अमेजन-फ्लिपकार्ट पर कैट ने की सख्त कार्रवाई की मांग, FDI नियमों के उल्लंघन का है आरोप

कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) ने ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म अमेजन (Amazon) और फ्लिपकार्ट (Filpkart) पर एफडीआई (FDI) नियमों के उल्लंघन का आरोप लगाते हुए 3.8 लाख करोड़ रुपए का जुर्माना लगाने की मांग की है। 

Asianet News Hindi | Published : Nov 23, 2020 10:10 AM IST

बिजनेस डेस्क। कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) ने  ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म अमेजन (Amazon) और फ्लिपकार्ट (Filpkart) पर एफडीआई (FDI) नियमों के उल्लंघन का आरोप लगाते हुए 3.8 लाख करोड़ रुपए का जुर्माना लगाने की मांग की है। कैट ने इन कंपनियों के खिलाफ देश भर में 20 नवंबर से 40 दिनों का अभियान शुरू किया है। कैट ने कहा है कि ये ई-कॉमर्स कंपनियां कानून का उल्लंघन कर रही हैं और अब तक उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है।

विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम के उल्लंघन का आरोप
कैट ने अमेजन (Amazon) के खिलाफ आंतरिक व्यापार एवं उद्योग संवर्धन विभाग (DPIIT) के सचिव को ज्ञापन भेजा है। इसमें कैट ने अमेजन और फ्लिपकार्ट पर विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, 1999 के तहत कई नियमों के उल्लंघन का आरोप लगाया है और इन कंपनियों पर सख्त कार्रवाई करने की मांग की है। 

1999 की धारा 13 के तहत जुर्माना लगाने की मांग
कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बी. सी. भरतिया और महासचिव प्रवीण खंडेलवाल ने आंतरिक व्यापार एवं उद्योग संवर्धन विभाग (DPIIT) के सचिव को भेजे ज्ञापन में अमेजन पर विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, 1999 की धारा 13 के तहत जुर्माना लगाने की मांग की है, जो उनके निवेश का तीन गुना है। कैट का कहना है कि ये कंपनियां विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (FEMA) का उल्लंघन कर रही हैं। कैट ने अमेजन पर 1,20,000 करोड़ रुपए और फ्लिपकार्ट पर 3.8 करोड़ रुपए जुर्माना लगाने की मांग की है। कैट का कहना है कि अमेजन और वॉलमार्ट के कैपिटल डंपिंग की वजह से भारत में लाखों लोग बेरोजगार हो गए हैं।

छोटे और मझोले व्यापारियों को हो रहा नुकसान
कैट ने कहा है कि विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (FEMA) उन हजारों छोटे और मझोले व्यापारियों के हितों की रक्षा के लिए बनाए गए हैं, जो सीमित साधनों के चलते विदेशी कंपनियों से प्रतियोगिता में नहीं टिक सकते। कैट का कहना है कि ये कंपनियां जिस देश में गईं, वहां के स्थानीय उद्योग को बर्बाद कर दिया। कैट ने कहा है कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है, इसलिए यहां इन कंपनियों की मनमानी नहीं चल सकती और इन्हें तत्कल भारतीय कानूनों का उल्लंघन बंद कर देना चाहिए।  

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