भारत सरकार शुरू करने जा रही अपनी डिजिटल करंसी, बैंक फ्रॉड रोकने में इससे मिलेगी मदद

भारत सरकार ने अपनी डिजिटल करंसी (Digital Currency) लाने की योजना बनाई है। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) का कहना है कि इससे बैंक से जुड़ी धोखाधड़ी रोकने में मदद मिलेगी।
 

Asianet News Hindi | Published : Mar 13, 2021 9:41 AM IST / Updated: Mar 13 2021, 03:12 PM IST

बिजनेस डेस्क। भारत सरकार ने अपनी डिजिटल करंसी (Digital Currency) लाने की योजना बनाई है। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) का कहना है कि इससे बैंक से जुड़ी धोखाधड़ी रोकने में मदद मिलेगी। रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास (Shaktikanta Das) के मुताबिक, डिजिटल करंसी लाने की योजना पर काम शुरू हो चुका है। इससे लोन देने की प्रक्रिया समेत वित्तीय मामलों में पारदर्शिता बढ़ेगी।

बैंकिंग धोखाधड़ी के मामलों में हुई बढ़ोत्तरी
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की अगस्त 2020 में जारी की गई सालाना रिपोर्ट के आंकड़ों के मुताबिक, 2019-20 में भारत में बैंकिंग धोखाधड़ी के मामलों में 159 फीसदी की वृद्धि हुई। यह एक साल पहले की तुलना में 2.5 गुना ज्यादा है। ब्लॉकचेन और साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट्स के मुताबिक, ऑनलाइन बैंकिंग, यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) या रियल-टाइम ग्रॉस सेटलमेंट (RTGS) जैसी सुविधा होने के बावजूद लोगों के व्यवहार में कोई खास बदलाव नहीं आया है। इसकी वजह यह है कि ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है, जिससे ट्रांजैक्शन को मॉनिटर किया जा सके। वहीं, डिजिटल करंसी धोखाधड़ी को कम करने में असरदार हो सकती है। लेकिन यह इस बात पर निर्भर करेगा कि भारत सीबीडीसी ढांचे को किस तरह से तैयार करता है। जानकारों के मुताबिक, सीबीडीसी के दो मॉडल अपनाए जा सकते हैं।

क्या होंगे मॉडल
इसमें अकाउंट बेस्ड मॉडल हो सकता है, जिसमें प्रवर्तक और लाभार्थी द्वारा ट्रांजैक्शन को अप्रूव किया जाए और उपभोक्ता की पहचान के आधार पर और फिर केंद्रीय बैंक द्वारा ट्रांजैक्शन को सेटल किया जाए। इसके अलावा, भारत में टोकन आधारित मॉडल को भी इस्तेमाल किया जा सकता है। इसमें प्रवर्तक और लाभार्थी द्वारा पब्लिक प्राइवेट की पेयर और डिजिटल सिग्नेचर द्वारा अनुमोदित किया जाए। इस मॉडल में यूजर की पहचान की जरूरत नहीं होती है। इससे प्राइवेसी बनी रहती है।
 

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