बिजनेस डेस्क। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आनेवाली 1 फरवरी को यूनियन बजट 2025 पेश कर सकती हैं। बजट से पहले ही बिजनेसमैन से लेकर आम लोगों के बीच टैक्स की चर्चा शुरू हो चुकी है। कुछ लोग ऐसे भी हैं, जो अपना एडवांस टैक्स जमा करते हैं। आखिर क्या होता है Advance Tax और इसे कब-कब और क्यों भरना होता है जरूरी, जानते हैं।
एडवांस टैक्स भी नॉर्मल टैक्स की तरह ही है। फर्क सिर्फ इतना है कि इसे साल के अंत में एक बार जमा करने की जगह कई बार किस्तों के रूप में जमा किया जाता है। इसे अर्न टैक्स भी कहा जाता है, क्योंकि इसे फाइनेंशियल ईयर खत्म होने से पहले ही जमा किया जाता है। एडवांस टैक्स एक तरह से वो कर है, जिसे उसी साल जमा किया जाता है जिस साल हम कमाई करते हैं।
आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 208 के मुताबिक, जिस शख्स पर किसी एक वित्त वर्ष में 10,000 रुपए से ज्यादा की टैक्स देनदारी का अनुमान होता है, उसे एडवांस टैक्स जमा करना होता है। हालांकि, 60 साल या उससे ज्यादा की उम्र वाले वो लोग, जिनकी कमाई का कोई सोर्स नहीं है, उन्हें एडवांस टैक्स भरने से छूट दी जाती है।
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1- एक साल में 4 बार एडवांस टैक्स जमा करना होता है। इसकी पहली किस्त 15 जून या पहले होती है, जिसमें कुल 15% देना होता है।
2- एडवांस टैक्स की दूसरी किस्त 15 सितंबर या उससे पहले होती है, जिसमें टैक्स ड्यू का 45% देना होता है।
3- इसकी तीसरी किस्त 15 दिसंबर या उससे पहले जमा करनी होती है, जिसमें कुल टैक्स ड्यू का 75% जमा हो जाता है।
4- चौथी किस्त 15 मार्च तक है, जिसमें कुल टैक्स ड्यू का 100% एडवांस टैक्स जमा हो जाता है।
एडवांस टैक्स जमा करने का सबसे बड़ा फायदा ये है कि इससे टैक्सपेयर्स पर बोझ नहीं पड़ता है। इसके अलावा सरकार के राजस्व में भी एक फ्लो बना रहता है।
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