Vladimir Putin Birthday : भूख से मरते-मरते बची थी मां, बेटा इस तरह बन बैठा रूस का राष्ट्रपति

Published : Oct 07, 2023, 09:35 AM ISTUpdated : Oct 07, 2023, 09:53 AM IST
Vladimir Putin

सार

एक गरीब पारिवर में पैदा होने के बावजूद पुतिन राष्ट्रपति बनने में सफल रहे। उन्होंने अपने जीवन में बहुत से उतार-चढ़ाव देखे हैं। पुतिन ने कानून की पढ़ाई के बाद सोवियत खुफिया एजेंसी केजीबी में एक छोटे से पद से शुरुआत की और फिर देश के राष्ट्रपति बने।

बिजनेस डेस्क : लोकप्रियता और विरोध के बीच राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) 24 सालों से लगातार रूस की सत्ता के शिखर पर काबिज हैं। 7 अक्टूबर को वह अपना 71वां जन्मदिन मना रहे हैं। एक गरीब पारिवर में पैदा होने के बावजूद पुतिन राष्ट्रपति बनने में सफल रहे। उन्होंने अपने जीवन में बहुत से उतार-चढ़ाव देखे हैं। पुतिन ने कानून की पढ़ाई के बाद सोवियत खुफिया एजेंसी केजीबी में एक छोटे से पद से शुरुआत की और फिर देश के राष्ट्रपति बने। ब्लादिमीर पुतिन के रूस के शीर्ष नेता बनने की कहानी काफी रोचक है।

भूख से मरते-मरते बची थी पुतिन की मां

पुतिन का जन्म लेनिनगार्ड यानी सेंट पीटर्सबर्ग में 7 अक्टूबर 1952 को हुआ था। उनका परिवार काफी गरीब हुआ करता था। उनके पिता एक फैक्ट्री में काम करते थे और मां गलियों में झाड़ू लगाया करती थीं। परिवार एक समुदायिक अपार्टमेंट में रहता था, जहां चूहे ही चूहे रहते थे, गर्म पानी तक नसीब नहीं होता था। व्लादिमीर पुतिन के दादा व्लादिमीर लेनिन और जोसेफ स्टालिन के निजी रसोइया थे। महज 17 साल की उम्र में ही उनके माता-पिता की शादी हो गई थी। दूसरे विश्व युद्ध के दौरान उनके पिता ग्रेनेड से घायल हो गए और पूरी तरह अक्षम हो गए थे। वहीं, लेनिनग्राद में उनकी मां को खाना तक नसीब नहीं हुआ और वो भूख से मरते-मरते बची थीं। ब्लादिमीर के पैदा होने से पहले ही उनके दो भाईयों की मौत बहुत ही छोटी सी उम्र में हो गई थी।

पढ़ने-लिखने में फिसड्डी थे ब्लादिमीर पुतिन

पुतिन पढ़ाई में होशियार नहीं थे। 12 साल की उम्र में ही जूडो सीखना शउरू किया और कुछ ही दिनों में कार्ल मार्क्स और लेनिन की कहानियों में उनकी दिलचस्पी बढ़ी। पुतिन बाते बहुत ज्यादा करते थे। एक बार तो वो अपने जिम टीचर से ही उलझ गए और नौबत हाथापाई तक आ गई थी। स्कूल में पढ़ते-पढ़ते पुतिन को केजीबी में करियर बनाने की इच्छा हुई। तब उन्हें पता चला कि यह संस्था अपने सदस्यों का चयन वॉलंटियर्स से नहीं बल्कि निजी तरीके से करती है। तब उन्होंने कानून की पढ़ाई करने की सोची और लेनिनगार्ड यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की।

केजीबी में ब्लादिमीर की एंट्री

कॉलेज की पढ़ाई करते समय ही पुतिन कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ सोवियत संघ के मेंबर बन गए और 1991 तक पार्टी भंग होने तक उसके सदस्य बने रहे। कॉलेज की पढ़ाई पूरी करने के बाद वह सोवियत संघ की खुफिया एजेंसी में छोटा सा पद प्राप्त करने में सफल रहे और फिर यहां से उनकी जो जर्नी शुरू हुई, कभी रूकी नहीं। केजीबी में लेफ्टिनेंट कर्नल की रैंक तक पहुंचे।

ब्लादिमीर पुतिन की राजनैतिक पारी

1991 में पुतिन ने जब केजीबी से इस्तीफा दिया, तब उन्होंने राजनैतिक पारी की शुरुआत की। मेयर ऑफिस में कमेटी ऑफ फॉरेन रिलेशन्स के लिए उन्हें चुना गया और उसके प्रमुख बने। 1994 से 1996 के बीच में ब्लादिमीर सेंट पीटरबर्गर्स में कई सरकारी पदों पर रहे। 1996 में पुतिन मास्को गए और तत्कालीन राष्ट्रपति बोरिस येल्त्सिन के प्रशासन से जुड़कर काम करने लगे।

ब्लादिमीर पुतिन के राष्ट्रपति बनने का सफर

तत्कालीन राष्ट्रपति बोरिस येल्त्सिन के इस्तीफा देने से पहले ब्लादिमीर पुतिन फेडरल स्क्यूरिटी सर्विस के निदेशक और रूस की सुरक्षा परिषद के सचिव तक रह चुके थे। 1999 में कुछ समय के लिए उन्हें मंत्री बनाया गया और फिर जब येल्त्सिन ने इस्तीफा दिया तो पुतिन को कार्यवाहक राष्ट्रपति बनाया गया। चार महीने के बाद जब चुनाव हुए तब पुतिन औपचारिक रूप से रूस के राष्ट्रपति चुने गए। पहले 2004 से 2008 तक और फिर 2012 से लेकर अब तक पुतिन रूस के राष्ट्रपति पद पर काबिज हैं। बीच में 2008 से 2012 तक वे रूस के प्रधानमंत्री भी रहे।

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