नितिन गडकरी ने लाइफ इंश्‍योरेंस से GST हटाने की क्यों की मांग, जानें 5 कारण

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने जीवन बीमा और स्वास्थ्य बीमा पर से 18% GST हटाने की मांग की है। उनका कहना है कि यह अनिवार्य रूप से जीवन की अनिश्चितताओं पर टैक्स है और इससे बहुत से लोग पॉलिसी नहीं ले पाते हैं।

Satyam Bhardwaj | Published : Jul 31, 2024 11:42 AM IST / Updated: Jul 31 2024, 05:39 PM IST

बिजनेस डेस्क : केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी (Nitin Gadkari) ने फाइनेंस मिनिस्टर निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) से लाइफ इंश्योरेंस और हेल्थ इंश्योरेंस से 18% GST हटाने की मांग की है। उन्होंने इसके लिए वित्त मंत्री को बकायता पत्र भी लिखा है। अगर उनकी मांग मान ली जाती है तो बहुत जल्द देश में जीवन बीमा और मेडिकल बीमा सस्ता हो जाएगा। हालांकि, रोड ट्रांसपोर्ट मिनिस्टर की ये मांग यूं ही नहीं आई है। इसके पीछे कई बड़े कारण है। आइए जानते हैं...

नितिन गडकरी ने इंश्योरेंस से जीएसटी हटाने की मांग क्यों की

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कारण-1

नितिन गडकरी ने अपने पत्र में मौजूदा टैक्स स्ट्रक्चर को अनफेयर बताया है। उनका कहना है कि यह अनिवार्य रूप से जीवन की अनिश्चितताओं पर टैक्स है। जो व्यक्ति अपनी फैमिली के लिए सुरक्षा के लिए प्रयास कर रहा है, उसे प्रीमियम पर टैक्स लगाकर सजा नहीं दी जानी चाहिए। इसी वजह से बहुत से लोग पॉलिसी नहीं लेते हैं। इससे पूरी इंडस्ट्री प्रभावित हो रही है।

कारण-2

केंद्रीय मंत्री का कहना है कि जीएसटी से सीनियर सिटीजन पर वित्तीय बोझ पड़ता है। अगर बुजुर्गों की इनकम होती है तो वह फिक्स्ड होती है। इससे पैसा निकालकर उन्हें इन प्रोडक्ट्स पर टैक्स भरना पड़ता है, जो उनके तनाव का कारण बनता है।

कारण-3

अपना पत्र में नितिन गडकरी ने लिखा कि हेल्थ इश्योरेंस पर 18% जीएसटी इंडस्ट्री ग्रोथ में रुकावट बनता है। मेडिकल इश्योरेंस 'सामाजिक रूप से आवश्यक' सेवा है। इस पर टैक्स लगाने से यह लोगों की पहुंच से दूर हो जाता है और बहुत से लोग इस जरूरी सेवा से वंचित रह जाते हैं।

कारण-4

केंद्रीय मंत्री ने हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम के लिए आयकर कटौती को दोबारा से शुरू करने की मांग की है। जिससे ज्यादा से ज्यादा लोग इस कवरेज को ले सकें।

कारण-5

नितिन गडकरी ने यह पत्र 'नागपुर डिविजनल लाइफ इंश्योरेंस एम्प्लाइज यूनियन के मेमोरेंडम के जवाब में लिखा है। जिसमें बीमा प्रीमियम पर जीएसटी के निगेटिव इफेक्ट्स के बारें में बताया है और पॉलिसी में बदलाव की अपील की है।

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