जून-जुलाई के आते-आते प्याज की कीमतों में 30 से 50 % की बढ़ोतरी हुई है। इस समय प्याज की सप्लाई में कमी देखी गई है। ऐसे में ईद-उल-अजहा (बकरीद) के पहले बाजार में प्याज की डिमांड बढ़ रही है। इसका कारण डिमांड-सप्लाई को बताया जा रहा है।
बिजनेस डेस्क. हर साल की तरह इस साल भी जून-जुलाई के आते-आते प्याज की कीमतों में 30 से 50 % की बढ़ोतरी हुई है। इस समय प्याज की सप्लाई में कमी देखी गई है। ऐसे में ईद-उल-अजहा (बकरीद) के पहले बाजार में प्याज की डिमांड बढ़ रही है। ऐसे में सरकार से उम्मीद है कि प्याज की बढ़ती कीमतों पर शिकंजा कसने के लिए कुछ ठोस कदम उठाए।
महाराष्ट्र की मंडियों में बढ़ रहे प्याज के दाम
महाराष्ट्र के नासिक की लासलगांव मंडी में सोमवार यानी 10 जून को औसत थोक भाव 26 रुपए/किलो था। वहीं, 25 मई को प्याज की थोक कीमत 17 रुपए प्रति किलो पर थे। लेकिन कई मंडियों बेहतर क्वालिटी के प्याज के भाव 30 रुपए प्रति किलो तक बढ़ गए। ऐसे में इसका रिटेल प्राइस में भी इजाफा हुआ है।
जानें क्यों बढ़ रही प्याज की कीमतें
प्याज की कीमतों के बढ़ने का मुख्य कारण डिमांड-सप्लाई को बताया जा रहा है। मंडियों में फिलहाल जो प्याज आ रहा है वह किसानों और ट्रेडर्स ने रखा हुआ है। इस बार किसानों को आशंका है कि इस साल रबी की फसल में गिरावट आ सकती है। ऐसे में प्याज की कीमतें बढ़ सकती है। इन दिनों बकरीद और बारिश से पहले लोग प्याज खरीद कर स्टॉक कर रहे है। ऐसे में प्याज की डिमांड बढ़ रही है। वहीं, दूसरी तरफ किसानों और ट्रेडर्स को उम्मीद है कि केंद्र सरकार प्याज से एक्सपोर्ट ड्यूटी हटा सकती है। इसी उम्मीद में कुछ व्यापारी प्याज का भंडारण कर रहे है। उन्हें लगता है कि एक्सपोर्ट ड्यूटी हटने से प्याज की कीमतों में उछाल आएगा और उन्हें इसका भरपूर फायदा मिलेगा।
इसलिए प्याज की कीमत पर लगी है लगाम
सरकार ने प्याज की निर्यात शुल्क (एक्सपोर्ट ड्यूटी) 40% लगाई है। ऐसे में एक्सपोर्ट ड्यूटी ज्यादा होने से प्याज के निर्यात में कमी देखी गई है। और प्याज की कीमतों में इतनी तेजी से इजाफा नहीं हुआ है।
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