लग्जरी लाइफ जीने के लिए भरते रहेंगे किश्तें तो नहीं हो पाएगी सेविंग

आजकल ज्यादातर लोग लग्जरी लाइफस्टाइल के के लिए किश्तों पर सामान ले लेते हैं, लेकिन क्या इस तरह भविष्य के लिए सेविंग्स हो सकती है!
 

Asianet News Hindi | Published : Aug 27, 2019 7:17 AM IST / Updated: Aug 27 2019, 12:58 PM IST

नई दिल्ली। आजकल ज्यादातर लोग लग्जरी लाइफस्टाइल के लिए किश्तों पर सामान ले लेते हैं। मोबाइल फोन से लेकर हर चीज बाजार में किश्तों पर उपलब्ध है। क्रेडिट कार्ड और हर चीज पर  EMI के ऑप्शन ने एक तरह से हमारी परचेजिंग पावर को बढ़ा दिया है। भले ही तत्काल हमारे पास कैश न हो, लेकिन EMI की सुविधा होने से हम उन चीजों को भी खरीद लेते हैं, जिनके बिना भी हमारा काम चल सकता था। यह कई बार सुविधाजनक भी होता है, पर जब लग्जरी सामान किश्तों पर लेने की हमारी आदत बन जाती है तो सेविंग्स कर पाना मुश्किल हो जाता है। हमारी आदतें भी इतनी बदल गई हैं कि हमारी बढ़ती इनकम कितनी भी बढ़ जाए, खर्च के लिए नकदी का टोटा बना रहता है।

इनकम तो बढ़ी पर खर्च भी बढ़ा
इनकम बढ़ने के साथ-साथ हम अपने स्टैंडर्ड ऑफ लिविंग को भी बढ़ा देते हैं और उसे मेंटेन करने के लिए खर्च भी ज्यादा करने लगते हैं। इस लाइफस्टाइल के लिए हमें जिस चीज का सबसे बड़ा सहारा मिला है,  वो है EMI,लेकिन यह एक ऐसा जाल है जिसमें फंस जाने के बाद निकल पाना मुश्किल हो जाता है। 

खरीदने की क्षमता पर असर
EMI के ऑप्शन ने हमारी खरीदने की क्षमता पर असर डाला है। क्रेडिट कार्ड से बाद में पैसे किश्त में चुकाते रहने की सुविधा ने जरूरत और उपलब्धता के बीच के फर्क को मिटा दिया है। इसमें परेशानी तब शुरू होती है, जब किसी वजह से अचानक आमदनी का जरिया बंद हो जाता है।

बजट से ज्यादा करते हैं खर्च
ईएमआई की सुविधा से हम अपनी क्षमता से ज्यादा खर्च करने के लिए तैयार हो जाते हैं। यहां जरूरी नहीं कि आप जिस चीज के लिए पैसे खर्च कर रहे हों, वह आपके लिए जरूरी ही हो, लेकिन पैसे खर्च होते हुए नहीं दिखते तो लगता है कि यह खर्च किया जा सकता है। हमारी आदत अच्छी से अच्छी चीजें खरीदने की हो चुकी है और खरीदने के लिए कैश पेमेंट करना नहीं, तो हम अपने बजट से ज्यादा खर्च कर बैठते हैं।

बंचत संभव नहीं
ईएमआई के भरोसे बेहतरीन लाइफस्टाइल को अपनाया जा सकता है। लेकिन इसमें बचत कर पाना संभव नहीं है। ईएमआई पर सामना घर, कार, एयरकंडीशनर, महंगे मोबाइल फोन लेने वाले को पता होता है कि उसे किश्तें भरते रहनी हैं, चाहे एक साल में भरें या कई साल में। इसके जाल में कभी बचत करने का मौका नहीं मिलता। आप खर्च ही करते रहेंगे। जहां तक स्टैंडर्ड ऑफ लिविंग की बात है, उसकी कोई सीमा नहीं। अगर आज आप एक महंगे मोबाइल के लिए किश्तें भर रहे हैं, तो कल किसी महंगी कार के लिए किश्तें भर रहे होंगे। फिर मकान के लिए और दूसरी चीजों के लिए, क्योंकि बाजार में रोज ही नए प्रोडक्ड सामने आ जाते हैं जो आप अपनी टीवी स्क्रीन पर देखते हैं। इसके बाद आपको अपनी चीजें पुरानी और आउट ऑफ डेट लगने लगती हैं। 


 

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