300 रुपए कमाने वाले धीरूभाई अंबानी इस तरह बने अरबपति, ऐसे की रिलायंस AGM की शुरुआत

धीरूभाई अंबानी के बाद रिलायंस की जिम्मेदारी मुकेश अंबानी संभाल रहे हैं। कंपनी का चेयरमैन रहते मुकेश अंबानी ने भी एजीएम को उसी तरह आगे बढ़ाया। उनके ही एजीएम में जियो 5G, जियो फाइबर जैसे प्रोडक्ट्स लॉन्च हुए हैं।

बिजनेस डेस्क : देश की सबसे बड़ी कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज (Reliance Industries) की एजीएम (RIL AGM 2023) 28 अगस्त को हुई। इस इवेंट में पिता धीरूभाई अंबानी को याद कर मुकेश अंबानी (Mukesh Ambani) इमोशनल हो गए। कंपनी की एजीएम की शुरुआत भी रिलायंस के फाउंडर धीरूभाई अंबानी (Dhirubhai Ambani) ने ही की थी। देश में इक्विटी कल्चर को पॉपुलर बनाने का क्रेडिट उन्हीं को जाता है। कभी 300 रुपए महीना कमाने वाले धीरूभाई ने कड़ी मेहनत के दम पर इतनी बड़ी कंपनी खड़ी की।

धीरूभाई अंबानी कौन थे

Latest Videos

रिलायंस इंडस्ट्रीज को धीरूभाई अंबानी ने अपने दम पर खड़ा किया था। उनका नाम ऐसे बिजनेसमैन में शामिल है, जिन्होंने छोटी-छोटी शुरुआत कर दुनियाभर के टॉप कारोबारियों में अपना नाम शामिल कर लिया। धीरूभाई अंबानी का जन्म 28 दिसंबर, 1932 को गुजरात के जूनागढ़ के चोरवाड़ में हुआ था। उनके पिता टीचर थे। चार भाई-बहनों में से वे एक थे। उनका जीवन तमाम तरह के संघर्षों से भरा रहा। घर की माली हालत ठीक न होने के चलते धीरूभाई अंबानी को अपनी पढ़ाई तक छोड़नी पड़ी थी।

300 रुपए महीना कमाते थे धीरूभाई अंबानी

बिजनेस की दुनिया का बड़ा नाम रहे धीरूभाई अंबानी ने जब घर के हालात देखे तो साल 1949 में अपने भाई रमणिकलाल के पास यमन चले गए। उस वक्त उनकी उम्र सिर्फ 17 साल की थी। यमन में उन्होंने ए बस्सी एंड कंपनी के एक पेट्रोल पंप पर नौकरी करनी शुरू कर दी। वहां उन्हें हर महीने 300 रुपए मिलते थे। वे इतने अच्छे तरह से काम करते कि बहुत ही कम समय में उन्हें फिलिंग स्टेशन का मैनेजर बना दिया गया 5 साल तक यमन में रहने के बाद 1954 में वापस भारत आ गए और यहां आकर नौकरी नहीं करना चाहते थे। फिर उन्होंने कड़ी मेहनत की और उसी का नतीजा रहा कि एक दिन 62,000 करोड़ रुपए की संपत्ति के मालिक बन गए।

धीरूभाई ने ऐसे बनाई पहली कंपनी

यमन से वापस आने के बाद धीरूभाई ने भारतीय बाजार के बारे में पूरी जानकारी जुटाई। उन्हें समझ आया कि देश में सबसे ज्यादा मांग पोलिस्टर की और विदेशों में भारतीय मसालों की है। बस फिर क्या था, उन्होंने चचेरे भाई चंपकलाल दिमानी के साथ मिलकर रिलायंस कमर्शियल कॉरपोरेशन कंपनी बना दी। कंपनी की शुरुआत मुंबई में 350 वर्ग फुट के एक कमरा से की। जिसमें एक मेज, 3 कुर्सी, दो सहयोगी और एक टेलीफोन हुआ करा था। उनकी कंपनी भारत के मसालों को विदेश में बेचने का काम करती थी। इसके साथ ही विदेश से पॉलिस्टर लाकर देश में बेचती थी। इसमें उन्हें काफी मुनाफा हुआ और कारोबार आगे बढ़ाते हुए सिंथेटिक कपड़ों पर पूरा फोकस जमाया। साल 1966 में धीरूभाई ने 'रिलायंस टेक्सटाइल' नाम से गुजरात के अहमदाबाद में कपड़ा मिल लगाया और फिर यहां से उनकी गाड़ी चल निकली। उनके बिजनेस में मुनाफे की सबसे बड़ी वजह रही उनकी क्वालिटी। जिससे उन्होंने कभी समझौता नहीं किया।

शेयर होल्डर का भरोसा जीता

साल 1977 में देश के बैंकों ने जब धीरूभाई अंबानी को लोन देने से इनकार कर दिया था, तब उन्होंने अपनी कंपनी को शेयर बाजार में लिस्ट कर दिया। मतलब उन्होंने कंपनी के शेयर बेचने शुरू कर दिए थे। अंबानी समझ गए थे कि बाजार में लंबी रेस का घोड़ा बनना है तो शेयर होल्डर्स का विश्वास जीतना पड़ेगा। बस इसी वजह से उन्होंने 1977 में रिलायंस टेक्सटाइल का आईपीओ शेयर बाजार में उतारा और तो यह ओवर सब्सक्राइब्ड हो गया, मतलब इसे खूब खरीदा गया। तब रिलायंस पहली ऐसी भारतीय कंपनी बनी, जिसमें औसत निवेशक भी शेयर खरीद सकते थे। इसके बाद से ही कंपनी हर साल एजीएम का आयोजन करती आ रही है। इसमें रिलायंस के आम इन्वेस्टर्स को बुलाया जाता और उनके सामने धीरूभाई अंबानी खुलकर कंपनी के आगे की प्लानिंग शेयर करते थे।

इसे भी पढ़ें

हीरे जड़ी घड़ी पहनती हैं नीता अंबानी, कीमत इतनी कि आ जाएंगी 5 CAR

 

 

Share this article
click me!

Latest Videos

पहले गई सीरिया की सत्ता, अब पत्नी छोड़ रही Bashar Al Assad का साथ, जानें क्यों है नाराज । Syria News
समंदर किनारे खड़ी थी एक्ट्रेस सोनाक्षी सिन्हा, पति जहीर का कारनामा हो गया वायरल #Shorts
राजस्थान में बोरवेल में गिरी 3 साल की मासूम, रेस्क्यू ऑपरेशन जारी । Kotputli Borewell News । Chetna
LIVE 🔴: बाबा साहेब का अपमान नहीं होगा सहन , गृहमंत्री अमित शाह के खिलाफ बर्खास्तगी की उठी मांग'
Devendra Fadnavis के लिए आया नया सिरदर्द! अब यहां भिड़ गए Eknath Shinde और Ajit Pawar