेकर अब एक्ट्रेस जया प्रदा (Jaya Prada) भी भड़क गई हैं। इस मामले में जया प्रदा ने रवि किशन (Ravi Kishan) का बचाव करते हुए अपनी बात कही। इसके साथ ही उन्होंने जया बच्चन को अमर सिंह (Amar Singh) के अहसानों को याद दिलाते हुए उनसे पूछा है कि वहां पर किसने थाली में छेद किया था?

Jaya Bachchan, Jayaprada in poll mode | Page 8 | The Times of India

एक चैनल को दिए इंटरव्यू में जयाप्रदा ने कहा कि फिल्म इंडस्ट्री का अपमान करने की हिम्मत किसी में नहीं है। जहां तक रवि किशन जी के संसद में दिए बयान की बात है तो मैं उनका समर्थन करती हूं। उन्होंने कोई गलत बात नहीं की है। उन्होंने सिर्फ इतना ही कहा है कि इंडस्ट्री के चंद लोग ड्रग्स मामले में शामिल हैं और उन पर लगाम कसना जरूरी है ताकि आने वाली पीढ़ी और देश के युवाओं को ड्रग्स की लत से बचाया जा सके। इसमें उन्होंने पूरी इंडस्ट्री को दोषी नहीं ठहराया है।

जया बच्चन पर पलटवार करते हुए जया प्रदा ने कहा, सुशांत केस के सामने आने के बाद नारकोटिक्स ब्यूरो भी इसमें एक्टिव हो गया है। लेकिन जया जी को पता नहीं, ऐसा क्यों लगा कि वो गुस्सा हो गईं और उन्हें कहना पड़ा कि ये बॉलीवुड का अपमान है। शायद इसे उन्होंने व्यक्तिगत तौर पर ले लिया। लेकिन आपको ये समझना होगा कि ये किसी व्यक्ति विशेष पर आरोप नहीं हैं।

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इतना ही नहीं, जया प्रदा ने अमर सिंह के अहसानों को याद दिलाते हुए कहा, जया जी अमर सिंह जी आपके और आपके परिवार के साथ थे, लेकिन आपने उनके साथ क्या किया? दुख के समय पर अमर सिंह जी ने आपका साथ दिया था। लेकिन आपको ये बात याद नहीं है। और जब अमर सिंह जिंदगी और मौत के बीच लड़ रहे थे, तो उस समय पर आपके परिवार को उन्हें याद करने का भी वक्त नहीं मिला। अमर सिंह जी के मरने के बाद उनके लिए सिर्फ दो लाइन की कविता लिखते हैं। यही तरीका होता है क्या। ये मतलब की राजनीति है। कौन किसकी थाली में छेद कर रहा है?

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