RBI Monetary Policy 2023: कितनी रहेगी GDP ग्रोथ- क्यों NRIs की जमा राशि में आया भारी उछाल? MPC मीटिंग की 10 बड़ी बातें
भारतीय रिजर्व बैंक की मॉनिटरी पॉलिसी कमेटी की मीटिंग समाप्त हो गई। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास की अध्यक्षता में 6 से 8 जून तक चली बैठक का बाद नई मॉनिटरी पॉलिसी का ऐलान किया गया।
Manoj Kumar | Published : Jun 8, 2023 6:47 AM IST / Updated: Jun 08 2023, 12:23 PM IST
RBI MPC Meet 2023. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने नई मॉनिटरी पॉलिसी की घोषणा कर दी है, जिसमें सबसे बड़ी बात है कि रेपो रेट नहीं बढ़ाया गया है। आम लोगों के लिए यह बड़ी खबर है। तीन दिन तक चली इस मीटिंग में और भी कई बड़े फैसले लिए गए हैं, जिसका आपकी जेब पर सीधा असर पड़ने वाला है। आइए जानते हैं एमपीसी मीटिंग से जुड़ी 10 बड़ी बातें क्या हैं?
रेपो रेट 6.5 प्रतिशत पर स्थिर रहेगा। एसडीएफ को भी 6.25 प्रतिशत पर बरकरार रखा गया है। एमसीएफ में भी कोई बदलाव नहीं हुआ, यह पहले की तरह 6.75 प्रतिशत रहेगा।
आरबीआई के अनुसार साल 2024 में मंहगाई दर 4 प्रतिशत रहे की संभावना है। मंहगाई को कंट्रोल में रखने के लिए रिजर्व बैंक ने कई कदम उठाए हैं।
वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान भारत में मंहगाई दर 5.1 फीसदी हो सकती है। पहली तिमाही में यह 4.6 प्रतिशत, दूसरी तिमाही में 5.2 प्रतिशत, तिसरी तिमाही में 5.4 प्रतिशत और चौथी तिमाही में 5.2 प्रतिशत हो सकती है।
वित्त वर्ष 2023-24 में जीपीडी ग्रोथ 6.5 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है। यह पहली तिमाही में 8 प्रतिशत, दूसरी तिमाही में 6.5 प्रतिशत, तीसरी तिमाही में 6 प्रतिशत और चौथी तिमाही में 5.7 प्रतिशत हो सकती है।
आरबीआई गवर्नर शक्ति कांत दास ने कहा कि 2000 के नोट बैंक में पहुंचने से सकारात्मक असर पड़ेगा। इससे भारतीय अर्थवस्था और भी मजबूत होगी।
आरबीआई गवर्नर शक्ति कांत दास ने कहा कि भारत के पास पर्याप्त मात्रा में विदेशी मुद्रा भंडार मौजूद है।
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने रिटेल मुद्रास्फिति 5.1 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है। हालांकि इससे पहले 5.2 प्रतिशत तक का अनुमान लगाया गया था।
रिजर्व बैंक ने इस बार हेडलाइन मुद्रास्फिति 4 प्रतिशत रहने का अंदाजा लगाया है। यह पूरे साल तक बनी रह सकती है, इसमें बढ़ाव-घटाव की गुंजाइश कम है।
आरबीआई ने बताया कि दुनिया में मची उथल-पुथल की वजह से अनिवासी जमा का नेट इनफ्लो 8 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया है। जबकि पिछले साल तक यह केवल 3.2 बिलियन डॉलर था।
आरबीआई ने बैंको को रुपे प्रीपेड फॉरेक्स कार्ड जारी करने की भी अनुमति दे दी है। इससे ई-रुपए का वैश्विक विस्तार किया जा सकेगा।