सार

जी20 देशों की बैठक दिल्ली में 9-10 सितंबर के बीच आयोजित की जा रही है। इस बैठक में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग शामिल नहीं होंगे। आखिर क्या वो वजहें हो सकती हैं, जिसके चलते चीनी राष्ट्रपति ने इतनी अहम बैठक में आने से मना कर दिया। आइए जानते हैं।

G20 Summit Delhi 2023: जी20 देशों की बैठक दिल्ली में 9-10 सितंबर के बीच आयोजित की जा रही है। इस बैठक में शामिल होने के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन समेत दुनियाभर के राष्ट्राध्यक्ष दिल्ली आ रहे हैं। हालांकि, बैठक में भारत के पड़ोसी मुल्क चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग शामिल नहीं होंगे। उनकी जगह चीन के प्रधानमंत्री ली कियांग G20 में भाग लेंगे। आखिर चीनी राष्ट्रपति क्यों नहीं आ रहे हैं, आइए जानते हैं इसकी क्या वजहें हो सकती हैं।

1- भारत के बढ़ते दबदबे को कबूल नहीं कर पा रहा चीन

विदेशी मामलों के एक्सपर्ट्स के मुताबिक, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग दुनियाभर में बढ़ते भारत के दबदबे को कबूल नहीं कर पा रहे हैं। आर्थिक क्षेत्र में भारत की तरक्की के साथ ही अंतरिक्ष में भी भारत ने अपना परचम फहराया है। चीन एशिया की नई महाशक्ति के रूप में भारत की ग्रोथ से घबराया हुआ है।

2- चीन को ग्लोबल सप्लाई चेन में अपनी हिस्सेदारी खोने का डर

भारत की तेज इकोनॉमिक ग्रोथ चीन की आंखों में खटक रही है। वहीं, चीन इस वक्त बड़े आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहा है। इसके साथ ही चीन को इन दिनों ग्लोबल सप्लाई चेन में अपनी हिस्सेदारी खोने का डरा भी सता रहा है।

3- भारत ने चीन से दुनिया के ग्रोथ इंजन का टाइटल छीना

भारत ने चंद्रयान-3 को चांद के साउथ पोल पर सफल सॉफ्ट लैंडिंग कराने के बाद आदित्‍य-L1 की लॉन्चिंग की। इसने पूरी दुनिया में भारत को एक अंतरिक्ष महाशक्ति के रूप में स्थापित किया। साथ ही आर्थिक तरक्की के मामले में भी भारत चीन से काफी आगे निकल गया है। भारत की जीडीपी जहां 7.8 प्रतिशत फीसदी की दर से बढ़ रही है, वहीं चीन की अर्थव्यवस्था 6.3 प्रतिशत की दर से बढ़ रही है। साथ ही भारत ने चीन से दुनिया के ग्रोथ इंजन का टाइटल भी छीन लिया है।

4- चीन को डर, उसकी बादशाहत खतरे में

चीन अपनी खोती बादशाहत के लिए भारत को सबसे बड़ा खतरा मान रहा है। वहीं, भारत पूरी दुनिया को ये बताना चाहता है कि कोविड महामारी के दौरान चीन पर भरोसा करना दुनिया को कितना महंगा पड़ा। जबकि भारत ने दुनिया को अपनी वैक्सीन देकर कितनी मदद की।

5- 'वसुधैव कुटुम्बकम' पर चीन का अड़ंगा

चीन इससे पहले जी20 के डॉक्यूमेंट्स में संस्कृत भाषा के इस्तेमाल पर भी आपत्ति जता चुका है। चीन ने 'वसुधैव कुटुम्बकम' श्लोक का भी विरोध किया था। यहां तक कि इस मुद्दे पर रूस ने भी चीन का समर्थन करने से मना कर दिया था।

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