Rocketry Movie Review: माधवन के कंधों पर टिकी देशभक्ति और जज्बात से भरी कहानी है 'रॉकेट्री: द नाम्बी इफेक्ट'

वैज्ञानिक और इसरो के एयरोस्पेस इंजीनियर नाम्बी नारायणन (Nambi Narayanan) की बायोपिक 'रॉकेट्री: द नाम्बी इफेक्ट' (Rocketry: The Nambi Effect) थिएटर्स में रिलीज हो चुकी है। फिल्म उनकी स्टूडेंट लाइफ से लेकर अब तक के जीवन की कहानी बयां करती है...

एंटरटेनमेंट डेस्क. बतौर डायरेक्टर, प्रोड्यूसर और राइटर आर माधवन की पहली फिल्म 'रॉकेट्री: द नाम्बी इफेक्ट' रिलीज हो चुकी है। अगर आप इस फिल्म को देखने का मन बना रहे हैं तो पहले यहां जान लीजिए कि यह फिल्म किस तरह की है...

एशियानेट रेटिंग3.5/5
डायरेक्शनआर माधवन
स्टार कास्टआर माधवन, सिमरन, रजित कपूर, मीशा घोषाल, शाहरुख खान आदि
प्रोड्यूसर्ससरिता माधवन, आर माधवन, वर्गीस मूलन और विजय मूलन
म्यूजिकसैम सीएस
जॉनरबायोग्राफिकल ड्रामा

 

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कहानी
फिल्म की कहानी फ्लैश बैक से शुरू होती है जहां नाम्बी पर जासूसी के आरोप लगने के बाद उन्हें और उनके परिवार को प्रत्याड़ित किया जाता है। इसके बाद उनकी पूरी कहानी दिखाई जाती है कि कैसे वो ब्रिलियंट स्टूडेंट से साइंटेस्ट बने और फिर जासूसी के आरोपों में फंस जाते हैं। इसके आगे कि कहानी जानने के लिए आपको फिल्म देखनी होगी। फिल्म का सबसे अच्छा पॉइंट इसका क्लाइमैक्स है जहां वैज्ञानिक नाम्बी नारायणन खुद आकर कुछ सवालों के जवाब देते हैं और दर्शकों को झकझोर के रख देते हैं।

एक्टिंग 
माधवन ने नाम्बी जैसा दिखने के लिए हरसंभव कोशिश की है। इसके लिए उन्होंने सिर्फ लुक ही नहीं जज्बातों पर भी मेहनत की है। उन्होंने नाम्बी की स्टाइल को कॉपी किया है और इमोशनल सीन्स में उनकी एक्टिंग काबिल-ए-तारीफ है। खास बात यह है कि यह सब उन्होंने फिल्म का निर्देशन, प्रोडक्शन और राइटिंग संभालते हुए किया। बाकी के कलाकारों ने माधवन का भरपूर साथ दिया है पर कहना होगा कि फिल्म पूरी तरह से माधवन के कंधों पर टिकी हुई है।

राइटिंग और डायरेक्शन
शुरुआत में फिल्म की कहानी थोड़ी से पेचीदा लगती है क्योंकि यहां साइंस का जिक्र ज्यादा किया गया है पर जैसे-जैसे आप नाम्बी की कहानी से जुड़ते जाते हैं आपको यह फिल्म अच्छी लगने लगती है। खासतौर से इंटरवल के बाद जब नाम्बी अपने ऊपर लगे जासूसी के आरोपों को मिटाकर खुद को बेगुनाह साबित करने की कोशिश करते हैं। माधवन ने सधा हुआ निर्देशन किया है। फिल्म कहीं कहीं समझने में मुश्किल लगती है। खासतौर से जब साइंस का जिक्र होता है और अंग्रेजी संवादों में वार्तालाप किया जाता है। कई जगह सबटाइटल्स की कमी महसूस होती है, बाकी इसमें कोई खास कमी नहीं है।

म्यूजिक
म्यूजिक के नाम पर फिल्म में 'बहने दो...' और 'आसमान...' नाम के दो गाने हैं। बाकी पूरा दारोमदार इंस्ट्रूमेंटल म्यूजिक और बैकग्राउंड स्कोर पर है। सैम सीएस का बैकग्राउंड म्यूजिक सिचुएशन के हिसाब से सही चलता है।

क्यों देखें और क्यों नहीं
यह फिल्म एक बार जरूर देखनी चाहिए ताकि हम अपने देश के गौरव नाम्बी नारायणन की कहानी जान सकें। इसके अलावा फिल्म न देखने का कोई खास कारण नहीं है पर अगर आप मसाला फिल्में देखने के शौकीन है तो इस फिल्म को देखने न जाएं क्योंकि यह फिल्म एक देशभक्ति और जज्बात से भरी हुई कहानी बयां करती है।

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