
बिजनेस डेस्क। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को बजट पेश करेंगी। ऐसे में अलग-अलग सेक्टर्स को इस बजट से काफी उम्मीदें हैं। खासकर पब्लिक सेक्टर कंपनियों में अगर डिसइन्वेस्टमेंट (विनिवेश) का टारगेट बढ़ता है तो सरकारी कंपनियों के शेयर रॉकेट बन सकते हैं। ऐसे में इस बार शेयर बाजार की निगाहें केंद्रीय बजट में विनिवेश के टारगेट पर जमी हुई हैं।
विदेशी ब्रोकरेज फर्म नोमुरा की रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार विनिवेश के लिए चालू वित्त वर्ष के बराबर टारगेट तय कर सकती है। माना जा रहा है कि सरकार 30,000 करोड़ रुपए का लक्ष्य तय कर सकती है। अगर ऐसा हुआ तो ये लगातार पांचवा साल होगा, जब सरकार के डिसइन्वेस्टमेंट में कमी देखने को मिलेगी।
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रिपोर्ट्स के मुताबिक, सरकार का फोकस NMDC, IDBI Bank, शिपिंग कॉर्पोरेशन और BEML जैसी कंपनियों में अपनी हिस्सेदारी बेचने पर रह सकता है। अगले वित्त वर्ष के विनिवेश के लक्ष्य को अचीव करने में इन कंपनियों का बड़ा योगदान हो सकता है। अगर ऐसा होता है तो इन सरकारी कंपनियों के शेयर में तूफानी तेजी देखने को मिल सकती है।
मौजूदा वित्त वर्ष के दौरान सरकार ने जिन कंपनियों में डिसइन्वेस्टमेंट के जरिये अपनी हिस्सेदारी बेची है, उनमें हिंदुस्तान जिंक, कोचीन शिपयार्ड और GIC शामिल हैं। सरकार ने ऑफर फॉर सेल के जरिये इनमें अपना हिस्सा बेचा है। ज्यादातर एक्सपर्ट्स का मानना है कि सरकार अगले वित्त वर्ष के लिए 30 हजार से 60 हजार करोड़ के बीच डिसइन्वेस्टमेंट टारगेट रख सकती है।
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