श्रीलंका में महंगाई: उम्मीदों पर टिका है पूरा देश, अगर IMF की शर्तों में फेल हुआ, तब क्या होगा?

श्रीलंका में महंगाई की स्थिति पर News Asia के चीफ एडिटर और इंटरनेशनल आर्गेनाइजेशन PEN Sri Lanka के जनरल सेक्रेट्री पथुम विक्रमराथने (Pathum Wickramarathne) ने Asianetnews Hindi को बताया कि उनके मुल्क में आखिर चल क्या रहा है?

Amitabh Budholiya | Published : Aug 12, 2023 5:14 AM IST / Updated: Aug 12 2023, 12:45 PM IST

डेस्क न्यूज- श्रीलंका में राजनीतिक संकट(Sri Lanka Crisis) के बीच 9 जुलाई, 2022 को प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति भवन पर कब्जा कर लिया था। उसके बाद सत्ता बदली, लेकिन महंगाई ने श्रीलंकाई जनता की कमर तोड़ दी। हालांकि पिछले एक साल के दौरान महंगाई पर कंट्रोल हुआ है, लेकिन चिंताएं अभी भी बनी हुई हैं। श्रीलंका में महंगाई की स्थिति पर News Asia के चीफ एडिटर और इंटरनेशनल आर्गेनाइजेशन PEN Sri Lanka के जनरल सेक्रेट्री पथुम विक्रमराथने(Pathum Wickramarathne) ने Asianetnews हिंदी के लिए एक विशेष आर्टिकल लिखा, पढ़िए पड़ोसी मुल्क में आखिर चल क्या रहा है?

उम्मीद पर टिकी है श्रीलंका की इकोनॉमी

पथुम विक्रमराथने के अनुसार, श्रीलंका ने अपनी मुद्रास्फीति दर(inflation rate) यानी महंगाई में उल्लेखनीय गिरावट का अनुभव किया है। यह इस जुलाई में कई महीनों में पहली बार सिंगल डिजिट टेरिटरी में आ गई है। हालांकि एक्सपर्ट का मानना है कि पानी, भोजन और ऊर्जा जैसी आवश्यकताओं की बढ़ती कीमतों से महंगाई फिर से बढ़ सकती है। संकटों से जूझ रहे और अपनी अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहित करने की उम्मीद रखने वाले राष्ट्र के लिए एक यह एक कठिन दौर है।

सितंबर, 2022 में श्रीलंका में महंगाई सुरसा के मुंह जैसी फैल गई थी

पथुम विक्रमराथने के अनुसार, पिछले वर्ष सितंबर में महंगाई आश्चर्यजनक रूप से 69% तक बढ़ गई थी। हालांकि देश की मुद्रा की मजबूती और बेहतर कृषि परिणामों के कारण महंगाई कम हुई है।

श्रीलंका पिछले साल गंभीर विदेशी मुद्रा संकट से जूझ रहा था। हालांकि, सोमवार(7 अगस्त) को सामने आए लेटेस्ट डेटा एक अलग कहानी को रेखांकित करते हैं। यानी महंगाई की रेट में लगभग 50% की कमी आई है, जो जून में 12% से गिरकर 6.3% हो गई है। श्रीलंका में फाइनेंसियल उथल-पुथल दूर करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) से 2.9 बिलियन डॉलर के निवेश के बाद मार्च से स्थिति में सुधार हुआ है।

हालांकि एक्सपर्ट का तर्क है कि इन सुधारों के बावजूद श्रीलंका को राज्य के स्वामित्व वाले एंटरप्राइजेस के मैनेजमेंट को ऑप्टिमाइज करने और ऊर्जा की कीमतों को लेकर IFM के दिशा-निर्देशों के अनुरूप करने की जरूरत पड़ेगी। अगर ऐसा करने में नाकाम रहे, तो महंगाई का दबाव फिर से बढ़ेगा।

फर्स्ट कैपिटल में रिसर्च एफर्ट को लीड करने वाले दिमंथा मैथ्यू के हवाले से पथुम विक्रमराथने ने कहा कि पिछले वर्ष की तुलना में मुद्रास्फीति में शुरुआती तेज वृद्धि का प्रभाव अगले दो महीनों के भीतर कम हो जाएगा। हालांकि, उसके बाद, मुद्रास्फीति में हल्की बढ़ोतरी की संभावना है, जिसकी वजह मुद्रा में गिरावट और फूड कास्ट में संभावित वृद्धि होगी। साल की अंतिम तिमाही में कुछ अस्थिरता आ सकती है। साल के अंत तक मुद्रास्फीति संभवतः 6% से 8% के बीच रह सकती है।

क्या फिर से श्रीलंकाई मुद्रा कमजोर होगी?

पथुम विक्रमराथने ने कहा कि इस वर्ष श्रीलंका की मुद्रा में लगभग 10% की वृद्धि के बावजूद एनालिस्ट्स ने चिंता व्यक्त की है कि वर्ष के आखिर में आयात मांग बढ़ने से मुद्रा का मूल्य फिर से कमजोर हो सकता है।

श्रीलंका में सूखे के स्थिति के बीच पानी की रेट 50% बढ़ी

एक्सपर्ट ने वैश्विक स्तर पर कमोडिटी की कीमतों में बढ़ोतरी और चावल की खेती के लिए महत्वपूर्ण क्षेत्रों में सूखे की स्थिति के प्रभाव के साथ-साथ पानी की दरों को 50% तक बढ़ाने के सरकार के फैसले की ओर ध्यान दिलाया है। विश्लेषकों का मानना है कि ये फैक्टर सामूहिक रूप से कीमतों पर दबाव डाल सकते हैं।

महंगाई के बावजूद श्रीलंकाई बैंकों को आशा की किरण

देश का केंद्रीय बैंक निरंतर गिरावट के बावजूद आशावादी बना हुआ है। यह अगले दो महीनों में इस सीमा से नीचे संभावित गिरावट के साथ टार्गेट 4% -6% सीमा के भीतर रेट के परिवर्तित होने का अनुमान लगाता है।

पीकेजी केंद्रीय बैंक में रिसर्च को लीड करने वाले हरिश्चंद्र ने कहा, "मध्यम अवधि में हम मुद्रास्फीति की रेट 4% -6% की लक्ष्य सीमा के भीतर होने की उम्मीद करते हैं।"

मुद्रास्फीति में तेजी से गिरावट के बाद श्रीलंका के केंद्रीय बैंक ने इस वर्ष जून और जुलाई के दौरान 450 आधार अंकों की पर्याप्त नीतिगत दर में कटौती शुरू की। इस सुधारात्मक कार्रवाई के बाद अप्रैल 2022 से मार्च तक 1050 आधार अंकों की ऐतिहासिक वृद्धि हुई।

हरिश्चंद्र ने संकेत दिया कि केंद्रीय बैंक वर्ष के आखिर के दौरान ब्याज दरों को कम करने की अपनी रणनीति पर कायम रहने का इरादा रखता है।

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