कोरोना में घटी आम जनता की इनकम लेकिन राजनीतिक पार्टियां हुईं अमीर, जानें कितनी बढ़ी संपत्ति

वित्त वर्ष 2020-21 और 2021-22 में कोरोना महामारी के चलते जहां लोगों के काम-धंधे प्रभावित हुए और नौकरियां चली गईं, वहीं राजनीतिक दलों की संपत्ति में उछाल आया है। कोरोना काल के दौरान देश के 8 प्रमुख राजनीतिकि पार्टियों की संपत्ति में तेजी आई है। 

Ganesh Mishra | Published : Sep 4, 2023 1:55 PM IST / Updated: Sep 04 2023, 08:27 PM IST

ADR Reports: फाइनेंशियल ईयर 2020-21 और 2021-22 में कोरोना महामारी के चलते जहां लोगों के काम-धंधे प्रभावित हुए और नौकरियां चली गईं, वहीं राजनीतिक दलों की संपत्ति में उछाल आया है। कोरोना काल के दौरान देश के 8 प्रमुख राजनीतिकि पार्टियों की संपत्ति में तेजी आई है। चुनाव सुधारों को लेकर काम करने वाली संस्था एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रैटिक रिफॉर्म्स (Association for Democratic Reforms) द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक, 2020-21 में भारत के 8 राजनीतिक दलों की संपत्ति 7297.618 करोड़ रुपये थी, 2021-22 में बढ़कर 8829.158 करोड़ रुपये पहुंच गई।

एक साल में 21 प्रतिशत बढ़ी 8 राजनीतिक दलों की संपत्ति

ADR की रिपोर्ट्स के मुताबिक, सिर्फ एक साल के भीतर इन 8 राजनीतिक दलों की संपत्ति में 21 प्रतिशत का इजाफा हुआ है। जिन 8 राजनीतिक दलों की संपत्ति बढ़ी है, उनमें BJP, कांग्रेस, NCP, BSP, CPI, CPIM, TMC और NPEP शामिल हैं।

BJP भारत की सबसे अमीर पॉलिटिकल पार्टी

ADR की रिपोर्ट के मुताबिक, 2020-21 में बीजेपी ने जहां 4990.195 करोड़ रुपये की संपत्ति घोषित की थी, वहीं एक साल बाद यानी 2021-22 में ये बढ़कर 6046.81 करोड़ रुपये पहुंच गई। इसके साथ ही बीजेपी भारत की सबसे अमीर राजनीतिक पार्टी भी है। कांग्रेस ने 2020-21 में 691.11 करोड़ रुपये की संपत्ति घोषित की थी, जो 2021-22 में बढ़कर 805.68 करोड़ रुपए पहुंच गई।

TMC की संपत्ति में सबसे ज्यादा उछाल

ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस (TMC) की संपत्ति 2020-21 में 182 करोड़ रुपये थी, जो 2021-22 में 151.70 प्रतिशत की तेजी के साथ 458.10 करोड़ रुपये पहुंच गई। कोरोना महामारी के दौरान सबसे ज्यादा उछाल टीएमसी की संपत्ति में ही आया है।

BSP की संपत्ति में गिरावट

ADR की रिपोर्ट के मुताबिक, बहुजन समाज पार्टी की संपत्ति में गिरावट दर्ज की गई है। 2020-21 में बीएसपी की कुल संपत्ति 732.79 करोड़ रुपये थी, जो 2021-22 में घटकर 690.71 करोड़ रह गई।

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