एशियाई देशों में अगले साल भयानक मंदी लेकिन भारत के लिए खुशखबरी, देखिए ब्लूमबर्ग सर्वे रिपोर्ट

मूडीज एनालिटिक्स इंक में एशिया पैसिफिक के चीफ इकोनामिस्ट स्टीवन कोचरन ने कहा कि ऊर्जा की बढ़ती कीमतों ने जर्मनी और फ्रांस जैसे देशों को सबसे ज्यादा प्रभावित किया है, जिससे उस क्षेत्र के बाकी हिस्सों पर प्रभाव पड़ा है। सामान्य तौर पर, एशिया में मंदी का जोखिम लगभग 20-25% है। उन्होंने कहा कि अमेरिका में मंदी की संभावना लगभग 40% है, जबकि यूरोप में 50-55% है।

Dheerendra Gopal | Published : Jul 25, 2022 3:56 PM IST / Updated: Jul 25 2022, 09:27 PM IST

Asian economies at risk of recession एशिया की अर्थव्यवस्था संकट में है। एशियाई देशों की अर्थव्यवस्थाओं पर मंदी का खतरा बढ़ता जा रहा है। सबसे अधिक 85 प्रतिशत खतरा श्रीलंका में है। चीन, पाकिस्तान, जापान में भी आर्थिक मंदी की आशंका जताई जा रही है। हालांकि, सर्वे में भारत में मंदी की संभावना शून्य आंकी गई है। अर्थशास्त्रियों के नवीनतम ब्लूमबर्ग सर्वेक्षण के अनुसार, एशियाई अर्थव्यवस्थाओं में मंदी का खतरा बढ़ रहा है क्योंकि उच्च कीमतें, केंद्रीय बैंकों को अपनी इंटरेस्ट रेट्स में वृद्धि की गति में तेजी ला दी है।

किस देश में आर्थिक मंदी की कितनी आशंका?

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सबसे खराब आर्थिक संकट से गुजर रहे श्रीलंका के लिए अगला साल और खराब गुजरने की आशंका जताई गई है। श्रीलंका के अगले वर्ष मंदी की चपेट में आने की 85% संभावना है। पिछले सर्वे से 33% से अधिक है। अर्थशास्त्रियों ने न्यूजीलैंड, ताइवान, ऑस्ट्रेलिया और फिलीपींस में मंदी की संभावना को क्रमशः 33%, 20%, 20% और 8% आंका है। कई अन्य एशियाई अर्थव्यवस्थाओं के लिए मंदी की संभावना सर्वे में कोई परिवर्तन नहीं हुआ है। चीन मंदी में प्रवेश करेगा, अर्थशास्त्री 20 प्रतिशत संभावना जता रहे हैं। जबकि 25% संभावना है कि दक्षिण कोरिया या जापान भी मंदी का शिकार होंगे।

एशिया या यूरोपीय देशों में क्या है स्थिति

सर्वे में एशियाई देशों की अर्थव्यवस्थाओं में मंदी का जोखिम बढ़ता दिख रहा है। हालांकि, सर्वे रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि यूरोप या अमेरिका जैसे देशों की तुलना में अभी यहां प्रभाव कम होगा। यूरोप और संयुक्त राज्य अमेरिका की तुलना में एशियाई अर्थव्यवस्थाएं काफी हद तक लचीली बनी हुई हैं।

अमेरिका, यूरोप में मंदी की क्या है संभावना?

मूडीज एनालिटिक्स इंक में एशिया पैसिफिक के चीफ इकोनामिस्ट स्टीवन कोचरन ने कहा कि ऊर्जा की बढ़ती कीमतों ने जर्मनी और फ्रांस जैसे देशों को सबसे ज्यादा प्रभावित किया है, जिससे उस क्षेत्र के बाकी हिस्सों पर प्रभाव पड़ा है। सामान्य तौर पर, एशिया में मंदी का जोखिम लगभग 20-25% है। उन्होंने कहा कि अमेरिका में मंदी की संभावना लगभग 40% है, जबकि यूरोप में 50-55% है।

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