गायिका के बेहद करीबी पद्मा सचदेव ने अपनी किताब ‘ऐसा कहां से लाऊं’में इस साजिश का जिक्र किया है। उस वक्त लता मंगेशकर 32 साल की थी।
मुंबई. लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar) भले ही अब हमारे बीच नहीं हैं। लेकिन गानों के जरिए वो हमेशा हमारे बीच जिंदा रहेंगी। उनकी बेमिसाल गानों में उनकी धड़कनों को हम जब चाहे सुन सकते हैं। लता की पहचान उनकी आवाज ही थी जो कि सदा हमारे बीच रहने वाली हैं। लता मंगेशकर ने अपने जीवन में कई उतार-चढ़ाव देखें। 13 साल की उम्र में पिता का साया सिर से उठ जाने पर पूरे परिवार की जिम्मेदारी उनके कंधे पर आ गई। जिसे नाम सिर्फ उन्होंने निभाया, बल्कि तमाम चुनौतियों के बीच अपने नाम को अमर कर दिया।
लेकिन बहुत कम ही लोगों को पता है कि उनकी जिंदगी में एक ऐसा भी वक्त आया जब उन्हें मारने की कोशिश की गई। गायिका के बेहद करीबी पद्मा सचदेव ने अपनी किताब ‘ऐसा कहां से लाऊं’में इस साजिश का जिक्र किया है। उस वक्त लता मंगेशकर 32 साल की थी। एक दिन जब वो सुबह उठी तो उनके पेट में जबरदस्त दर्द हुआ। उनकी हालत ऐसी थी कि अपनी जगह से हिलने में भी उन्हें दिक्कत होने लगी।
एक सुबह उनकी तबीयत हुई खराब
किताब में लिखा गया है कि इसके बाद उन्हें हरे रंग की उल्टियां आनी शुरू हो गई। इसके साथ उनका शरीर कांपने लगा। जिसके बाद डॉक्टर को बुलाया गया। जांच में पता चला कि उन्हें स्लो प्वॉइजन दिया गया है। हालांकि उन्हें किसने मारने की कोशिश की इसका खुलासा आज तक नहीं हुआ है।
किचन का कमान उषा मंगेशकर ने अपने हाथ में ले लिया
किताब में जिक्र है कि जिस दिन यह सब हुआ उसी दिन उनका कुक अचानक गायब हो गया। उसने अपने वेतन तक नहीं लिया था। जिसके बाद आशा ताई का खाना बनाने की जिम्मेदारी उनकी छोटी बहन ऊषा मंगेशकर ने अपने हाथों में ले लिया।
30 हजार से भी ज्यादा लता ने गाए
बता दें कि लता मंगेशकर ने 20 से ज्यादा भाषाओं में 30 हजार से ज्यादा गाने गाए हैं। उन्हें कई अवॉर्ड से सम्मानित भी किया गया है।भारत सरकार ने साल 2001 में उन्हें 'भारत रत्न' (सर्वोच्च नागरिक का सम्मान) के सम्मान से सम्मानित किया है।
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