रतन टाटा के सबसे जिगरी यार अब कहां और क्या कर रहे?

Published : Oct 09, 2025, 12:48 PM IST
Ratan Tata

सार

Ratan Tata Death Anniversary: 9 अक्टूबर 2024 को रतन टाटा का निधन हुआ था। उनके जाने के बाद टाटा ग्रुप को उनके भाई नोएल टाटा संभाल रहे हैं। हालांकि, पिछले कुछ समय से ग्रुप में कुछ विवाद भी सामने आए हैं। इस बीच रतन टाटा के जिगरी यार की भी चर्चा है। 

DID YOU KNOW ?
टाटा ग्रुप पर कंट्रोल?
टाटा ग्रुप 156 साल पुराना बिजनेस ग्रुप है। इसका कारोबार 400 कंपनियों तक फैला है। इस ग्रुप को टाटा ट्रस्ट कंट्रोल करता है। हिस्सेदारी करीब 66% है।

Ratan Tata Best Friend: पिछले साल आज ही के दिन 9 अक्टूबर 2024 को रतन टाटा का निधन हुआ था। आज उनकी पहली पुण्यतिथि (Ratan Tata Death Anniversary) है। 86 साल के रतन टाटा के जाने के बाद टाटा ग्रुप (Tata Group) में कई बड़े बदलाव हुए। उनके सौतेले भाई नोएल, टाटा ट्रस्ट के चेयरमैन बने। ग्रुप में कुछ विवाद भी सामने आए। लेकिन सबसे बड़ा सवाल कि रतन टाटा के सबसे जिगरी यार और लंबे समय तक उनके एग्जीक्यूटिव असिस्टेंट रहे शांतनु नायडू (Shantanu Naidu) अब कहां हैं और क्या कर रहे हैं? आइए जानते हैं...

रतन टाटा के निधन के बाद शांतनु नायडू का क्या हुआ?

शांतनु, रतन टाटा के सिर्फ करीब दोस्त ही नहीं, बल्कि टाटा ग्रुप में उनके सबसे भरोसेमंद साथी भी थे। रतन टाटा की सोच थी कि शांतनु अपने सोशल वेंचर, 'गुडफेलोज' पर फोकस करें, जो जो सीनियर सिटीजन्स के लिए कंपैनियनशिप सर्विस प्रदान करता है। इसके लिए रतन टाटा ने अपना स्टेक वापस लौटाकर उन्हें पूरी फ्रीडम दी, ताकि वे इसे आगे बढ़ा सकें। रतन टाटा ने अपनी 10,000 करोड़ की वसीयत में शांतनु को भी कुछ हिस्सा दिया था।

शांतनु नायडू अभी कहां और क्या कर रहे हैं?

रतन टाटा के जाने के बाद भी शांतनु ने जनवरी 2025 तक उनके निजी कार्यालय में काम किया। फरवरी 2025 में शांतनु टाटा ग्रुप के सबसे यंगेस्ट मैनेजर बने और टाटा मोटर्स में जनरल मैनेजर और हेड ऑफ स्ट्रैटेजिक इनिशिएटिव्स के पद पर प्रमोट किए गए।अब वे टाटा मोटर्स (Tata Motors) में इलेक्ट्रिक व्हीकल इनोवेशन और स्ट्रैटेजिक प्रोजेक्ट्स संभाल रहे हैं। उनके पिता भी इसी टाटा मोटर्स प्लांट में काम कर चुके हैं। इसके अलावा, शांतनु अपना सोशल वेंचर 'गुडफेलोज' भी चला रहे हैं, जिसे उन्होंने सितंबर 2022 में लॉन्च किया था।

रतन टाटा के कैसे करीबी दोस्त बने शांतनु नायडू

शांतनु ने 2014 में अपनी इंजीनियरिंग पूरी करने के बाद टाटा एल्क्सी में काम करना शुरू किया। एक दिन सड़क पर स्ट्रे डॉग्स को गाड़ियों से बचाने का आइडिया उनके दिमाग में आया। इसके लिए उन्होंने रिफ्लेक्टिव कॉलर्स बनाए, जो रात में चमकते हैं और डॉग्स को दिखाई देते हैं। उनका यह प्रोजेक्ट 'मोटोपॉज' नाम से सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुआ। उन्होंने टाटा ग्रुप के न्यूजलेटर में फीचर होने के बाद रतन टाटा को एक लेटर लिखकर फंडिंग की मांग की। रतन टाटा खुद भी डॉग्स को काफी पसंद करते थे, इसलिए उन्होंने शांतनु को मुंबई बुला लिया और उनकी खूब तारीफ की। यही से रतन टाटा और शांतनु की गहरी दोस्ती शुरू हुई। इसके बाद 2018 में शांतनु ने अपना MBA पूरा किया और फिर रतन टाटा के एग्जीक्यूटिव असिस्टेंट बने। तब से उनका करियर लगातार ऊपर की ओर बढ़ता रहा।

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