महिलाओं के लिए सुकन्या समृद्धि योजना, पीपीएफ और बीमा पॉलिसियों जैसी योजनाओं में निवेश कर टैक्स में बचत करने का एक अच्छा ऑप्शन है। अगर आप हाउसवाइफ है और घर में किसी काम के जरिए, ब्याज या डिविडेंड से आपकी आय होती है, तो आप ITR दाखिल कर सकती है।
बिजनेस डेस्क. ज्यादातर लोग फाइनेंशियल ईयर के आखिर में इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने में जल्दबाजी करते है। ऐसे में कई टैक्स में बचत करने के विकल्पों से वंचित रह जाते हैं। टैक्स प्लानिंग सिर्फ पुरूषों के लिए नहीं है, यह कामकाजी महिलाओं के लिए भी उतनी ही जरूरी हैं। महिलाओं के इनकम टैक्स से जुड़े सवालों के बारे में। साथ ही महिलाएं कुछ स्कीम में इन्वेस्टमेंट कर बचत कर सकते है।
क्या हाउसवाइफ का इनकम टैक्स फाइल करना है जरूरी?
अगर किसी हाउसवाइफ को ब्याज, डिविडेंड या ट्यूशन जैसे स्रोत से इनकम होती है। अगर ये आय मिली छूट से ज्यादा है, तो उन्हें इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करना जरूरी है। पुराने टैक्स सिस्टम में ये छूट 2 लाख 50 हजार रुपए है। वहीं, नए टैक्स सिस्टम में ये छूट तीन लाख रुपए है।
महिलाएं इन योजना में निवेश कर सकती है बचत
सुकन्या समृद्धि योजना
केंद्र सरकार की एक बचत योजना है, जिसमें 10 साल से कम उम्र की बालिका का बैंक में खाता खोला जाता है। इसमें एक साल की भीतर ज्यादा से ज्यादा 1 लाख 50 रुपए बालिका के खाते में जमा किए जा सकते है। इस स्कीम से बेटी की पढ़ाई से लेकर शादी में होने वाले खर्चों में छूट मिलती है। साथ ही यह योजना में निवेश की गई रकम पर इनकम टैक्स की धारा 80C के तहत छूट मिलती है।
नेशनल सेविंग्स सर्टिफिकेट
ये पोस्ट ऑफिस में उपलब्ध एक इन्वेस्टमेंट स्कीम है। इस स्कीम में आप कम से कम 1000 रुपए से इन्वेस्टमेंट से शुरुआत कर सकते हैं। फिलहाल इस योजना आपको 7.7% ब्याज मिलता है। इसमें इनकम टैक्स अधिनियम की धारा 80C के तहत स्कीम में निवेश की गई रकम पर छूट मिलती है। इसकी लिमिट 1.5 लाख रुपए है।
पब्लिक प्रोविडेंट फंड
पीपीएफ उन लोगों के लिए बेहतरीन है, जो लॉन्ग टर्म में निवेश करना चाहते है। इसमें आप 500 रुपए की छोटी रकम से भी इन्वेस्टमेंट शुरू कर सकते है। एक साल में आप अधिकतम 1 लाख 50 हजार रुपए निवेश कर सकते है।
बीमा
महिलाएं अपने साथी, बच्चों या माता-पिता के लिए जीवन बीमा की पॉलिसी में में निवेश कर सकती हैं। इसमें आप उनका ख्याल भी रख सकती है। और टैक्स में भी बचत कर सकती है। इसमें इनकम टैक्स एक्ट की धारा 80U के 10% से 15% तक की छूट मिलती है।
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