
5 Major Changes From November 2025: 1 नवंबर से कई ऐसे नए नियम लागू होने वाले हैं, जो सीधे आपकी जेब, पहचान और रोजमर्रा की जिंदगी को प्रभावित करेंगे। चाहे आप बैंकिंग ट्रांजैक्शन करते हैं, गैस का बिल भरते हैं, आधार अपडेट करते हैं या म्यूचुअल फंड में निवेश करते हैं, ये बदलाव हर जगह दिखेंगे। अगर आप समय पर इन बदलावों के बारे में नहीं जानेंगे, तो अचानक बढ़े खर्च या नई प्रक्रिया के कारण परेशानी हो सकती है। इस आर्टिकल में जानिए अगले महीने होने जा रहे 5 बड़े बदलाव कौन-कौन से हैं...
हर महीने की तरह इस बार भी 1 नवंबर से गैस की कीमतों में बदलाव की संभावना है। इसके साथ ही CNG और PNG गैस की कीमतों में भी चेंजेस आ सकते हैं। पिछले कुछ महीनों से कॉमर्शियल गैस सिलेंडर की कीमतों में उतार-चढ़ाव देखने को मिल रहे हैं।
UIDAI ने आधार अपडेट करने का तरीका आसान कर दिया है। अब आप अपने नाम, पता, जन्मतिथि और मोबाइल नंबर जैसी जानकारी बिना आधार केंद्र जाए ऑनलाइन ही अपडेट कर सकते हैं। सिर्फ बायोमेट्रिक जानकारी जैसे फिंगरप्रिंट या आईरिस स्कैन के लिए ही आधार केंद्र जाना जरूरी होगा। नई व्यवस्था में UIDAI आपकी जानकारी को PAN, पासपोर्ट, राशन कार्ड और स्कूल रिकॉर्ड जैसे सरकारी डेटाबेस से ऑटोमैटिकली वेरिफाई करेगा। इससे अब दस्तावेज मैन्युअल रूप से अपलोड करने की झंझट खत्म हो गई है।
अगर आप SBI क्रेडिट कार्ड या थर्ड-पार्टी ऐप्स जैसे CRED, Mobikwik, CheQ से भुगतान करते हैं, तो 1 नवंबर से नए चार्ज लागू होंगे। अनसिक्योर्ड क्रेडिट कार्ड पर अब 3.75% चार्ज लगेगा। थर्ड पार्टी के ऐप्स से स्कूल या कॉलेज की फीस भरने पर 1% अतिरिक्त चार्ज लागू होगा। 1,000 रुपए से ज्यादा वॉलेट लोड करने पर 1% चार्ज देना होगा और कार्ड से चेक पेमेंट करने पर 200 रुपए का चार्ज लागू होगा। इसलिए अपने पेमेंट मोड को ध्यान से चुनना जरूरी है, ताकि अतिरिक्त खर्च से बचा जा सके।
SEBI ने म्यूचुअल फंड निवेशकों की सुरक्षा और पारदर्शिता बढ़ाने के लिए नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं। अब किसी AMC कर्मचारी या उनके रिश्तेदार का 15 लाख रुपए से अधिक लेन-देन होने पर कंपनी को यह जानकारी अपने अनुपालन अधिकारी को देनी होगी। यह कदम निवेशकों की सुरक्षा को मजबूत करने और किसी भी अनियमित गतिविधि को रोकने के लिए लिया गया है।
बैंकिंग कानून में बदलाव के तहत अब ग्राहक अपने बैंक अकाउंट, लॉकर और सेफ कस्टडी के लिए चार लोगों तक नॉमिनी बना सकते हैं। ग्राहक तय कर सकते हैं कि किसे कितना हिस्सा मिलेगा। अगर पहला नॉमिनी नहीं रहता, तो उसका हिस्सा खुद दूसरे नॉमिनी को ट्रांसफर हो जाएगा। यह बदलाव बैंकिंग कानून में पारदर्शिता बढ़ाने और अकाउंट होल्डर्स के हित की सुरक्षा के लिए लागू किया गया है।
इसे भी पढ़ें- 24 घंटे में पड़ जाए कैश की जरूरत? बनाओ ऐसा इमरजेंसी फंड, जो हर वक्त दे साथ
इसे भी पढ़ें- घर रिनोवेशन, पढ़ाई या मेडिकल खर्च? टॉप-अप होम लोन है आपकी प्रॉब्लम का हल!