कंपनी हड़प ले ग्रेच्युटी का पैसा और देने से कर दे इनकार तो जानें क्या करें

ग्रेच्युटी को लेकर भी नियम बनाए गए हैं। अगर कोई कर्मचारी किसी कंपनी में 5 साल काम करता है तो नियम के अनुसार, वह ग्रेच्युटी का पैसा पाने का अधिकार रखता है। अगर ऐसे में कंपनी उसे पैसा देने से इनकार कर दे तो वो अपने अधिकार का इस्तेमाल कर सकता है।

 

बिजनेस डेस्क : ग्रेच्युटी का नियम कहता है कि अगर कोई कर्मचारी एक ही कंपनी में 5 साल तक काम करता है तो उसे ग्रेच्‍युटी (Gratuity) पाने का अधिकार रहता है। हालांकि, कई बार ऐसे भी मामले सामने आते हैं, जब कंपनी ग्रेच्‍युटी देने से इनकार कर सकती है। ऐसा कब होता है और ऐसी स्थिति में एम्‍पलॉई क्या कर सकता है? आइए जानते हैं...

क्या कंपनी रोक सकती है ग्रेच्‍युटी का पैसा

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ग्रेच्‍युटी एक्‍ट के सेक्‍शन 4(6b)(ii) के मुताबिक, अगर कर्मचारी के लापरवाही या अनैतिक काम की वजह से कंपनी को नुकसान हुआ है तो वह ग्रेच्‍युटी का पैसा रोक सकती है लेकिन इसके लिए उसे सबसे पहले इसका वैलिड रीजन बताना होगा और प्रूफ देना पड़ेगा। पूरी जांच-पड़ताल और पर्याप्‍त सबूत के बाद ही कंपनी ये काम कर सकती है।

क्या कर्मचारी पर आरोप लगाकर कंपनी ग्रेच्युटी रोक सकती है

ऐसा बिल्कुल भी नहीं है कि कंपनी किसी कर्मचारी पर लापरवाही का आरोप लगा दे और फिर उसकी ग्रेच्‍युटी ही रोक दे। ऐसा कदम उठाने से पहले कंपनी को कारण बताओ नोटिस जारी करना होता है। दोनों पक्षों की बात सुनने और जांच-पड़ताल के बाद अगर कर्मचारी दोषी पाया जाता है, तभी कंपनी के पास उसकी ग्रेच्‍युटी का पैसा रोकने का अधिकार है।

क्या ग्रेच्युटी का पूरा पैसा रोक सकती है कंपनी

अगर कर्मचारी लापरवाही और नुकसान का दोषी मिल भी जाए तो भी कंपनी उसकी पूरी ग्रेच्‍युटी नहीं रोक सकती है। ग्रेच्‍युटी एक्‍ट और दिल्‍ली हाईकोर्ट के आदेशों के मुताबिक, किसी कर्मचारी के नुकसान का दोषी पाए जाने पर कंपनी सिर्फ नुकसान के बराबर ही ग्रेच्‍युटी रोक सकती है। बाकी पैसा उसे कर्मचारी लौटाना पड़ेगा।

कंपनी ग्रेच्युटी का पैसा हड़प ले तब क्या करें

अगर कोई कर्मचारी योग्‍य है और उसने कंपनी में 5 साल की सेवाएं दी हैं। बावजूद इसके कंपनी उसे ग्रेच्‍युटी का पैसा देने से इनकार कर रही है तो कर्मचारी सबसे पहले कंपनी को एक लीगल नोटिस भिजवा सकता है। अगर इसके बाद भी कंपनी पैसा नहीं देती है तो इसकी शिकायत जिला श्रम आयुक्‍त से कर सकते हैं। इस ऑफिस में एक कंट्रोलिंग अथॉरिटी होती है, जो इस तरह के मामलों की सुनवाई करती है और आदेश देती है। कंपनी जितनी देरी से ग्रेच्युटी का पैसा देती है, उतने दिन का ब्याज और जुर्माना भी उसे चुकाना पड़ता है।

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