ऑनलाइन शॉपिंग के लिए वर्चुअल क्रेडिट कार्ड एक बढ़िया विकल्प हो सकता है। ये कार्ड एक्स्ट्रा सिक्योरिटी देता करते हैं और धोखाधड़ी से बचाता है। इसक फायदे और नुकसान दोनों हैं।
बिजनेस डेस्क : क्रेडिट कार्ड से शॉपिंग करना आजकल ट्रेंड में है। इन दिनों लगभग सभी बड़े बैंक वर्चुअल क्रेडिट कार्ड्स (Credit Cards) भी दे रहे हैं। ये कार्ड्स भी नॉर्मल क्रेडिट कार्ड जैसे ही होते हैं। हालांकि, इन कार्ड्स में रिस्क थोड़ा कम होता है। वर्चुअल क्रेडिट कार्ड्स (Virtual Credit Card) एक तरह से 'एक्स्ट्रा लेयर ऑफ प्रोटेक्शन' जैसे हैं। ऐसे में आइए जानते हैं आखिर वर्चुअल क्रेडिट कार्ड क्या होते हैं, इन्हें लेना फायदे का सौदा है या फिर नुकसान का...
वर्चुअल क्रेडिट कार्ड फिजिकल क्रेडिट कार्ड की तरह ही होते हैं। इस कार्ड को ऑनलाइन पेमेंट के लिए डिजाइन किया गया है। बैंक इस कार्ड को जारी करते हैं। इस तरह के कार्ड को फिजिकल क्रेडिट कार्ड अकाउंट से लिंक करना होता है। इस कार्ड में एक अस्थायी नंबर होता है, जिसके जरिए ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर शॉपिंग कर सकते हैं। ये कार्ड शॉपिंग और कार्ड डिटेल्स को एक लेयर पर सिक्योरिटी देने का काम करते हैं।
इस कार्ड को बनवाने के लिए यूजर के पास खुद का बैंक अकाउंट (Bank Account) होना चाहिए। हर बैंक इस कार्ड को देते हैं तो सभी के फीचर्स और सर्विस भी अलग-अलग होते हैं। अगर आप वर्चुअल क्रेडिट कार्ड पाना चाहते हैं तो बैंक के पोर्टल या ऐप पर जाकर अप्लाई यानी जेनरेट कर सकते हैं।
वर्चुअल क्रेडिट कार्ड में एडवांस सिक्योरिटी फीचर्स होते हैं। जैसे ही आप इस कार्ड को जनरेट करते हैं, फिजिकल क्रेडिट कार्ड की तरह यूनिक कार्ड नंबर, सीवीवी (CVV) और एक्सपायरी डेट जैसी डिटेल्स मिलती है। इस कार्ड का नंबर अस्थायी होता है, जो सिंगर पेमेंट या 24 से 48 घंटे तक ही वैलिड रहता है। ऑनलाइन शॉपिंग या पेमेंट करते समय इस कार्ड की डिटेल्स भी देनी होती है। इसके बाद पेमेंट अमाउंट फिजिकल कार्ड या बैंक अकाउंट से कट जाती है।
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