हिंडनबर्ग रिसर्च की विवादास्पद रिपोर्ट को फर्जी करार देने के बावजूद ग्रुप ने एक बड़ा फैसला करके सबको चौंका दिया है। अडानी ग्रुप ने अपनी फ्लैगशिप कंपनी अडानी एंटरप्राइजेज के 20,000 करोड़ रुपये के FPO को वापस ले लिया।
नई दिल्ली. अमेरिकी लघु विक्रेता हिंडनबर्ग रिसर्च(US short seller Hindenburg Research) की विवादास्पद रिपोर्ट को फर्जी करार देने के बावजूद ग्रुप ने एक बड़ा फैसला करके सबको चौंका दिया है। अडानी ग्रुप ने अपनी फ्लैगशिप कंपनी अडानी एंटरप्राइजेज के 20,000 करोड़ रुपये के फॉलो-ऑन पब्लिक ऑफर (FPO) को बुधवार(1 फरवरी) को वापस ले लिया।
हालांकि इसके बाद गौतम अडानी (Gautam Adani) खुद सामने आए और FPO को वापस लेने की वजह बताई। अडानी ने इन्वेस्टर्स को पूरी बात बताई। बता दें कि 20,000 करोड़ रुपये के लिए ये FPO 27 जनवरी को सब्सक्रिप्शन के लिए खुला था और 31 जनवरी को फुल सब्सक्राइब होकर क्लोज हुआ था। इस बीच रॉयटर्स न्यूज एजेंसी के हवाले से खबर है कि भारत के केंद्रीय बैंक (भारतीय रिजर्व बैंक) ने स्थानीय बैंकों से अडानी समूह की कंपनियों, सरकार और बैंकिंग स्रोतों में उनके जोखिम का विवरण मांगा है। पढ़िए पूरी डिटेल्स...
हिंडनर्ग की रिसर्च को फर्जी करार देते हुए अडानी समूह के मुख्य वित्तीय अधिकारी (CFO) जुगशिंदर सिंह ने शनिवार को निवेशकों को जारी की गई 413 पेज की रिपोर्ट के बाद एक इंटरव्यू में हिंडनर्ब रिसर्च के सभी 88 सवालों के जवाब दिए थे। क्लिक करके पढ़ें
अब अडानी ग्रुप द्वारा FPO वापस लेने का फैसला ऐसे समय में आया जब वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण बुधवार (1 फरवरी) को बजट पेश कर रही थीं। बाजार की नजर सरकार की घोषणाओं पर थी। हालांकि अडाणी ग्रुप के शेयर दबाव में थे। अडाणी ग्रुप की फ्लैगशिप कंपनी अडाणी एंटरप्राइजेज का शेयर 26.70% गिरकर 2,179.75 पर बंद हुआ था। गुरुवार को भी इसमें 10% की गिरावट देखी गई। लगातार गिरते शेयर के कारण ही अडाणी ग्रुप ने FPO रद्द करने का फैसला किया है। गौतम अडाणी ने FPO रद्द करने के बाद इन्वेस्टर्स के लिए एक वीडियो मैसेज जारी किया था।
बाजार में स्थिरता आने के बाद हम अपनी पूंजी और बाजार रणनीति की समीक्षा करेंगे। हमारा ईएसजी पर खासा फोकस है और हमारा हर बिजनेस जिम्मेदार तरीके से वैल्यू क्रिएट करता रहेगा। हमारे गवर्नेंस सिद्धांतों का सबसे मजबूत सत्यापन, हमारी कई अंतर्राष्ट्रीय साझेदारियों से आता है।
मेरे लिए मेरे निवेशकों का हित सर्वोपरि है। इसलिए निवेशकों को संभावित नुकसान से बचाने के लिए हमने FPO वापस ले लिया है। इस निर्णय का हमारे मौजूदा परिचालनों और भविष्य की योजनाओं पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। हम समय पर क्रियान्वयन पर ध्यान देना जारी रखेंगे।
पूरी तरह से सब्सक्राइब किए गए FPO के बाद इसे वापस लेने के फैसले ने कई लोगों को चौंका दिया होगा। लेकिन बाजार में आज के उतार-चढ़ाव को देखते हुए, बोर्ड ने दृढ़ता से महसूस किया कि FPO के साथ आगे बढ़ना नैतिक रूप से सही नहीं होगा।
अडानी ग्रुप ने कहा कि वे अपने लोगों को रिफंड देने के लिए अपने बुक रनिंग लीड मैनेजर्स (BRLM) के साथ काम कर रहे हैं। हालांकि अडानी ने दावा किया कि उनकी बैलेंस शीट इस समय बहुत मजबूत है। उनका कैश फ्लो और एसेट सिक्योर है। अडानी ने यह भी कहा कि कर्ज चुकाने का उनका रिकॉर्ड सही रहा है। अडानी ने इन्वेस्टर्स से कहा कि इस फैसले से मौजूदा ऑपरेशंस और फ्यूचर प्रोजेक्ट्स पर कोई असर नहीं पड़ेगा। वे लॉन्ग टर्म वैल्यू क्रिएशन पर फोकस जारी रखेंगे।
अडानी ने कहा कि उनकी ग्रोथ आंतरिक बढ़ोतरी के हिसाब से मैनेज होती रहेगी।जैसे ही बाजार स्थिर होगा, कैपिटल मार्केट स्ट्रेटजी का रिव्यू किया जाएगा। अडानी ने कहा कि उन्हें पूरा भरोसा है कि इन्वेस्टर्स का सहयोग मिलता रहेगा। अडानी ने भरोसा बनाए रखने के लिए इन्वेस्टर्स को धन्यवाद भी बोला।
जानिए ये FPO क्या होता है?
फॉलो ऑन पब्लिक ऑफर बोले तो FPO किसी भी कंपनी द्वारा इन्वेस्टर्स के जरिये पैसा जुटाने का एक तरीका होता है। जो भी कंपनी शेयर मार्केट में लिस्टेड होती है, वो निवेशकों को अपनी कंपनी के नए शेयर ऑफर करती है। हालांकि ये शेयर मार्केट में मौजूद शेयरों से अलग होते हैं। ये शेयर प्रमोटर्स जारी करते हैं। यानी FPO का इस्तेमाल कंपनी के इक्विटी बेस में बदलाव करने के लिए किया जाता है।
वैसे कंपनियां दो तरह से विस्तार करती हैं-IPO या FPO। इनीशियल पब्लिक ऑफर बोले तो IPO के जरिए कंपनी पहली बार मार्केट में शेयर्स उतारती है। FPO के जरिये एडिशनल शेयर्स बाजार में लाए जाते हैं।
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