संविधान के आर्टिकल 116 में वोट ऑन अकाउंट के बारें में बताया गया है। यह केंद्र सरकार की अल्पकालिक जरूरतों को पूरा करने के लिए खजाने से दिया जाने वाला एक तरह का ग्रांट ऑफ एडवांस होता है। यह अंतरिम बजट से अलग होता है।
बिजनेस डेस्क : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली केंद्र सरकार का दूसरा कार्यकाल कुछ ही महीने में समाप्त होने जा रहा है। इस साल देश में लोकसभा चुनाव है, इसलिए यह साल काफी खास है। चुनावी साल होने से 1 फरवरी को पेश होने वाला बजट (Budget 2024) भी खास रहने वाला है। ऐसे में अंतरिम बजट और वोट ऑन अकाउंट को लेकर चर्चा तेज है। आइए जानते हैं आखिर अंतरिम बजट और वोट ऑन अकाउंट क्या होता है?
अंतरिम बजट और वोट ऑन अकाउंट में 5 अंतर
संविधान में वोट ऑन अकाउंट
संविधान के आर्टिकल 116 में वोट ऑन अकाउंट के बारें में बताया गया है। यह केंद्र सरकार की अल्पकालिक जरूरतों को पूरा करने के लिए सरकारी खजाने से दिया जाने वाला एक तरह का ग्रांट ऑफ एडवांस यानी अनुदान होता है। इसका मतलब यह है कि वोट ऑन अकाउंट के जरिए ही संसद केंद्र सरकार को किसी तय अवधि के लिए तय जरूरतों पर खजाने से खर्च करने की मंजूरी देती है।
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