ऑस्ट्रेलिया में कर्मचारियों को शिफ्ट खत्म होने के बाद बॉस के कॉल को इग्नोर करने का अधिकार मिल गया है। यह कानून, जिसे 'राइट टू डिस्कनेक्ट' कहा जाता है, वर्क-लाइफ बैलेंस और मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए लागू किया गया है।
बिजनेस डेस्क. प्राइवेट सेक्टर में काम करने वाले एम्प्लाइज की शिकायत होती है कि उन्हें तय समय के अलावा अतिरिक्त घंटों के अलावा भी काम करना पड़ता है। अक्सर उन्हें शिफ्ट खत्म होने के बाद भी उनके बॉस के कॉल आते हैं, तो कर्मचारियों के लिए खुशखबरी है। अब ऑस्ट्रेलिया ने वहां के कर्मचारियों को शिफ्ट खत्म होने के बाद बॉस का कॉल को इग्नोर करने का अधिकार मिल गया है। इसे राइट टू डिस्कनेक्ट नाम से जाना जा रहा है। ये कानून 26 अगस्त से लागू हुआ है।
कर्मचारियों को मिलेगा राइट टू डिस्कनेक्ट
ऑस्ट्रेलिया को राइट टू डिस्कनेक्ट का अधिकार दिया गया है। इसमें कर्मचारियों को उनके वर्क-लाइफ बैलेंस को मेंटेन करने में मदद मिलेगी। साथ ही उनके मेंटल हेल्थ की बेहतरी के लिए ये कानून लागू किया गया है। अब इस कानून के लागू होने के बाद उनके काम के घंटे खत्म होने के बाद कॉल या ईमेल नहीं किया जा सकेगा।
अब कर्मचारियों को अधिकार मिलने के बाद वह शिफ्ट खत्म होने के बाद ऑफिस के सीनियर्स या बॉस के कॉल व ईमेल आदि को इग्नोर कर सकेंगे। साथ ही इसके बाद उन्हें किसी भी तरह परेशान नहीं किया जा सकेगा।
इस कानून पर विवाद शुरू
इस कानून बनने के बाद अब नई बहस शुरू हो गई है। ज्यादातर लोग इस कानून के पक्ष में खड़े है। उनका कहना है कि खासतौर से कोविड काल के बाद से वर्क-लाइफ बैलेंस नहीं हो पा रहा है। कर्मचारियों को काम के घंटे खत्म होने के बाद शिफ्ट के बाद भी एक्स्ट्रा ऑवर्स में काम करवाया जा सकता है। इस कानून के आने के बाद से अपने हितों की रक्षा करने में मदद मिलेगी। लेकिन कुछ लोगों का कहना है कि इस कानून उत्पादकता पर असर पड़ सकता है।
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