भारत सरकार ने 31 जुलाई 2023 तक देशभर में 6 बायो CNG प्लांट और 11,143 छोटे बायोगैस प्लांट शुरु किए हैं। इनमें सबसे ज्यादा 4167 बायोगैस प्लांट महाराष्ट्र में लगे हैं। वहीं, 6 बायो CNG प्लांट में 3 महाराष्ट्र और 1-1 पंजाब, तमिलनाडु और यूपी में लगे हैं।
नई दिल्ली। भारत सरकार ने 31 जुलाई 2023 तक देशभर में 6 बायो CNG प्लांट और 11,143 छोटे बायोगैस प्लांट चालू किए हैं। इनमें सबसे ज्यादा 4167 बायोगैस प्लांट महाराष्ट्र में शुरू हुए हैं। इसके बाद 2488 कर्नाटक, 2083 मध्य प्रदेश, 835 पंजाब, 683 केरल, 224 गुजरात, 164 उत्तराखंड, 126 उत्तर प्रदेश और 118 छत्तीसगढ़ में शुरू किए गए हैं। वहीं, 6 बायो CNG प्लांट में 3 महाराष्ट्र और 1-1 पंजाब, तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश में शुरू किया गया है। यह जानकारी केंद्रीय नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री श्री आरके सिंह ने 10 अगस्त, 2023 को लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी।
केंद्रीय नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री के मुताबिक, नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय ने 01 अप्रैल, 2021 से 31 मार्च, 2026 की अवधि के लिए नवंबर, 2022 में राष्ट्रीय जैव ऊर्जा कार्यक्रम (एनबीपी) अधिसूचित किया। यह कार्यक्रम 1715 करोड़ रूपये के बजटीय परिव्यय के साथ दो चरणों में लागू किया जाएगा। पहले चरण के लिए 858 करोड़ रुपये का बजटीय परिव्यय रखा गया है। यह कार्यक्रम बायो ऊर्जा संयंत्रों की स्थापना के लिए केंद्रीय वित्तीय सहायता (CFA) प्रदान करता है।
क्यों पर्यावरण के अनुकूल है राष्ट्रीय जैव ऊर्जा कार्यक्रम
बता दें कि राष्ट्रीय जैव ऊर्जा कार्यक्रम अन्य बातों के साथ-साथ , ऊर्जा उत्पादन के लिए अतिरिक्त कृषि अवशेष, कृषि-आधारित औद्योगिक अवशेष, औद्योगिक लकड़ी का चूरा, वन अवशेष, ऊर्जा वृक्षारोपण आधारित बायोमास के उपयोग को बढ़ावा देता है। ऐसे में इससे वनों की कटाई का खतरा नहीं होता है।
राष्ट्रीय जैव ऊर्जा कार्यक्रम का उद्देश्य
राष्ट्रीय जैव ऊर्जा कार्यक्रम (National Bio Energy Programme) का उद्देश्य बायोएनर्जी के उपयोग को बढ़ावा देना और सर्कुलर इकोनॉमी पर आधारित निवेशक अनुकूल पारिस्थितिकी तंत्र (Ecosystem) बनाना है। बायोएनर्जी एक बार रहने वाले जैविक पदार्थों से प्राप्त होती है, जिसे बायोमास कहते हैं। इसका उपयोग ट्रांसपोर्ट फ्यूल, गर्मी, बिजली और ऐसे अन्य उत्पादों के उत्पादन के लिए किया जाता है। बता दें कि भारत हर साल 750 मिलियन मीट्रिक टन बायोमास पैदा करने में सक्षम है, जिससे बायोएनर्जी के उत्पादन की एक बड़ी संभावना पैदा हो रही है।
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