India@75: डॉ. वर्गीज कुरियन की वजह से ही भारत में बही थी दूध की नदियां, जानें उनकी जिंदगी की दिलचस्प बातें

भारत में श्वेत क्रांति के जनक डॉ. वर्गिज कुरियन थे। आजादी के बाद से उन्होंने दुग्ध उत्पादन के क्षेत्र में कई पहल किए। उन्होंने ही देश में अमूल की स्थापना की थी। उन्हें मिल्क मैन ऑफ इंडिया भी कहा जाता था। 

Moin Azad | Published : Aug 5, 2022 10:20 AM IST

बिजनेस डेस्कः आपने ‘अमूल’ ब्रांड का नाम जरूर सुना होगा। ये वो ब्रांड है, जो डेयरी प्रोडक्ट्स के लिए सबसे पहले हमारे दिमाग में आता है। लेकिन एक बात, जो आप नहीं जानते होंगे, वो यह कि अमूल डॉ. वर्गीज कुरियन की देन है। भारत एक वक्त दूध की कमी से जूझ रहा था। लेकिन भारत को दुनिया का सर्वाधिक दूध उत्पादक देश बनाने के पीछे इन्हीं की अहम भूमिका थी। डॉ. वर्गीज कुरियन ही फादर ऑफ द वाइट रेव्लुशन और ‘मिल्कमैन ऑफ इंडिया’ के नाम से मशहूर हुए। 

भैंस के दूध से बनाया पाउडर
डॉ. कुरियन ने ही देश में श्वेत क्रांति लाया। इतना ही नहीं, कुरियन दुनिया के पहले ऐसे व्यक्ति थे, जिन्होंने भैंस के दूध से पाउडर बनाने का कारनामा कर दिखाया था। इससे पहले सिर्फ गाय के दूध से ही पाउडर बनाया जाता था। जानकारी दें कि डॉक्टर वर्गीज कुरियन का जन्म केरल के कोझिकोड में हुआ था। वे एक सीरियाई ईसाई परिवार में नवंबर 1921 में जन्मे थे। उन्होंने लॉयला कॉलेज से साल 1940 में ग्रेजुएशन किया। उसके बाद चेन्नई के गिंडी कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग से डिग्री प्राप्त की।

भारत सरकार से मिली स्कॉलरशिप
इसके बाद ही डॉक्टर वर्गीज कुरियन को भारत सरकार की तरफ से स्कॉलरशिप भी मिली। उन्हें डेयरी इंजीनियरिंग में पढ़ाई करने के लिए स्‍कॉलरशिप मिली थी। वर्ष 1948 में मिशीगन स्टेट यूनिवर्सिटी से डॉक्टर वर्गीज कुरियन ने मैकेनिकल इंजीनियरिंग की मास्टर डिग्री की। इसमें कुरियन का एक विषय डेयरी इंजीनियरिंग भी था। 

ऐसे रखा गया अमूल का नाम
डॉ. वर्गीज कुरियन ने 14 दिसंबर 1946 को काइरा जिला सहकारी दुग्ध उत्पादक संघ सीमित (केजीसीएमपीयूएल) की नींव रखी थी। त्रिभुवनदास पटेल इसके संस्थापक और चेयरमैन बने थे। डॉक्टर कुरियन इस समिति के नाम को थोड़ा छोटा करना चाहते थे। इसको लेकर एक बैठक बुलाई गई। बैठक में कर्मचारियों ने एक बेहतरीन 'अमूल्य' नाम सुझाया, जिसका मतलब ‘अनमोल’ होता है। बाद में इस कोऑपरेटिव का नाम 'अमूल' हो गया। उस दौरान अमूल ने काफी सफलता हासिल की। 1965 में इस सफलता को देखते हुए प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री ने इस मॉडल को दूसरी जगहों पर फैलाने का निर्ण लिया। उसके बाद राष्ट्रीय दुग्ध विकास बोर्ड (NDDB) का गठन किया गया। डॉ. कुरियन को इसका बोर्ड अध्यक्ष बनाया गया।

ऑपरेशन फ्लड ने लाया बदलाव
1970 में ऑपरेशन फ्लड कार्यक्रम शुरू हुआ था। इसने डेयरी के बिजनेस से जुड़े किसानों के विकास में भरपूर सहायता प्रदान की। उनके बिजनेस का पूरा कंट्रोल उन्हें दे दिया। राष्ट्रीय दुग्ध ग्रिड देश के दूध उत्पादकों को 700 से अधिक शहरों और नगरों के उपभोक्ताओं से जोड़ता है। उन्होंने ही अमूल की स्थापना की थी। इसकी स्थापना के बाद से ही कहा जाने लगा कि भारत में दूध की नदियां बहने लगीं। 

मिल्कमैन ऑफ इंडिया
अब उनके जीवन की बात पर गौर करते हैं। उनके जीवन से जुड़ी एक दिलचस्प बात जानकर आप दंग रह जाएंगे। भारत में ‘श्वेत क्रांति के जनक और ‘मिल्कमैन ऑफ इंडिया’ के नाम से मशहूर डॉ. वर्गीज कुरियन खुद दूध नहीं पीते थे। उनका कहना था कि मुझे दूध अच्छा नहीं लगता है इसलिए मैं दूध नहीं पीता हूं। 

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