एवरेस्ट और MDH मसालों से पहले बैन हैं ये फूड प्रोडक्ट्स, जानें किस देश में क्या बैन

Published : Apr 25, 2024, 06:53 PM IST
Spices Ban In Across in the World

सार

भारत में जिन फूड आइटम्स को बड़े चाव से खाया जाता है, उसे दुनिया के कुछ देशों में बैन किया गया हैं। इनमें आपके पसंदीदा फूड प्रोडक्ट्स है। कुछ को शेप के कारण बैन किया गया तो किसी को अनहेल्थी फूड बोलकर प्रतिबंध लगाया। देखें लिस्ट।

बिजनेस डेस्क. भारत के फूड प्रोडक्ट्स ने दुनिया भर में अलग पहचान हासिल की है। भारत दुनिया का सबसे बड़ा मसालों का उत्पादक और एक्सपोर्टर देश है। लेकिन हॉन्गकॉन्ग ने दो दिग्गज कंपनियां एवरेस्ट और MDH के मसालों पर बैन लगा दिया हैं। इन पर आरोप है कि इनमें तय मात्रा से ज्यादा पेस्टीसाइड की मिलावट पाई गई है। सरकार दोनों देशों (सिंगापुर और हांगकांग) के दूतावास से डिटेल्ड रिपोर्ट मांगी गई हैं।

इनके अलावा कई ऐसे फूड प्रोडक्ट्स ऐसे है, जो दुनिया में बैन है।

समोसा

इस लिस्ट में पहला नाम समोसे का है। ये भारत का स्ट्रीट फूड है। ये ईस्ट अफ्रीकन कंट्री सोमालिया में बैन है। इसका कारण बेहद हैरान करने वाला है। तिकोने शेप के कारण सोमालिया का कट्टरपंथी इस्लामिक संगठन अल शबाब इसे ईसाई धर्म के प्रतीक रूप में देखता है। ऐसे में समोसा खरीदने, बनाने और खाने पर लोगों को सजा दी जाती है।

सरसों का तेल

भारत में खाने के लिए तेल का इस्तेमाल किया जाता है। लेकिन अमेरिका और यूरोप महाद्वीप के कई देशों में बैन है। इसमें इरुसिक एसिड होता है, जो सेहत के लिए हानिकारक है।

खसखस

खसखस को अफीम के पौधे से निकाला जाता है, ऐसे में इस पर कई देशों में बैन लगाया गया है। इसका कारण इसमें मॉरफीन और कोडेन जैसे मादक पदार्थों के होने की आशंका है। ऐसे में सऊदी अरब, सिंगापुर और यूएई में इस पर कड़ा प्रतिबंध लगाया गया है।

घी

भारत में घी का इस्तेमाल खाना बनाने से लेकर और खाना खाना खाते वक्त किया जाता है। लेकिन अमेरिका में इसे अनहेल्थी माना जाता है। एफडीए के रिपोर्ट्स का कारण बताकर कहा गया कि घी मोटापा, हार्ट अटैक और हाई ब्लड प्रेशर का खतरा रहता है। ऐसे में इसे अमेरिका में बैन लगाया गया है।

च्यवनप्राश

भारत में च्यवनप्राश को आयुर्वेदिक औषधि के रूप में देखा जाता है। यह कई तरह के मसालों का मिश्रण होता है। इस प्रोडक्ट में जरूरत से ज्यादा लेड और मरकरी पाए जाने का आरोप लगाया गया है। ऐसे में साल 2005 में कनाडा की सरकार ने बैन लगाया था। 

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