Home Loan : होम लोन की मदद से मिडिल क्लास अपने घर का सपना पूरा कर सकता है। हालांकि, लोन लेने से पहले इसकी हर जानकारी बेहद जरूरी है, ताकि आने वाले समय में किसी तरह की दिक्कतें न आएं।
Home Loan : अपना घर हर किसी का सपना होता है। इन दिनों जमीन और घर के रेट काफी ज्यादा बढ़ गए हैं। मिडिल क्लास के लिए घर के लिए बड़ी रकम एकमुश्त जुटा पाना आसान नहीं है। ऐसे में होम लोन बढ़िया विकल्प माना जाता है। जिससे घर का सपना आसानी से पूरा हो सकता है। लेकिन इसके बदले उसे लंबे समय तक EMI यानी किस्त भरनी पड़ती है। होमलोन सरकारी-प्राइवेट बैंक, फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन देते हैं। आसानी से मिलने वाला होम लोन भले ही एक अच्छा ऑप्शन है लेकिन उसे चुकाना कई बार बोझ भी बन जाता है। ऐसे में आइए जानते हैं होम लोन से जुड़ी हर छोटी-बड़ी जानकारी...
1. होम परचेज लोन- घर खरीदने के लिए मिलता है।
2. होम कंस्ट्रक्शन लोन- घर बनवाने के लिए मिलता है।
3. लैंड परचेज लोन- जमीन खरीदने के लिए मिलता है।
4. होम इंप्रूवमेंट लोन- घर के रेनोवेशन या घर की मरम्मत के लिए मिलता है।
5. होम एक्सटेंशन लोन- घर में कुछ नया जुड़वाने के लिए मिलता है।
6. टॉप अप लोन- पुराने होम लोन पर नया लोन जुड़वाने के लिए ले सकते हैं।
7. कंपोजिट होम लोन- जमीन खरीदने और घर बनवाने के लिए एक साथ मिलता है।
8. जॉइंट होम लोन- इसे किसी दूसरे के साथ मिलकर ले सकते हैं।
9. NRI होम लोन- विदेश में बस गए भारतीयों के लिए होमलोन मिलता है।
1. होम लोन लेने के लिए उम्र जितनी कम होगी, अप्रूवल मिलने की संभावना उतनी ज्यादा होती है।
2. इनकम की स्टेबिलिटी मतलब कमाई कितनी है, इसका सोर्स क्या है। इनकम का परमानेंट सोर्स होना जरूरी है।
3. होम लोने के लिए क्रेडिट स्कोर काअच्छा होना जरूरी है। हाई क्रेडिट स्कोर और अच्छे रीपेमेंट रिकॉर्ड से लोन अप्रूव होने में आसानी होती है।
4. फाइनेंशियल रिस्पांसिबिलिटी यानी लोन देने वाले बैंक कस्टमर की मौजूदा देनदारियों, जैसे पर्सनल लोन, क्रेडिट कार्ड बिल, कार लोन देखते हैं, फिर तय करते हैं कि होम लोन देना है या नहीं।
होम लोन का इंटरेस्ट रेट कई फैक्टर्स पर डिपेंड करता है। बैंक 3 तरह के इंटरेस्ट प्लान कस्टमर को ऑफर करते हैं। फिक्स्ड इंटरेस्ट, फ्लोटिंग इंटरेस्ट और फ्लेक्सी इंटरेस्ट प्लान। इनमें से किसी भी प्लान को चुनने से पहले इनकी पूरी जानकारी रख लेनी चाहिए।
इसमें लोन की इंटरेस्ट रेट फिक्स रहती है। बैंक से एक तय रेट पर होम लोन मिलता है। मार्केट में उतार-चढ़ाव या RBI रेपो रेट में कटौती से इंटरेस्ट रेट में बदलाव आता भी है तो बैंक इंटरेस्ट में कोई बदलाव नहीं करता है।
इसमें ब्याज बैंक के बेस रेट से लिंक्ड रहता है। इस कारण बेस रेट में बदलाव होने से इंटरेस्ट रेट घट-बढ़ जाता है। इसमें ब्याज दर फिक्स्ड होम प्लान की तुलना में कम होता है। RBI अगर रेपो रेट बढ़ाता है तो बैंक ब्याज दरों में इजाफा करते हैं।
यह फ्लोटिंग और फिक्स्ड प्लान का मिला-जुला ही रूप है। इसमें कस्टमर अपनी जरूरत के अनुसार लोन पीरियड में अपना प्लान फिक्ड्रू या फ्लोटिंग में बदलाव कर सकते हैं। इसमें लोन लेने पर कुछ सालों तक फिक्स्ड इंटरेस्ट रेट से लगाया जाता है, जिसके बाद यह फ्लोटिंग बन जाता है।
बैंक या हाउसिंग फाइनेंस कंपनियां आमतौर पर घर या प्रॉपर्टी की कुल वैल्यू का 75-90% तक तक होम लोन दे सकते हैं। हालांकि, यह लोन लेने वालों की कई बातों जैसे- मंथली इनकम, खर्च और फैमिली इनकम, प्रॉपर्टी, देनदारी, इनकम में स्थिरता पर निर्भर करता है। जिसके अनुसार बैंक लोन फाइनेंस करते हैं।
होम लोन का पीरियड जितना ज्यादा होगा, मंथली EMI उतनी ही कम होती है। हालांकि, ब्याज दर बढ़ जाता है। आम तौर पर, होम लोन 30 साल तक के लिए मिलता है। यह पीरियड रिटायरमेंट की उम्र या 60 साल या जो भी पहले हो, उससे ज्यादा नहीं होती है।
आधार कार्ड
पैन कार्ड
पासपोर्ट
वोटर आईडी
सैलरी स्लिप या इनकम प्रूफ
ड्राइविंग लाइसेंस
एड्रेस प्रूफ
बिजली-पानी का बिल
पोस्टपेड मोबाइल बिल
प्रॉपर्टी टैक्स से जुड़े कागजात
एंप्लॉयर आइडेंटिटी कार्ड
बिजनेस एड्रेस प्रूफ
बिजनेस लाइसेंस के डॉक्यूमेंट्स
लोन एप्लीकेशन
पासपोर्ट साइज फोटो
फॉर्म 16 या इनकम टैक्स रिटर्न के साथ 6 महीने पुराना बैंक स्टेटमेंट
होम लोन के शुरुआती ब्याज दर पर लोन तभी मिलता है, जब कस्टमर का सिबिल स्कोर यानी क्रेडिट स्कोर अच्छा रहे। क्रेडिट स्कोर 300 से 900 पाइंट्स तक कैलकुलेट किया जाता है। यह कम से कम 750 से ज्यादा होता है, जो लोन आसानी से मिल जाता है और बैंक शुरुआती इंटरेस्ट रेट पर लोन ऑफर कर देते हैं।
जैसे-जैसे किस्तें बढ़ती हैं, ब्याज दर भी बढ़ती जाती है। भले ही ब्याज दर मंथली 0.5% बढ़ जाती है, फिर भी 20 साल तक के चुकाने की अवधि तक रकम बढ़ जाएगी। लोन लेते समय कम ब्याज दर को ध्यान में रखना चाहिए और अगर बाजार में चल रहे रेट्स का पता चल जाए तो फ्लोटिंग रेट्स कैलकुलेट करके ही होम लोन लेना चाहिए।
भले ही मंथली EMI देना आसान होता है लेकिन लंबी अवधि के लिए उधार लेने पर ब्याज पेमेंट बढ़ जाता है, इसलिए हमेशा इनकम को ध्यान में रखकर ही होम लोन लेना चाहिए। कम समय की EMI भले ही ज्यादा होती है लेकिन ब्याज कम लगता है और काफी बचत होती है।
लोन लेने वाले कस्टमर को EMI और ब्याज अपनी इनकम और बचत के अनुसार ही रखनी चाहिए। प्री-पेमेंट करने से लोन की EMI अवधि कम हो जाती है। ऐसे में अगर पास में पैसे आए तो एकमुश्त राशि जमा करने पर विचार करना चाहिए।
आमतौर पर 25 से 35 साल की उम्र होम लोन लेना सुरक्षित होता है। फिर आपके पास ज्यादा साल तक ईएमआई का भुगतान करने का समय होगा। आप रिटायरमेंट से पहले अपना लोन चुका सकते हैं। अगर आपकी उम्र कम है तो आसानी से लोन मिल जाता है।
55-60 साल तक लोन चुकाने से रिटायरमेंट के समय फाइनेंशियल तनाव कम हो सकता है। इसके अलावा 40-50 साल में लोन चुकाकर आप वित्तीय बोझ और ब्याज कम कर सकते हैं।
नौकरी छूटने या कमाई कम होने से लोन चुकाने में दिक्कतें आ सकती है। ब्याज दरें महंगी होने से मंथली किस्तें ज्यादा बढ़ सकती हैं। लंबे समय तक चलने वाली सेहत से जुड़ीय समस्याएं या कोई इमरजेंसी सिचुएशन मंथली ईएमआई को प्रभावित कर सकती हैं। बहुत ज्यादा लोन लेने से फाइनेंशियल प्रॉब्लम्स बढ़ती हैं।
जब भी कमाई बढ़े तो लोन चुकाने का प्रयास करें। समय से पहले लोन चुकाने से ब्याज का बोझ कम होता है।
अगर आप इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करते हैं तो होम लोन पर टैक्स छूट पा सकते हैं। इसमें 50,000 रुपए से लेकर 80सी के तहत 1.5 लाख रुपये तक की आयकर छूट पा सकते हैं। 24(बी) के तहत ब्याज कटौती 2 लाख रुपए तक है। पहली बार घर खरीदने वालों को 80 ईई के तहत ₹50,000 की अतिरिक्त बचत हो सकती है।
होम लोन के नए ट्रेंड्स
1. डिजिटल एप्लीकेशन प्रॉसेस- बैंक अब ऑनलाइन यानी डिजिटल तरीके से लोन प्रोवाइड करवा रही हैं।
2. ग्रीन फाइनेंस स्कीम्स- पर्यावरण के अनुकूल घरों और ऊर्जा-बचत प्रोजेक्ट्स को अपनाने वालों को कम ब्याज दरों पर जरूरूी लोन उपलब्ध कराने के लिए योजनाएं शुरू की गई हैं।
3. EMI स्कीम- जो लोग फ्रीलांसिंग काम करके पैसे कमा रहे हैं, उनके लिए मंथली किस्तों में पेमेंट चुकाने का ऑप्शन है। अपनी इनकम के हिसाब से इसमें बदलाव भी कर सकते हैं।
4. टॉप-अप लोन- एक्स्ट्रा पैसों की जरूरत के लिए या घर को रेनोवेट करने के लिए चल रहे लोन पर रकम जुड़वा सकते हैं।
5. लोन खत्म करने का ऑप्शन- कई कस्टमर ब्याज बचाने के लिए अवधि से पहले ही लोन चुकाते हैं। इसके लिए उन्हें कुछ फाइन देना पड़ता है।
यह शुरुआती अप्रूवल लेटर होता है, जिसमें लोन से जुड़ी शर्तें दी गई होती हैं। सभी बातों की समीक्षा करने के बाद बैंक और होम फाइनेंस कंपनियां एक तय राशि अप्रूव करती हैं। इस लेटर पर कस्टमर के साइन करने के बाद लोन की आगे की प्रक्रिया शुरू होती है।
फुल डिलीवरी कंप्लीट हो चुकी प्रॉपर्टी पर लागू होती है, जबकि पार्शिलय कुछ निर्माण के चरणों में।
हां, यह फ्लैक्सिबल लोन की शर्तों के तहत बिना किसी फाइन के लोन के पीरियड या EMI को कम कर सकता है। इससे ब्याज भी कम हो सकता है।
डॉक्यूमेंट्स देने और बैंक के वैरिफिकेशन के बाद आमतौर पर 2 से 4 हफ्ते का समय लगता है।
तय समय से पहले लोन का पेमेंट प्री-पेमेंट कहलाता है। हालांकि, ऐसा करते समय शर्तों की स्पष्ट जानकारी होनी चाहिए। कभी-कभी, लोन का भुगतान समय से पहले भी करने पर ब्याज देना पड़ता है। अगर प्री-पेमेंट से कोई फायदा नहीं होता है तो आपको लोन से बचने के लिए दूसरे विकल्पों पर ध्यान देना चाहिए।
ग्रीन होम लोन पर्यावरण के अनुकूल घर बनवाने या रेनोवेट करने के लिए दिया जाता है। यह लोन लॉन्ग टर्म में अच्छा फायदा दे सकता है। यह कम ब्याज पर मिल जाता है।