लोन खत्म करने से पहले जान लें 5 सबसे जरूरी बातें, वरना पछताएंगे!

Published : Oct 27, 2025, 04:48 PM IST
Loan Settlement vs Loan Closure

सार

Loan Closure vs Settlement: लोन क्लोजर और लोन सेटलमेंट दोनों का मतलब लोन खत्म करना होता है, लेकिन इनका असर आपके क्रेडिट स्कोर और फाइनेंशियल रिकॉर्ड पर बिल्कुल अलग होता है। एक आपका भरोसा बढ़ाता है, जबकि दूसरा नुकसान पहुंचा सकता है।

Loan Settlement vs Loan Closure: आज के समय में लोन लेना तो आसान है, लेकिन उसे सही तरीके से खत्म करना कई लोगों के लिए सिरदर्द बन जाता है। बहुत से लोग सोचते हैं कि लोन सेटलमेंट और लोन क्लोजर एक ही बात है, जबकि सच्चाई इससे बिलकुल अलग है। दोनों ही टर्म्स सुनने में एक जैसे लगते हैं, लेकिन इनका असर आपके क्रेडिट स्कोर, भविष्य के लोन अप्रूवल और फाइनेंशियल इमेज पर बिल्कुल अलग पड़ता है। अगर आपने भी कभी लोन लिया है या लेने की सोच रहे हैं, तो यह फर्क समझना बेहद जरूरी है। क्योंकि एक छोटी सी गलती आपके क्रेडिट रिपोर्ट में ऐसा दाग छोड़ सकती है जो सालों तक नहीं मिटता। तो चलिए आसान शब्दों में समझते हैं लोन सैटलमेंट और लोन क्लोजर में क्या अंतर है और आपके लिए कौन-सा बेहतर है?

Loan Settlement क्या है?

जब कोई व्यक्ति लोन की पूरी रकम नहीं चुका पाता, तो बैंक से बात करके कम अमाउंट में समझौता करता है। उदाहरण के तौर पर अगर किसी का 2 लाख रुपए का लोन बाकी है, तो बैंक 1.2 लाख रुपए लेकर केस खत्म कर सकता है। इसे ही लोन सेटलमेंट कहते हैं। लेकिन ध्यान देंना चाहिए कि इससे आपका क्रेडिट स्कोर बुरी तरह गिर सकता है। क्योंकि रिपोर्ट में इसे 'सैटेल्ड अकाउंट' दिखाया जाता है,जिससे आगे नए लोन मिलना मुश्किल हो सकता है।

Loan Closure क्या है?

अगर आप लोन की पूरी राशि प्रिंसिपल और ब्याज दोनों चुका देते हैं, तो उसे लोन क्लोजर कहते हैं। यह दो तरीकों से हो सकता है। तय समय पर सभी EMI भरकर या फिर एकमुश्त रकम देकर। इससे आपका क्रेडिट स्कोर बढ़ता है और भविष्य में लोन लेना आसान हो जाता है। लोन बंद होने के बाद बैंक से नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट(NOC) जरूर लें, ताकि भविष्य में कोई दिक्कत न हो।

लोन सैटलमेंट और लोन क्लोजर में क्या फर्क है?

1. री-पेमेंट अमाउंट

लोन सैटेलमेंट में आप पूरी रकम नहीं चुकाते, बल्कि बैंक से बातचीत (Negotiation) के बाद कुछ हिस्सा देकर मामला खत्म करते हैं। लोन क्लोजर में आप लोन की पूरी राशि प्रिंसिपल और इंटरेस्ट सहित चुका देते हैं, यानी बैंक से आपका कोई बकाया नहीं रहता।

2. क्रेडिट स्कोर पर असर

क्रेडिट स्कोर पर सैटेलमेंट का असर निगेटिव पड़ता है। क्रेडिट रिपोर्ट में आपका अकाउंट 'सैटेल्ड'लिखा जाता है, जो आपकी भरोसेमंदी कम कर देता है। क्लोजर का असर क्रेडिट स्कोर पर पॉजिटिव होता है। रिपोर्ट में 'Closed' लिखा जाता है, जिससे आपका क्रेडिट स्कोर बढ़ता है।

3. भविष्य के लोन पर असर

सैटेलमेंट में अगली बार लोन लेने पर बैंक आपको जोखिम भरा ग्राहक (Risky Borrower) मान सकता है। क्लोजर में लोन सही तरीके से बंद करने पर नए लोन आसानी से अप्रूव होते हैं और ब्याज दर भी कम मिल सकती है।

4. डॉक्युमेंटेशन

सैटेलमेंट के लिए बैंक के साथ एक सैटेलमेंट एग्रीमेंट साइन होता है, जो दिखाता है कि आपने आंशिक भुगतान करके खाता निपटा दिया। क्लोजर में बैंक से NOC (No Objection Certificate) और लोन क्लोजर लेटर मिलता है, जो बताता है कि आपने पूरा कर्ज चुका दिया है।

5. चार्जेज और टैक्स

सैटेलमेंट में पेनल्टी या टैक्स लग सकता है। क्लोजर में कभी-कभी फोरक्लोजर चार्जेस लगते हैं, लेकिन इससे कोई फाइनेंशियल नुकसान नहीं होता है।

आपके लिए कौन-सा ऑप्शन सही है?

अगर आप सच में लोन चुका सकते हैं, तो लोन क्लोजर सबसे बेहतर है। यह आपके फाइनेंशियल रिकॉर्ड को मजबूत बनाता है और भविष्य में सस्ते ब्याज दरों पर लोन दिला सकता है। लेकिन अगर आप आर्थिक संकट में हैं और पूरा पैसा देना मुश्किल है, तभी लोन सैटेलमेंट की मदद लें, वो भी लिखित एग्रीमेंट के साथ सही माना जाता है।

डिस्क्लेमर: यह आर्टिकल सिर्फ जानकारी के लिए है। यह किसी भी तरह की फाइनेंशियल, लीगल या इन्वेस्टमेंट सलाह नहीं है। लोन से जुड़े किसी भी निर्णय से पहले अपने बैंक, फाइनेंशियल एडवाइजर या क्रेडिट काउंसलर से सलाह जरूर लें।

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