सार

आरबीआई ने 8 जून को नई मॉनिटरी पॉलिसी (RBI Monetary Policy 2023) घोषित कर दी है। इसकी सबसे बड़ी बात है कि रिजर्व बैंक ने रेपो रेट में कोई भी बदलाव नहीं किया है।

RBI Monetary Policy 2023. भारतीय रिजर्व बैंक ने नई मॉनिटरी पॉलिसी की घोषणा कर दी है, जिसमें रेपो रेट में किसी तरह का कोई भी बदलाव नहीं किया गया है। यह करोड़ों ग्राहकों के लिए राहत भरी खबर है क्योंकि इससे न तो आपकी इएमआई बढ़ेगी और न ही लोन का ब्याज ज्यादा होगा। अब आपके मन में यह सवाल जरूर उठ रहा होगा कि आखिर रेपो रेट है क्या और इसका आपकी इएमआई से क्या कनेक्शन है?

क्या होता है आरबीआई रेपो रेट

सरल भाषा में समझें तो रेपो रेट वह दर है, जिस पर रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया दूसरे कमर्शियल बैंक्स को लोन देते हैं। यानि मतलब साफ है कि जो बैंक आपको लोन देते हैं, वे आरबीआई से लोन लेते हैं। ऐसे में जब रेपो रेट नहीं बढ़ेगा यानि आपके बैंक को ज्यादा ब्याजदर नहीं देना होगा तो वह आपको भी परेशान नहीं करेंगे। मतलब रेपो रेट का सीधा कनेक्शन आपकी जेब से है और रिजर्व बैंक ने रेपो रेट न बढ़ाकर ग्राहकों को फायदा पहुंचाने की कोशिश की है।

आरबीआई रेपो रेट बढ़ता तो क्या होता

जब आरबीआई रेपो रेट बढ़ा देती तो बैंकों को ज्यादा ब्याज देना पड़ता जिसकी वजह से कार लोग, होम लोन, पर्सनल लोन की इएमआई अपने आप ही बढ़ जाती। रेपो रेट का दूसरा असर महंगाई को काबू करने और मार्केट में पैसे की लिक्विडिटी बढ़ाने के लिए की जाती है। आरबीआई मंहगाई कम करने के लिए भी रेपो रेट बढ़ाता है लेकिन इस बार की मॉनिटरी पॉलिसी में ऐसा नहीं किया गया है।

क्या होता है रिवर्स रेपो रेट

रेपो रेट के अलावा एक टर्म और होता है जिसे रिवर्स रेपो रेट कहते हैं। अब इसके बारे में जान लीजिए। दरअसल, कमर्शियल बैंकों से आरबीआई भी लोन लेता है और जिस रेट पर यह लोन दिया जाता है, उसे रिवर्स रेपो रेट कहते हैं। अगर आरबीआई रेपो रेट बढ़ाता है तो कमर्शियल बैंक भी रिवर्स रेपो रेट बढ़ा सकते हैं। मौजूदा समय में रेपो रेट 6.5 प्रतिशत है जबकि रिवर्स रेपो रेट की दर 3.35 प्रतिशत है।

यह भी पढ़ें

RBI Monetary Policy 2023: रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं, जानें आपकी EMI और Loan पर क्या पड़ेगा असर?