
Business Tips from Ravan Dahan: आज देशभर में विजयादशमी धूमधाम से मनाई जा रही है। हर साल दशहरे पर हम रावण दहन करते हैं। माना जाता है कि इससे बुराई पर अच्छाई की जीत होती है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इस परंपरा से हमें बिजनेस की भी बड़ी सीख मिलती है? जी हां, रावण सिर्फ एक पौराणिक किरदार नहीं, बल्कि 10 सिर वाले उस 'प्रॉब्लम मॉडल' की तरह है, जिसे हर आंत्रप्रेन्योर (Entrepreneur) अपने बिजनेस में फेस करता है। अगर आप इन 'बुराइयों' को खत्म करना सीख लें तो सक्सेस आपकी होगी। आइए सीखते हैं रावण दहन से 10 बिजनेस लेसन...
रावण का एक बड़ा दोष था लालच। बिजनेस में भी अगर आप सिर्फ जल्दी मुनाफे के पीछे भागेंगे तो लॉन्ग-टर्म ग्रोथ मिस कर देंगे। हमेशा क्वालिटी और कस्टमर ट्रस्ट को फर्स्ट प्रॉयोरिटी दें।
रावण अपनी ताकत पर इतना ओवरकॉन्फिडेंट था कि उसे अपनी हार तक का अंदाजा नहीं हुआ। स्टार्टअप्स और बिजनेस में ओवरकॉन्फिडेंस आपको गलत फैसले लेने पर मजबूर करता है। हमेशा मार्केट रिसर्च और डेटा-ड्रिवन डिसीजन लें।
रावण ने अपने भाइयों और करीबियों की बात नहीं सुनी। बिजनेस में भी अगर आप टीम को इग्नोर करेंगे तो कंपनी आगे नहीं बढ़ेगी। सफल लीडर वही है जो अपनी टीम की सुनता है और उन्हें साथ लेकर चलता है।
रावण ने सीता को कैद कर लिया और इसी वजह से उसका पूरा साम्राज्य खत्म हो गया। यह हमें सिखाता है कि अगर आप कस्टमर को सही ट्रीट नहीं करेंगे तो आपका बिजनेस (लंका) गिर सकता है।
रावण बहुत विद्वान था, लेकिन सीखना बंद कर दिया। बिजनेस में इनोवेशन रुक गया तो कंपनी भी रुक जाएगी। इसलिए हमेशा नए आइडियाज अपनाएं और बदलते मार्केट के हिसाब से खुद को अपग्रेड करें।
रावण का ईगो ही उसकी सबसे बड़ी हार का कारण बना। अगर आप बिजनेस में अपने ईगो को कंट्रोल नहीं करेंगे तो पार्टनरशिप, क्लाइंट और कस्टमर सब दूर चले जाएंगे।
श्रीराम के पास वानर सेना थी, सुग्रीव और हनुमान जैसे साथी थे। रावण ने खुद को अलग-थलग कर लिया। बिजनेस में नेटवर्किंग और मजबूत रिश्ते ही आपकी असली ताकत होते हैं।
रावण लंका की सोने की दीवारों में कैद होकर बैठा रहा। बिजनेस में अगर आप कंफर्ट जोन से बाहर नहीं निकलेंगे तो कभी ग्रोथ नहीं मिलेगी। रिस्क लेना जरूरी है।
श्रीराम ने पूरी स्ट्रैटेजी बनाकर वॉर जीता। वहीं, रावण बिना सिस्टम के हार गया। बिजनेस में भी सही प्लानिंग और एक्जीक्यूशन के बिना जीतना असंभव है।
रावण विद्वान था, लेकिन समाज ने उसे कभी आदर्श नहीं माना। बिजनेस भी तभी टिकता है जब आप समाज और ग्राहकों को असली वैल्यू दें।
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