एयरलाइन्स कंपनी के Employees को तगड़ा झटका, होली से पहले इतने लोगों की गई जॉब, जानें कारण

एयर इंडिया ने बीते कुछ हफ्तों में 180 से ज्यादा कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया है। खास बात यह है कि नौकरी से निकाले गए एंप्लाइज को वीआरएस का लाभ नहीं मिलेगा। इसके अलावा उन्हें री-स्किलिंग का भी मौका नहीं दिया गया है। 

Nitesh Uchbagle | Published : Mar 18, 2024 3:08 AM IST / Updated: Mar 18 2024, 08:40 AM IST

बिजनेस डेस्क. देश की जानी मानी एयरलाइन कंपनी ने अपने एंप्लाइज को झटका दिया है। टाटा ग्रुप की एयर इंडिया ने बीते सप्ताह 180 से ज्यादा  कर्मचारियों को नौकरी से निकाला हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, जिस भी एंप्लाई को इस छंटनी में निकाला गया है, वे कर्मचारी वॉलेंट्री रिटायरमेंट स्कीम यानी VRS का फायदा नहीं ले पाएंगे। इतना ही नहीं उन्हें री-स्किलिंग के मौकों का फायदा भी नहीं मिलेगा।

इस सेक्शन के कर्मचारियों की छंटनी

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, एयर इंडिया के स्पोक्सपर्सन ने कहा है कि नॉन-फ्लाइंग फंक्शन में काम करने वाले एंप्लाइज को कंपनी की जरूरतों और उनकी मेरिट के आधार पर एयरलाइन में एडजस्ट किया जाएगा। बीते 18 महीनों में सभी कर्मचारियों की योग्यता का आकलन करने के लिए प्रोसेस को अपनाया गया हैं। इस दौरान कर्मचारियों को कई वॉलेंट्री रिटायरमेंट स्कीम और री-स्किलिंग के मौके भी दिए गए हैं।

180 लोगों की गई नौकरी गई

एयर इंडिया के स्पोक्सपर्सन ने बताया कि 1% ऐसे कर्मचारी है, जो वीआरएस या री-स्किलिंग के मौके का उपयोग करने योग्य नहीं हैं। उन्हें नौकरी से हाथ धोना पड़ा। हालांकि कंपनी ने यह नहीं बताया कि कितने कर्मचारियों को नौकरी से निकाला गया हैं। हालांकि मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, 180 से ज्यादा कर्मचारियों को नौकरी से हाथ धोना पड़ा हैं।

कंपनी ने बताया कि वह सभी संविदात्मक दायित्वों का सम्मान कर रही है। टाटा ग्रुप के जनवरी 2022 में एयर इंडिया के टेकओवर के बाद वीआरएस के दो राउंड ऑफर किए गए। तब  से ही कंपनी एयरलाइन बिजनेस मॉडल संभालने की कोशिश कर रही है। साथ ही ऑर्गेनाइजेशन स्ट्रक्चर को मजबूत बनाने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का भी इस्तेमाल किया जा रहा है।

एयर इंडिया का वर्चस्व बढ़ा

एयर इंडिया की फरवरी में बाजार में हिस्सेदारी बढ़ी है। कंपनी की हिस्सेदारी 12.2% से बढ़कर 12.8% फीसदी हो गई। लेकिन इंडिगो की बाजार हिस्सेदारी में हल्की गिरावट देखने को मिली। उनकी हिस्सेदारी 60.2% से कम होकर 60.1% हो गई है। 

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