
नए इनकम टैक्स सिस्टम में ज़्यादा छूट मिलने की वजह से सरकार का मानना है कि ज़्यादातर लोग पुराने टैक्स सिस्टम को छोड़ देंगे। पुराने टैक्स सिस्टम में कई तरह के निवेश करके लोग टैक्स बचाते थे। नए सिस्टम में आने पर पुराने टैक्स सिस्टम के फ़ायदे टैक्स देने वालों को नहीं मिलेंगे।
छूटने वाले टैक्स के फ़ायदे:
1. सेक्शन 80C निवेश: ईएलएसएस, पीपीएफ़, एसपीएफ़, आरपीएफ़, लाइफ़ इंश्योरेंस प्रीमियम, होम लोन का मूलधन, सुकन्या समृद्धि योजना, नेशनल सेविंग्स सर्टिफ़िकेट, सीनियर सिटीज़न्स सेविंग्स स्कीम में किया गया निवेश।
2. सेक्शन 80D: बुज़ुर्गों के लिए अधिकतम ₹25,000 से ₹50,000 तक के मेडिकल इंश्योरेंस प्रीमियम का भुगतान।
3. सेक्शन 80CCC: पेंशन फ़ंड के प्रीमियम का भुगतान।
निवेश और टैक्स बचाना, दोनों अलग
कुछ जानकारों का कहना है कि निवेश को टैक्स बचाने से अलग देखना चाहिए, इसलिए टैक्स बचाने वाले निवेश जारी रखना सही है। हालांकि निवेश ऐसे जगहों पर करना चाहिए जहाँ टैक्स भी बचता हो, लेकिन सिर्फ़ टैक्स बचाने के लिए निवेश नहीं करना चाहिए। पीपीएफ़, सुकन्या समृद्धि योजना जैसे निवेश बिना किसी जोखिम के अच्छा रिटर्न देते हैं। ये निवेश सुरक्षित हैं और इनमें रिटर्न पक्का है। लेकिन इनमें एक निश्चित समय के लिए लॉक-इन पीरियड होता है। जैसे कि, ईएलएसएस में तीन साल बाद ही पैसा निकाला जा सकता है। लेकिन लॉक-इन पीरियड के भी कुछ फ़ायदे हैं। ये निवेश आपको नियमित बचत करने की आदत डालते हैं और चक्रवृद्धि ब्याज का फ़ायदा भी देते हैं। इसलिए, नए सिस्टम में भले ही टैक्स बचाने वाले निवेशों का उतना महत्व न हो, लेकिन टैक्स बचाने के लिए किए जाने वाले निवेशों को पूरी तरह से बंद नहीं करना चाहिए।