1990 करोड़ का ऑर्डर मिलते ही झूमेगा ये शेयर, साल के आखिरी बरसेगा पैसा!

Published : Dec 30, 2024, 10:01 PM IST
Wipro Stock Story

सार

मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स को रक्षा मंत्रालय से ₹1990 करोड़ का ऑर्डर मिला है। इससे शेयर में तेजी की संभावना है। यह ऑर्डर DRDO से AIP प्लग के निर्माण और इंटीग्रेशन के लिए मिला है।

बिजनेस डेस्क। शिपिंग इंडस्ट्री से जुड़ी कंपनी मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स को भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय से करीब 1990 करोड़ रुपए का ऑर्डर मिला है। इस ऑर्डर की वजह से मंगलवार यानी 31 दिसंबर को स्टॉक में अच्छी-खासी हलचल देखने को मिल सकती है। बता दें कि सोमवार 30 दिसंबर को शेयर 2.09% टूटकर 2269 रुपए पर बंद हुआ था।

किस चीज के लिए मिला इतना बड़ा ऑर्डर?

Mazagon Dock Shipbuilders कंपनी को ये कॉन्ट्रैक्ट DRDO की तरफ से मिला है। इसके तहत एयर इंडिपेंडेंट प्रोपल्शन (AIP) प्लग का कंस्ट्रक्शन और इंटीग्रेशन करना है। इसकी वजह से पनडुब्बियों की ताकत और सहने की क्षमता बढ़ेगी। कंपनी के मुताबिक, ये AIP सिस्टम स्कॉर्पीन पनडुब्बियों में रेट्रोफिट किए जाएंगे। बता दें कि AIP सबमरीन की ताकत को कई गुना बढ़ाने का काम करता है, जिससे पानी के भीतर इनकी पावर बढ़ जाती है। बता दें कि कंपनी को अक्टूबर, 2024 में भी महाराष्ट्र स्टेट पावर जनरेशन कंपनी (MAHAGENCO) इन्फ्रासिक्योर प्रोजेक्ट से 121.67 करोड़ रुपये का पर्चेज ऑर्डर मिला है।

2024 में 98% का रिटर्न दे चुका स्टॉक

Mazagon Dock Shipbuilders के शेयर ने 2024 में निवेशकों को करीब 98 प्रतिशत का रिटर्न दिया है। कंपनी का 52 वीक हाइएस्ट लेवल 2930 रुपए, जबकि 52 हफ्तों का निचला स्तर 897.70 रुपए है। फिलहाल इसका मार्केट कैप 91,528 करोड़ रुपए है। वहीं, शेयर की फेस वैल्यू 5 रुपए है।

कब बनी और क्या करती है मझगांव डॉक

मझगांव डॉक का इतिहास 250 साल पुराना है। 1774 में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के जहाजों की मरम्मत के लिए मुंबई के मझगांव में एक छोटा डॉकयार्ड बनाया गया था। हालांकि, आगे चलकर इसने बड़ा आकार ले लिया, जिसे अब मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड के नाम से जाना जाता है। विभिन्न समूहों के स्वामित्व में रहने के बाद इसे 1934 में कॉर्पोरेट किया गया। 1960 में भारत सरकार ने अपने युद्धपोत विकास कार्यक्रमों को आगे बढ़ाने के लिए इस डॉकयार्ड को अपने अधीन कर लिया। बाद में इसे रक्षा मंत्रालय के तहत एक सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम के रूप में मान्यता दी।

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