
Post Office Schemes Tax Rules: पोस्ट ऑफिस की सेविंग्स स्कीम हमेशा से निवेशकों के बीच हमेशा से पॉपुलर रही हैं। चाहे टैक्स बचाना हो या सुरक्षित रिटर्न पाना, लोग इन स्कीमों में पैसा लगाते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि हर स्कीम पूरी तरह टैक्स-फ्री नहीं होती है। कुछ स्कीमों में मिलने वाले ब्याज पर टैक्स भी काटा जाता है। इसे सोर्स पर टैक्स कटौती (TDS) कहते हैं। आइए आसान भाषा में समझते हैं पोस्ट ऑफिस की किस स्कीम पर कितना टैक्स देना पड़ता है?
अगर आप पोस्ट ऑफिस में निवेश कर रहे हैं और सालाना ब्याज कुछ लिमिट से ज्यादा है, तो सरकार टैक्स काटती है। इसे टीडीएस कटौती कहते हैं। 1 अप्रैल 2025 से लागू नए नियमों के अनुसार,आम नागरिकों के लिए अगर सालाना ब्याज 50,000 रुपए से ज्यादा है, तो TDS कटेगा। सीनियर सिटीजंस के लिए 1 लाख रुपए से ज्यादा सालाना ब्याज पर टीडीएस लगेगा। TDS की यह लिमिट सालाना कुल ब्याज पर लागू होती है और टैक्स चोरी रोकने में मदद करती है।
आरडी में आप हर महीने थोड़ी-थोड़ी रकम जमा करते हैं। अगर आपका सालाना ब्याज 50,000 रुपए से ज्यादा हो जाता है, तो पोस्ट ऑफिस TDS काट देगा। लेकिन अगर सीमा से कम है, तो कोई टैक्स नहीं लगेगा।
60 साल से ऊपर के लोग SCSS में निवेश कर सकते हैं। इस स्कीम में सालाना 1,00,000 रुपए से ज्यादा ब्याज पर ही TDS कटता है। 15 लाख रुपए तक जमा राशि पर आयकर धारा 80सी के तहत टैक्स बेनिफिट मिलता है।
नेशनल सेविंग्स सर्टिफिकेट यानी एनएससी में मिलने वाले ब्याज पर TDS नहीं लगता है। 15 लाख रुपए तक की जमा राशि पर 80सी के तहत टैक्स छूट भी मिलती है। वहीं, किसान विकास पत्र (KVP) में सालाना ब्याज पूरी तरह टैक्सेबल होता है। अगर ब्याज सीमा 50,000 या 1 लाख रुपए पार करता है, तो TDS काटा जाएगा।
MIS में हर महीने मिलने वाला ब्याज भी टैक्सेबल है। सालाना ब्याज सीमा से ऊपर जाने पर TDS कटता है। वहीं, 5 साल की पोस्ट ऑफिस फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) पर 80सी के तहत टैक्स बचत मिलती है। लेकिन अगर एक, दो, तीन साल की FDs या ब्याज सीमा पार करता है, तो TDS लगेगा।
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